
आरटीई के तहत चयनित छात्र को प्रवेश न देने पर स्कूल को चेतावनी, बीएसए गोंडा ने कहा— नियमों की अनदेखी पर होगी मान्यता रद्द
गोंडा, 8 मई। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (RTE Act) के अंतर्गत चयनित छात्र को निजी विद्यालय द्वारा प्रवेश न दिए जाने पर गोंडा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने सख्त रुख अपनाया है। बीएसए ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि तीन दिन के भीतर छात्र का प्रवेश सुनिश्चित नहीं किया गया, तो विद्यालय की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला गोंडा जिले के रामपुर मथुरा क्षेत्र के निवासी विषय कुमार वर्मा, पुत्र अजय मौर्य से जुड़ा है, जिन्होंने बीएसए कार्यालय को पत्र भेजकर अवगत कराया था कि उनके पुत्र का प्रवेश आरटीई पोर्टल पर लॉटरी के माध्यम से यशमय पब्लिक स्कूल, गोंडा में कक्षा एक के लिए सुनिश्चित हुआ है, किंतु विद्यालय प्रशासन अनावश्यक आपत्ति जताकर प्रवेश से इनकार कर रहा है।
बीएसए अनिल कुमार तिवारी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि उक्त प्रवेश पूरी तरह वैध है और ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से आरटीई पोर्टल पर सुरक्षित किया गया है। ऐसी स्थिति में विद्यालय को प्रवेश देने से मना करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने संबंधित विद्यालय प्रबंधक/प्रधानाचार्य को निर्देशित किया है कि तीन दिवस के भीतर चयनित छात्र का प्रवेश सुनिश्चित करें।
पत्र में यह भी उल्लेख है कि इस प्रकार के मामलों में पूर्व में भी शासन स्तर से कई बार निर्देश जारी किए गए हैं। विशेष रूप से शासनादेश संख्या-3087/79-5-2012, शासनादेश दिनांक 03 दिसम्बर 2012 एवं अन्य आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि आरटीई के तहत चयनित छात्रों को प्रवेश देना अनिवार्य है। किसी भी स्थिति में विद्यालय को इससे इंकार करने की अनुमति नहीं है।
बीएसए ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय-सीमा में छात्र का प्रवेश नहीं किया गया, तो इसे बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा, और उस स्थिति में विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि हेडस्टार्ट, आईसीपीएफ पोर्टल, सीएमएस पोर्टल आदि के माध्यम से इस योजना को पारदर्शिता के साथ लागू किया जा रहा है। जिन छात्रों का चयन लॉटरी प्रणाली से हुआ है, उन्हें स्वतः प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाना आवश्यक है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बीएसए कार्यालय ने पत्र की प्रतिलिपि सचिव, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद नई दिल्ली, शिक्षा निदेशक (बेसिक) लखनऊ, सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) देवीपाटन मंडल, तथा खंड शिक्षा अधिकारी, झंझरी गोंडा को भी भेजी है, ताकि आवश्यक स्तर पर निगरानी एवं अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत, निजी विद्यालयों को अपनी कुल सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित रखनी होती हैं। यह कानून देश भर में शिक्षा को समावेशी और सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह संकेत स्पष्ट है कि गोंडा जिला प्रशासन शिक्षा के अधिकार को लेकर बेहद गंभीर है और किसी भी विद्यालय द्वारा कानून की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही यह आदेश अन्य स्कूलों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे आरटीई कानून का अक्षरश: पालन करें।