
एफबीआई का बड़ा खुलासा: भारत सरकार के पूर्व अधिकारी विकास यादव पर खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप
नई दिल्ली 18 अक्टूबर। अमेरिकी खुफिया एजेंसी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने गुरुवार को खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में भारत सरकार के पूर्व कर्मचारी विकास यादव के लिए एक वांछित पोस्टर जारी किया। यह मामला न केवल भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधों के लिए संवेदनशील है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और हत्या की साजिश से जुड़ी गंभीर चुनौतियों को भी उजागर करता है।
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस मामले पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अभियोग में नामित विकास यादव अब भारत सरकार द्वारा नियोजित नहीं है। हालांकि, अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा विकास यादव के खिलाफ लगाए गए आरोपों से मामले ने नया मोड़ लिया है। यह खबर दोनों देशों में सुर्खियों में छाई हुई है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
कौन हैं विकास यादव?
एफबीआई द्वारा जारी पोस्टर के अनुसार, विकास यादव का जन्म 1984 में हरियाणा में हुआ था। वह भारत के कैबिनेट सचिवालय में काम कर चुके हैं, जो भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अंतर्गत आता है। यादव को अपने संपर्कों के बीच विकास और अमानत नामों से भी जाना जाता था। उनकी पहचान खुफिया एजेंसी में एक वरिष्ठ फील्ड अधिकारी के रूप में की गई है, और उनकी जिम्मेदारियों में सुरक्षा प्रबंधन और खुफिया विभाग से जुड़े कार्य शामिल थे। उन्होंने पहले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में भी सेवा की थी, जहां उन्हें युद्ध शिल्प और हथियारों के प्रशिक्षण का अनुभव मिला।
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विकास यादव का रॉ जैसे संवेदनशील एजेंसी से जुड़ा होना दर्शाता है कि किस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। यादव के साथ जुड़े अन्य साजिशकर्ता निखिल गुप्ता ने भी इस पूरी साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो पहले ही अमेरिकी न्याय विभाग के समक्ष ‘दोषी नहीं’ होने की दलील दे चुका है।
विकास यादव पर क्या हैं आरोप?
अमेरिकी न्याय विभाग ने विकास यादव पर खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। एफबीआई के अनुसार, यादव ने अपने सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता की मदद से पन्नू की हत्या की साजिश रची। जांच में खुलासा हुआ कि यादव ने गुप्ता से संपर्क किया और उसे एक हत्यारे की व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जो पन्नू की हत्या कर सके।
गुप्ता ने यादव के निर्देश पर डीईए (ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन) के साथ काम करने वाले एक गोपनीय स्रोत से संपर्क किया। इस व्यक्ति को गुप्ता एक आपराधिक सहयोगी मानता था, लेकिन असल में वह डीईए का एक अंडरकवर अधिकारी (यूसी) था। इसके बाद, यादव ने गुप्ता द्वारा दलाली की गई इस डील में 100,000 डॉलर की राशि तय की।
जून 2023 में, यादव और गुप्ता ने इस साजिश को आगे बढ़ाने के लिए 15,000 डॉलर की नकद राशि अग्रिम भुगतान के रूप में यूसी को दी। यादव के सहयोगी ने मैनहट्टन में इस राशि को यूसी को सौंप दिया। इसके बाद यादव ने गुप्ता को पन्नू की व्यक्तिगत जानकारी प्रदान की, जिसे गुप्ता ने यूसी को सौंपा। इस पूरी साजिश की प्रगति पर यादव ने गुप्ता से लगातार अपडेट मांगे, और गुप्ता ने पन्नू की निगरानी करते हुए तस्वीरें यादव को भेजीं।
यह भी खुलासा हुआ कि गुप्ता ने हत्या की साजिश को जल्द से जल्द अंजाम देने का निर्देश दिया, लेकिन उसने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा के दौरान यह हत्या नहीं होनी चाहिए।
गुरपतवंत सिंह पन्नू: कौन है खालिस्तानी आतंकी?
गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तानी आंदोलन का एक कुख्यात चेहरा है, जो भारत के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहा है। पन्नू ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) नामक प्रतिबंधित संगठन से जुड़ा हुआ है, जो भारत के पंजाब और हरियाणा राज्यों में खालिस्तान नामक एक अलग देश की मांग करता है। पन्नू की गतिविधियों को भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर दिया है और उसे भारत में कई मामलों में वांछित घोषित किया गया है।
पन्नू सोशल मीडिया और अन्य मंचों के माध्यम से भारत के खिलाफ प्रचार करता रहा है और खालिस्तानी आंदोलन को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनमत तैयार करने की कोशिश करता है। भारत के खिलाफ चलाए जा रहे इस आंदोलन में पन्नू की भूमिका और उसका वित्त पोषण भी एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर कई बार भारत और अमेरिका के बीच विचार-विमर्श हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय साजिश: खालिस्तान और भारत विरोधी ताकतें
इस पूरे मामले ने अंतरराष्ट्रीय साजिशों और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों को उजागर किया है। खालिस्तान आंदोलन से जुड़े मुद्दे केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। अमेरिका, कनाडा, और यूरोप जैसे देशों में खालिस्तानी समर्थक समूह सक्रिय हैं और भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों को बढ़ावा देते रहते हैं।
इस मामले में विकास यादव का नाम सामने आने से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत विरोधी ताकतें किस तरह से भारत के अंदर और बाहर अपने सहयोगियों के माध्यम से भारत के खिलाफ साजिशें रच रही हैं। खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू की हत्या की साजिश में रॉ के पूर्व अधिकारी का नाम जुड़ना भारत के सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
निखिल गुप्ता की भूमिका
इस साजिश में निखिल गुप्ता की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है। गुप्ता ने अमेरिकी अंडरकवर अधिकारी से मिलकर इस साजिश को अंजाम देने की कोशिश की। उसने यादव के निर्देश पर पन्नू की निगरानी की तस्वीरें भेजी और हत्या के लिए यूसी से बात की। गुप्ता ने यादव को नियमित रूप से साजिश की प्रगति की जानकारी दी और उसे हत्यारे से जुड़ी सभी जानकारियों से अवगत कराया।
हालांकि गुप्ता ने अदालत में ‘दोषी नहीं’ होने की दलील दी है, लेकिन एफबीआई के पास गुप्ता और यादव के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। यह मामला अमेरिका के कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि इस साजिश का संबंध न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा से है, बल्कि अमेरिका के धरातल पर हुई घटनाओं से भी है।
इस मामले के प्रभाव और संभावनाएँ
इस मामले का प्रभाव दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर गहरा हो सकता है। भारत और अमेरिका के बीच खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग पहले से ही मजबूत है, लेकिन इस मामले ने इसे और भी संवेदनशील बना दिया है। भारत और अमेरिका दोनों ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे के सहयोगी हैं, लेकिन इस तरह के मामलों से आपसी विश्वास में दरार पड़ सकती है।
अमेरिकी न्याय विभाग और एफबीआई द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों और सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि यह साजिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और हत्या की एक गंभीर कोशिश थी।
भारत सरकार ने विकास यादव के संबंध में अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है कि वह अब किसी सरकारी विभाग में नियुक्त नहीं हैं, लेकिन इस मामले का प्रभाव भारत की छवि और उसकी खुफिया एजेंसियों पर पड़ सकता है।