
लॉरेंस बिश्नोई: देशभक्त या अपराधी? भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव में नया मोड़
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (विजय प्रताप पांडे)। लॉरेंस बिश्नोई का नाम भारतीय अपराध जगत में एक प्रमुख स्थान पर आता है। लेकिन हाल के दिनों में उनका नाम एक नए संदर्भ में सामने आया है, जो केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीरता से लिया जा रहा है। लॉरेंस बिश्नोई का नाम फिर से चर्चा में आया है, क्योंकि कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने आरोप लगाया है कि लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह कनाडा में सक्रिय है और भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा दक्षिण एशियाई समुदाय की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है।
इससे यह सवाल उठता है कि लॉरेंस बिश्नोई कौन है? क्या वह वास्तव में देशभक्त है जो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की मदद कर रहा है, या फिर एक संगठित अपराधी है जिसने अपने आपराधिक नेटवर्क का विस्तार देश और विदेश दोनों में किया है? इस लेख में हम लॉरेंस बिश्नोई के जीवन, उनके गिरोह और उन आरोपों की विस्तार से जांच करेंगे, जो उन्हें भारत और कनाडा के बीच विवाद के केंद्र में ला चुके हैं।
लॉरेंस बिश्नोई: आरंभिक जीवन और आपराधिक सफर की शुरुआत
लॉरेंस बिश्नोई का जन्म पंजाब के फाजिल्का जिले में हुआ था। बिश्नोई समाज से ताल्लुक रखने वाले लॉरेंस ने बचपन में एक साधारण जीवन बिताया, लेकिन युवा अवस्था में वह अपराध की दुनिया की ओर खिंच गया। कॉलेज के दिनों में ही उसने संगठित अपराध की दिशा में कदम बढ़ाए और धीरे-धीरे उसका नाम भारतीय आपराधिक जगत में फैलने लगा।
वह कई हाई-प्रोफाइल अपराधों में संलिप्त रहा है, जिनमें हत्या, फिरौती और अवैध हथियारों की तस्करी शामिल हैं। बिश्नोई ने अपने आपराधिक गिरोह की स्थापना की और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया। उसके गिरोह का मुख्य कार्य फिरौती मांगना और हत्या करना था, और इसका उद्देश्य ताकतवर लोगों से धन उगाही करना था।
बिश्नोई का खतरनाक आपराधिक नेटवर्क
लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह संगठित अपराध के मामलों में बहुत ही सक्रिय है। उसके गिरोह ने कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं की जिम्मेदारी ली है, जिनमें से एक प्रमुख हत्या पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की है। मूसेवाला की हत्या के बाद बिश्नोई के गिरोह ने खुलेआम जिम्मेदारी ली और यह दावा किया कि यह हत्या एक व्यक्तिगत दुश्मनी का परिणाम थी। यह घटना न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में आई।
बिश्नोई का गिरोह अपराध की दुनिया में इतना प्रभावशाली हो चुका है कि यह दावा किया जाता है कि इसका नेटवर्क भारत के बाहर भी फैला हुआ है। कनाडा, दुबई और अन्य देशों में इसके सदस्यों की सक्रियता की खबरें सामने आई हैं। यह गिरोह अवैध हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी में भी शामिल है, और इसकी पहुंच भारत के आपराधिक जगत से बाहर निकलकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक हो चुकी है।
भगवान श्री राम का नाम और बिश्नोई की विचारधारा
लॉरेंस बिश्नोई की विचारधारा और उनके गिरोह की गतिविधियों में एक धार्मिक आयाम भी देखा जाता है। बिश्नोई अक्सर भगवान श्री राम का नाम लेते हैं और खुद को धर्म की रक्षा करने वाला बताता है। उसका दावा है कि वह धर्म और राष्ट्र के खिलाफ काम करने वालों को सजा देने का काम करता है। उसके हाथ पर भगवान श्री राम का नाम गुदा हुआ है, जिसे वह अपने अपराधी जीवन में एक प्रतीक के रूप में उपयोग करता है।
हालांकि, उसकी विचारधारा और अपराधी गतिविधियों के बीच एक गहरा विरोधाभास है। धार्मिक प्रतीकों का उपयोग करते हुए, वह खुद को एक नैतिक उद्देश्यों वाला व्यक्ति साबित करने की कोशिश करता है, जबकि उसके कार्य संगठित अपराध, हत्या और हिंसा से भरे हुए हैं। बिश्नोई ने यह दावा भी किया है कि वह भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन उसकी आपराधिक गतिविधियाँ इस दावे को बार-बार खारिज करती हैं।
कनाडा में लॉरेंस बिश्नोई का नाम: अंतरराष्ट्रीय विवाद की शुरुआत
लॉरेंस बिश्नोई का नाम हाल ही में फिर से चर्चा में आया है, जब कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने आरोप लगाया कि भारतीय खुफिया एजेंसियां कनाडा में बिश्नोई के गिरोह का उपयोग कर रही हैं। RCMP के एक अधिकारी ने दावा किया कि भारतीय एजेंटों ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह का उपयोग करके कनाडा में दक्षिण एशियाई समुदाय की गतिविधियों पर नजर रखी है।
कनाडा में रहने वाले भारतीय और दक्षिण एशियाई समुदाय के लोग खालिस्तानी समर्थकों और भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, और यह आरोप लगाया गया है कि भारतीय एजेंटों ने बिश्नोई के गिरोह का उपयोग करके इन लोगों की गतिविधियों पर निगरानी रखी।
यह आरोप भारतीय कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक गंभीर मोड़ साबित हुआ है। लॉरेंस बिश्नोई के आपराधिक गिरोह को भारतीय एजेंटों द्वारा उपयोग करने का दावा न केवल भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच तनाव को और भी बढ़ा सकता है।
खालिस्तानी आंदोलन और भारत-कनाडा के बीच तनाव
भारत और कनाडा के बीच खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर लंबे समय से तनाव चल रहा है। भारत का यह आरोप है कि कनाडा ने खालिस्तान समर्थकों को शरण दी है, जो भारत की अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
कनाडा में खालिस्तान समर्थक समूह खुलेआम खालिस्तान के समर्थन में प्रदर्शन करते रहे हैं और इनका उद्देश्य भारत से अलग एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य की स्थापना करना है। भारत सरकार ने कई खालिस्तानी समर्थकों को आतंकवादी घोषित किया है, और हरदीप सिंह निज्जर जैसे खालिस्तानी नेताओं पर भारत में आतंकी गतिविधियों का संचालन करने का आरोप लगाया गया है।
लॉरेंस बिश्नोई का नाम इस विवाद में उभरना इस बात को और भी पेचीदा बना रहा है, क्योंकि यह दावा किया जा रहा है कि भारतीय एजेंटों ने खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक अपराधी गिरोह का उपयोग किया है।
लॉरेंस बिश्नोई और भारतीय एजेंसियों के संबंध: सच या साजिश?
कनाडा के आरोपों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में लॉरेंस बिश्नोई और भारतीय खुफिया एजेंसियों के बीच कोई संबंध है? क्या बिश्नोई का गिरोह भारतीय एजेंटों के लिए काम कर रहा है, या फिर यह आरोप केवल एक साजिश है जिसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है?
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि लॉरेंस बिश्नोई एक संगठित अपराधी है और उसका भारतीय एजेंटों से कोई संबंध नहीं है। भारत सरकार ने कनाडा के इन आरोपों को आधारहीन और बेबुनियाद बताया है, और इसे एक साजिश के रूप में देखा है जिसे भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए रचा गया है।
हालांकि, लॉरेंस बिश्नोई का नाम बार-बार अंतरराष्ट्रीय अपराधियों और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के संदर्भ में आने से यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में वह किसी बड़े राजनीतिक या कूटनीतिक खेल का हिस्सा है?
लॉरेंस बिश्नोई: देशभक्त या अपराधी?
लॉरेंस बिश्नोई का नाम अब न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित हो चुका है। उसके अपराधी जीवन और धार्मिक प्रतीकों का उपयोग उसे एक रहस्यमय और विवादास्पद व्यक्ति बनाते हैं। क्या वह एक देशभक्त है, जो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की मदद कर रहा है, या फिर वह एक संगठित अपराधी है जिसने अपने आपराधिक नेटवर्क का विस्तार विदेशों तक कर लिया है?
यह सवाल अब भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। लॉरेंस बिश्नोई का नाम आने वाले दिनों में और भी विवादों में आ सकता है, खासकर जब भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
प्रभात भारत विशेष
लॉरेंस बिश्नोई एक संगठित अपराधी है, जिसका नेटवर्क अब भारत से बाहर कनाडा जैसे देशों तक फैल चुका है। कनाडा के आरोपों ने उसे एक अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में ला दिया है। हालांकि, उसकी वास्तविक भूमिका और उसके संबंधों की सच्चाई अभी भी स्पष्ट नहीं है।