-अधिकतर बड़े बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व व्यवसायिक भवनों से नहीं हो पा रही टैक्स वसूली
-आम आदमी के जेब पर बढ़ रहा टैक्स का बोझ
बलरामपुर। नगर निकाय चुनाव होने के बाद से ही नगर पालिका की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं जिससे नगर वासियों को बेहतर सुविधाएं मोहैया कराई जा सकें। इसी क्रम में पालिका ने आम आदमी के जेब पर बोझ बढ़ाते हुए गृहकर व जलकर को स्वकर निर्धारण पॉलिसी लाकर बढ़ा दिया, जिसके विरोध का भी सामना करना पड़ा। लगातार हर मोर्चो पर विरोध झेल रहे पालिका ने नया दांव खेला है।
आदर्शनगर पालिका परिषद के अध्यक्ष प्रतिनिधि डीपी सिंह बैस ने व्हाट्सप के माध्यम से बताया कि अध्यक्ष डॉ.धीरेन्द्र प्रताप सिंह धीरू ने जनहित को दृष्टिगत रखते हुए नामान्तरण, दाखिल-खारिज पत्रावलियों के त्वरित निस्तारण हेतु नियमानुसार आदेश निर्गत किये गये है। नपाप सीमान्तर्गत गृहकर-जलकर से सम्बंधित ऐसे भवन स्वामियों जिसके द्वारा नामांतरण, दाखिल-खारिज हेतु आवेदन किया गया है, उन्हें नोटिस देकर समय निर्धारित करते हुए अध्यक्ष की उपस्थिति में उस पर सुनवाई करते हुए नामांतरण, दाखिल-खारिज की कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
-जब अध्यक्ष बैठेंगें तब भवन स्वामियों को जाएगा फोन
उन्होने बताया कि ऐसे भवन स्वामी जिसके द्वारा अत्याधिक टैक्स निर्धारित करने की समस्या बताई जा रही है उन्हे पालिका के कार्मिक राम नारायण यादव, राम सुरेश यादव, अजय शंकर तिवारी द्वारा फोन कर सूचित किया जायेगा कि अध्यक्ष महोदय उपरोक्त्त प्रकरण पर इस तिथि को सुनवाई करेंगे और सम्बन्धित भवन स्वामी पालिका कार्यालय में अध्यक्ष महोदय के समक्ष उपस्थित होकर अपने नामांतरण, दाखिल-खारिज एंव अत्याधिक टैक्स निर्धारित से सम्बन्धित प्रकरण का निस्तारण कराना सुनिश्चित करेंगे। जिन भवन स्वामियों का गृहकर-जलकर बकाया है। उन भवन स्वामियों से वसूली कार्य में लगे कार्मिक द्वारा वसूली के दौरान विनम्र व्यवहार करते हुए वसूली का कार्य किया जायेगा।
-वसूली कर्मियों से मिल रही थी अभद्रता की शिकायत
नाम ना छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि जब से पालिका द्वारा स्वकर निर्धारण पॉलिसी लाई गई है तब से क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। छोटे व्यापारी व गृह स्वामी तो टाल मटोल कर फिर भी टैक्स दे देते है लेकिन बड़े बड़े शॉपिंग काम्प्लेक्स, हास्पिटल व रियासत कालिन भवनों से टैक्स वसूलना टेंढी खीर साबित हो रहा है। कहीं कहीं पर तो अभद्रता का भी सामना करना पड़ जाता है।


