
एटा, 28 दिसंबर।उत्तर प्रदेश के एटा जिले के जलेसर में स्थित शनिदेव मंदिर को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद आखिरकार सुलझ गया है। वक्फ बोर्ड ने इस संपत्ति पर अपना दावा छोड़ दिया है, जिसके बाद क्षेत्र के लोगों और हिंदू संगठनों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में यह संपत्ति सूचीबद्ध नहीं पाई गई, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
ढाई साल पुराना विवाद
यह विवाद करीब ढाई साल पहले तब शुरू हुआ था, जब छोटे मियां और बड़े मियां की दरगाह के नाम से मशहूर इस परिसर को लेकर गबन और चढ़ावे में अनियमितता के आरोप लगे थे। दरगाह कमेटी पर आरोप था कि उन्होंने करोड़ों के चढ़ावे और जमीन का गबन किया। इस मामले में दरगाह कमेटी के अध्यक्ष सहित 9 लोगों के खिलाफ थाना जलेसर में FIR दर्ज कराई गई थी। इसके बाद कमेटी को भंग कर दिया गया था, और इस संपत्ति का प्रबंधन प्रशासक को सौंप दिया गया था।
संपत्ति पर विवाद का मूल कारण
यह संपत्ति धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण रही है और वर्षों से यहां चढ़ावा चढ़ाया जाता रहा है। बुधवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जात करने के लिए आते थे। हालांकि, गबन के आरोपों के बाद यह विवाद बढ़ गया। लोगों का दावा था कि यह स्थान पहले एक हिंदू मंदिर था, जिसे दरगाह में तब्दील कर दिया गया।
खुदाई और मंदिर के अवशेष
विवाद के दौरान परिसर की खुदाई कराई गई। खुदाई में मिट्टी के नीचे से हनुमान जी और शनिदेव की प्रतिमाएं मिलीं। इन मूर्तियों को विधिवत स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की गई। इसके बाद इस स्थान को शनिदेव मंदिर के रूप में पहचान मिली। वक्फ संपत्तियों के सर्वे के बाद यह साफ हो गया कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में नहीं है
वक्फ बोर्ड की जांच और सर्वे
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों का सर्वे कराया गया था, जिसमें यह पाया गया कि जलेसर का यह परिसर वक्फ संपत्तियों की सूची में दर्ज नहीं है। वक्फ बोर्ड ने सर्वे के बाद इस संपत्ति पर दावा करना छोड़ दिया। आल इंडिया वक्फ बोर्ड ने भी इसे मान्यता दी और शनिदेव मंदिर के पक्ष में फैसला लिया।
हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
वक्फ बोर्ड द्वारा दावा छोड़ने के बाद हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसे जीत के रूप में देखा। संगठनों का कहना है कि यह स्थान सदियों से हिंदू धर्म का प्रतीक रहा है। कुछ लोग इसे वक्फ बोर्ड का डरकर लिया गया फैसला मान रहे हैं। वहीं, अन्य इसे वक्फ बोर्ड की सकारात्मक पहल बता रहे हैं।
स्थानीय निवासियों की राय
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह स्थान हमेशा से हमारी आस्था का केंद्र रहा है। वक्फ बोर्ड द्वारा दावा छोड़ने के बाद हमारी धार्मिक मान्यता को मान्यता मिली है।”
गबन और भ्रष्टाचार के आरोप
दरगाह कमेटी पर लगाए गए आरोप गंभीर थे। करोड़ों के चढ़ावे का गबन किया गया। संपत्ति की अवैध बिक्री की गई। FIR दर्ज होने के बाद कमेटी भंग कर दी गई। यह मामला यह दर्शाता है कि धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी आवश्यक है।
न्याय और सत्य की जीत
एटा के जलेसर में शनिदेव मंदिर को लेकर चल रहे विवाद का अंत एक ऐतिहासिक फैसला है। वक्फ बोर्ड द्वारा दावा छोड़ना धार्मिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह निर्णय न केवल स्थानीय समुदाय की आस्था को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करके विवाद सुलझाए जा सकते हैं।
आगे की राह यह सुनिश्चित करना होगा कि इस स्थान का प्रबंधन ईमानदारी और पारदर्शिता से हो और यह धार्मिक सौहार्द्र का उदाहरण बने।