किसानों को मिला साझा मंच, वृक्ष आधारित खेती की ओर बढ़े कदम
गोण्डा, 19 सितम्बर 2025। जिला पंचायत सभागार, गोण्डा का प्रांगण शुक्रवार को किसानों, जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति से खचाखच भरा हुआ था। अवसर था “वृक्ष उत्पादक मेला” का, जिसका आयोजन पर्यावरण संरक्षण, वृक्ष आधारित खेती और किसानों की आय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता गोण्डा सांसद एवं भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा विदेश मंत्रालय ने की।
यह मेला केवल गोण्डा तक सीमित नहीं रहा बल्कि आसपास के जनपदों से भी बड़ी संख्या में प्रगतिशील किसान यहाँ पहुँचे। उन्होंने न केवल अपने अनुभव साझा किए, बल्कि वृक्ष आधारित कृषि को अपनाने की दिशा में नए संकल्प भी लिए।
कार्यक्रम की भव्यता और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मनकापुर विधायक श्री रमापति शास्त्री, तरबगंज विधायक श्री प्रेम नारायण पाण्डेय, करनैलगंज विधायक श्री अजय सिंह और गोण्डा/बलरामपुर से विधान परिषद सदस्य श्री अवधेश कुमार सिंह उर्फ मंजू सिंह की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया।
जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने प्रशासनिक दृष्टिकोण से कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने विस्तार से बताया कि जिले में वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कौन-कौन से प्रयास किए जा रहे हैं तथा भविष्य में किन योजनाओं को अमल में लाया जाएगा।
भाजपा जिला महामंत्री श्री जसवंत लाल सोनकर के साथ-साथ वन, कृषि और उद्यान विभाग के अधिकारियों ने भी कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई।

विभागीय जानकारी और तकनीकी सहयोग
वन विभाग, कृषि विभाग और उद्यान विभाग ने मेले में अपने-अपने स्टॉल लगाए, जहाँ किसानों को नवीनतम तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। अधिकारियों ने किसानों को यह बताया कि वृक्ष आधारित खेती को अपनाकर न केवल भूमि की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, बल्कि लंबे समय तक स्थायी आमदनी भी सुनिश्चित की जा सकती है।
वन विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वृक्ष उत्पादन केवल लकड़ी या फल-फूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने का एक कारगर उपाय भी है। कृषि विभाग ने किसानों को यह बताया कि मिश्रित खेती और वृक्ष आधारित मॉडल से जोखिम कम होता है और बाजार में उत्पादों की विविधता बढ़ती है।
प्रगतिशील किसानों की भागीदारी
इस मेले में गोण्डा और अन्य जनपदों से आए सैकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया। इनमें से कई किसान ऐसे थे, जिन्होंने वर्षों पहले वृक्ष आधारित खेती को अपनाकर अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। कार्यक्रम के दौरान इन किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे आम, अमरूद, सहजन, शीशम, पॉपलर और बांस जैसे वृक्षों ने उनकी आजीविका को नई दिशा दी।
कुछ किसानों ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को स्थानीय स्तर पर वृक्ष उत्पादों की खरीद की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही प्रसंस्करण केंद्रों और मूल्य निर्धारण प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके।

प्रगतिशील किसानों का सम्मान
कार्यक्रम के एक महत्वपूर्ण हिस्से में उन किसानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने वृक्ष आधारित कृषि प्रणाली को अपनाकर न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ किया।
सम्मानित किसानों को प्रतीक चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। यह सम्मान उनके प्रयासों की पहचान मात्र नहीं थी, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी।
सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री का संबोधन
मुख्य अतिथि एवं अध्यक्षता कर रहे सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि वृक्ष उत्पादन केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह किसानों की आर्थिक समृद्धि का भी एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में यदि किसान वृक्षारोपण को अपनी खेती का हिस्सा बनाते हैं तो यह न केवल धरती के लिए फायदेमंद होगा बल्कि उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और प्रकृति संरक्षण की इस मुहिम में भागीदार बनें।
स्टॉलों का अवलोकन
मेले के दौरान केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का भी अवलोकन किया। उन्होंने प्रत्येक स्टॉल पर जाकर अधिकारियों और किसानों से जानकारी प्राप्त की। विभागीय योजनाओं की जानकारी और किसानों के सुझावों को सुनकर उन्होंने अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि किसानों तक योजनाओं की जानकारी पहुँचाना और उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
कार्यक्रम के उद्देश्य और प्रभाव
“वृक्ष उत्पादक मेला” का मुख्य उद्देश्य किसानों को वृक्ष आधारित कृषि प्रणाली के महत्व से अवगत कराना था। इसके माध्यम से यह संदेश दिया गया कि खेती केवल अनाज या पारंपरिक फसलों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।
वृक्ष आधारित खेती से
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पर्यावरण संरक्षण होता है।
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जलवायु संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
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किसान को अतिरिक्त और स्थायी आय का स्रोत मिलता है।
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भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और कटाव की समस्या कम होती है।
किसानों की प्रतिक्रियाएँ
मेले में शामिल कई किसानों ने कार्यक्रम को सराहनीय बताया। उनका कहना था कि इस तरह के आयोजनों से उन्हें न केवल नई जानकारियाँ मिलती हैं बल्कि अपने अनुभव साझा करने का अवसर भी मिलता है।
बहराइच से आए एक किसान ने कहा, “मैंने पाँच साल पहले सहजन और पॉपलर की खेती शुरू की थी। आज उससे मुझे सालाना लाखों की आमदनी हो रही है। इस मेले में आकर मुझे और तकनीकी जानकारी मिली है, जिसे अपनाकर मैं आगे अपनी खेती का विस्तार करूंगा।”
वहीं गोंडा के ही एक किसान ने कहा कि सरकार को वृक्ष उत्पादों की स्थानीय खरीद प्रणाली विकसित करनी चाहिए, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।

भविष्य की दिशा
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने अपने संबोधन में कहा कि जिले में वृक्ष आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे। साथ ही विभिन्न योजनाओं को इस प्रकार लागू किया जाएगा कि अधिक से अधिक किसान इससे लाभ उठा सकें।
उन्होंने यह भी बताया कि जिले में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए पंचायत स्तर तक समितियाँ गठित की जाएंगी। इससे किसानों को न केवल मार्गदर्शन मिलेगा बल्कि स्थानीय स्तर पर समस्याओं का समाधान भी संभव हो सकेगा।
गोण्डा में आयोजित “वृक्ष उत्पादक मेला” ने यह साबित कर दिया कि यदि किसानों को सही जानकारी, तकनीकी सहयोग और प्रोत्साहन मिले तो वे पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक उन्नति दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह आयोजन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि किसानों के लिए एक साझा मंच था, जहाँ उन्होंने अनुभव साझा किए, तकनीकी जानकारी प्राप्त की और भविष्य की राह तय की।
मेले का समापन धन्यवाद ज्ञापन और प्रेरणादायक उद्बोधनों के साथ हुआ। इसमें किसानों ने यह संकल्प लिया कि वे अधिक से अधिक वृक्षारोपण करेंगे और पर्यावरण संरक्षण के साथ अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाएंगे।
वृक्ष उत्पादक मेला किसानों के लिए आशा और प्रेरणा का नया स्रोत बनकर सामने आया है।

