
अयोध्या 11 अक्टूबर। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में एक फर्जी पास से संबंधित धोखाधड़ी का मामला सामने आया। दीपक वर्मा, जो रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में सुरक्षा कर्मी के रूप में कार्यरत हैं, ने 4 अक्टूबर 2024 को रात 9:30 बजे के आसपास अपनी ड्यूटी के दौरान इस घोटाले को उजागर किया। उनके मुताबिक, वे डिप्टी क्रासिंग 07 पर स्कैनर के जरिए श्रद्धालुओं के पास की जांच कर रहे थे, ताकि वे मंदिर में आरती के लिए प्रवेश कर सकें। इसी दौरान, सुनील देत नामक व्यक्ति, जो अपने परिवार के साथ आरती के लिए आया था, उसका पास स्कैन करने पर फर्जी पाया गया।
कैसे हुआ खुलासा?
सुनील देत ने दावा किया कि यह पास उन्हें विपिनदास नामक व्यक्ति ने बनवाकर दिया था, जो हनुमानगढ़ी में रहता है। विपिनदास के पिता स्वर्गीय लक्ष्मीनाय उपाध्याय अटवा, हर्रैया, जनपद बस्ती के निवासी थे। जानकारी के अनुसार, विपिनदास हनुमानगढ़ी के भोला भण्डारी के मौसी का लड़का है, जिससे उसकी पहचान और भी पुख्ता हो जाती है। सुनील देत ने यह भी बताया कि पास बनाने के लिए उसे 7000 रुपये स्कैनर के माध्यम से दिए गए थे। दीपक वर्मा ने घटना की जानकारी तुरंत पास बनाने वाले सोपेश जी को दी, जो ट्रस्ट के सदस्य हैं। सोपेश जी ने पास की जांच की और पुष्टि की कि यह पास फर्जी है। इस दौरान, विपिनदास मौके पर ही मौजूद था और पास की सत्यता सामने आते ही धीरे से वहां से भाग निकला। उसकी उम्र लगभग 30 वर्ष बताई जा रही है और वह दाढ़ी रखता है।
धोखाधड़ी की प्रक्रिया
यह पूरी घटना यह इंगित करती है कि किस प्रकार विपिनदास ने फर्जी पास बनवाकर श्रद्धालुओं से अनुचित लाभ प्राप्त किया और धोखाधड़ी की। इस घटना से यह साफ होता है कि किस प्रकार कुछ लोग आस्था के केंद्रों में भी श्रद्धालुओं को धोखा देने की कोशिश करते हैं। सुनील देत ने इस फर्जीवाड़े में अपना नाम सामने आने के बाद यह स्पष्ट किया कि उन्हें इस धोखाधड़ी की पूरी जानकारी नहीं थी और वह केवल आरती के लिए पास लेकर आए थे।
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि श्रद्धालुओं से आस्था के नाम पर पैसे लेकर फर्जी पास का कारोबार किया जा रहा है। सुरक्षा कर्मी दीपक वर्मा की सतर्कता से यह घोटाला उजागर हुआ, जो कि रामजन्मभूमि क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम कर रहे थे।
इस मामले को लेकर दीपक वर्मा ने तत्काल सुरक्षा अधिकारियों और प्रशासन को सूचित किया और विपिनदास के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र जैसी पवित्र जगह पर ऐसी धोखाधड़ी एक गंभीर अपराध है, और इससे जुड़े सभी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
धोखाधड़ी का यह मामला प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करता है। यह जरूरी है कि मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए और भी अधिक सतर्कता बरती जाए और सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जाए ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
रामजन्मभूमि क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा और विश्वास की रक्षा करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यह घटना एक चेतावनी के रूप में सामने आई है कि किस प्रकार आस्था के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले लोग सक्रिय हैं और किस प्रकार से उन्हें पकड़ने के लिए अधिक सतर्कता और मजबूत सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है।
इसके अलावा, श्रद्धालुओं को भी जागरूक रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत सुरक्षा अधिकारियों को देनी चाहिए। इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए जागरूकता और सतर्कता दोनों ही आवश्यक हैं।
इस घटना ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र जैसे पवित्र स्थानों पर भी धोखाधड़ी की संभावनाओं को उजागर किया है। सुरक्षा कर्मियों की सतर्कता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से यह मामला सामने आया, लेकिन यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रशासन को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि श्रद्धालुओं को धोखाधड़ी से बचाया जा सके और उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ न हो।
विपिनदास द्वारा किए गए इस घोटाले से यह स्पष्ट होता है कि धोखेबाजों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई ही इस तरह की घटनाओं को रोकने का एकमात्र उपाय है।