नई दिल्ली 10 सितंबर (संजय शुक्ला)। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच 11 सितंबर से टू-प्लस-टू वार्ता होने वाली है। इस वार्ता में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने और रक्षा मंत्री पीटर डुटोन शुक्रवार को भारत पहुंच गए हैं। ये दौरा तीन दिवसीय है। इस दौरे पर कुछ अहम मुद्दों पर वार्ता हो सकती है। जिसमें मुख्य रूप से दोनों देशों के संबंधों और अफगानिस्तान का मुद्दा शामिल है।
अफगानिस्तान के वर्तमान हालातों को लेकर जहां भारत चिंतित है वहीं आस्ट्रेलिया ने भी इस बारे में एक समान विचार प्रकट किए हैं। हाल ही में अफगानिस्तान में गठित होने वाली नई सरकार से भी दोनों देश काफी निराश हैं। भारत समेत समूचे विश्व का कहना है कि तालिबान ने जो वादे किए हैं उस पर उन्हें कायम रहना चाहिए। हालांकि ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
इस वार्ता से पहले भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फारेल ने कहा कि अफगानिस्तान के हालातों को लेकर आस्ट्रेलिया अपने सभी करीबी सहयोगियों के संपर्क में है। उन्होंने ये भी कहा है कि इस वार्ता के जरिए दोनों देश संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं। आस्ट्रेलिया के रक्षा और विदेश मंत्रियों का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब तालिबान की वजह से इस पूरे क्षेत्र के हालात काफी चिंताजनक बन गए हैं। पायने और डुटोन भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर से तो वार्ता करेंगे ही लेकिन उनके पीएम मोदी से मुलाकात करने की संभावना है।
इस वार्ता में दोनों देशों के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी के तहत रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूती देने पर विचार-विमर्श किया जाएगा। आस्ट्रेलिया के साथ यह पहली टू प्लस टू वार्ता है। इसके बारे में 4 जून, 2020 को दोनों देशों की बैठक में फैसला किया गया था। अफगानिस्तान में चीन की सक्रिय भूमिका को देखते हुए ये वार्ता और खास हो गई है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर भी आस्ट्रेलिया और भारत का एक समान हित और चिंताएं जुड़ी हैं। इस वार्ता में कोरोना महामारी को लेकर भी चर्चा संभव है।

