जिला अस्पताल में सांसद और डॉक्टर के बीच गरमा-गरमी: हंगामा, राजनीति और मरीजों का खोया समय
घोसी 16 अक्टूबर। जिला अस्पताल में हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद राजीव राय और डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी के बीच हुई तीखी बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे सांसद और वहां मौजूद डॉक्टर के बीच बातचीत अचानक से विवाद में तब्दील हो गई। डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी ने सांसद से कहा, “बाहर जाकर करिए राजनीति”, और इसके बाद माहौल और गरमा गया। मरीजों की भीड़ के बीच हुई यह बहस अस्पताल के कामकाज और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
विवाद की शुरुआत
यह घटना तब घटित हुई जब सांसद राजीव राय जिला अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे। अस्पतालों का दौरा और निरीक्षण राजनीति में शामिल जनप्रतिनिधियों का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसके माध्यम से वे जनता से जुड़े मुद्दों और सरकारी सेवाओं की स्थिति को देखने की कोशिश करते हैं। सांसद राय का भी उद्देश्य अस्पताल की स्थिति को समझना और किसी प्रकार की समस्याओं का पता लगाना था।
अस्पताल में मौजूद लोगों के मुताबिक, राय मरीजों की भीड़ के बीच में निरीक्षण कर रहे थे। इसी बीच डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी को किसी जरूरी चिकित्सा कार्य में व्यवधान महसूस हुआ। डॉक्टर ने जब देखा कि निरीक्षण की प्रक्रिया में अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों के कामकाज में व्यवधान पड़ रहा है, तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। डॉक्टर का तर्क था कि मरीजों की देखभाल प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि राजनीतिक निरीक्षण।
डॉक्टर का नजरिया
डॉ. सौरभ त्रिपाठी का तर्क था कि अस्पताल में हो रहे निरीक्षणों के दौरान अक्सर चिकित्सा सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होता है। उनका कहना था कि सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों का अस्पताल में दौरा और निरीक्षण का समय ऐसे समय पर होता है जब मरीजों की देखभाल सबसे अधिक जरूरी होती है।
“हमें यहां पर मरीजों को समय पर इलाज देना होता है, और इस तरह के निरीक्षणों में हमारा काफी समय बर्बाद हो जाता है,” डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा। उन्होंने सांसद से सीधा सवाल किया, “नेतागिरी जाओ बाहर करो,” जोकि वीडियो में साफ तौर पर सुना जा सकता है। यह वाक्य पूरे विवाद का केंद्र बन गया और इसी के बाद स्थिति और बिगड़ गई।
डॉक्टर के अनुसार, अस्पताल में जब जनप्रतिनिधि या कोई राजनीतिक शख्सियत निरीक्षण के लिए आती है, तो आमतौर पर वहां की नियमित सेवाएं प्रभावित होती हैं। मरीजों का इलाज रुक जाता है, अस्पताल के कर्मचारियों को नेताओं का ध्यान रखना पड़ता है, और इस दौरान कई बार चिकित्सा सेवाएं बाधित हो जाती हैं। मरीजों को इस दौरान लंबा इंतजार करना पड़ता है और कई बार उनकी परेशानी बढ़ जाती है।
सांसद का पक्ष
दूसरी ओर, सांसद राजीव राय ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनका मकसद केवल अस्पताल की व्यवस्था का जायजा लेना था। उनका कहना था कि जनप्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे सार्वजनिक सेवाओं की स्थिति पर नजर रखें, खासकर तब जब जनसाधारण को किसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो।
सांसद राय ने यह भी कहा कि डॉक्टर का बर्ताव उनके साथ अनुचित था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में उन्हें जनता की समस्याओं को देखना और समझना जरूरी है।
“मैंने किसी भी डॉक्टर के काम में हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि मैं यह देखने आया था कि अस्पताल में व्यवस्थाएं कैसी हैं। अगर डॉक्टर को किसी प्रकार की असुविधा हो रही थी, तो वे मुझे शालीनता से बता सकते थे। यह तरीका गलत था,” सांसद राय ने अपने बयान में कहा।
वीडियो का वायरल होना
इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गईं। कुछ लोगों ने डॉक्टर के पक्ष का समर्थन किया, तो कुछ ने सांसद की मंशा को सही ठहराया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे डॉक्टर और सांसद के बीच बहस होती है और दोनों अपने-अपने पक्ष को सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
वीडियो में एक ओर जहां डॉक्टर त्रिपाठी को अपना काम बाधित होने की चिंता जताते देखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर सांसद राय जनता की भलाई के लिए अपनी उपस्थिति का तर्क देते नजर आ रहे हैं।
अस्पताल निरीक्षणों का वास्तविक प्रभाव
इस प्रकार की घटनाएं केवल घोसी जिला अस्पताल तक सीमित नहीं हैं। यह एक सामान्य प्रवृत्ति है जहां राजनीतिक नेताओं या जनप्रतिनिधियों का अस्पतालों या सरकारी संस्थानों में निरीक्षण करने के दौरान सेवाएं प्रभावित होती हैं।
अस्पतालों में निरीक्षण या दौरे के दौरान प्रशासनिक कर्मी और डॉक्टर को राजनीतिक हस्तियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना पड़ता है, और इसी दौरान मरीजों का इलाज बाधित हो जाता है। डॉक्टरों और कर्मचारियों का ध्यान अस्पताल के कामकाज से हटकर नेताओं और उनके सहायकों पर चला जाता है, जिससे सामान्य जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी जैसे कई चिकित्सा पेशेवरों का यह मानना है कि इस प्रकार के निरीक्षणों का समय पहले से तय किया जाना चाहिए और वह भी ऐसे समय पर जब मरीजों की देखभाल में कोई अवरोध न हो। इससे अस्पताल की सेवाएं भी सुचारू रूप से चलती रहेंगी और जनप्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर सकेंगे।
जनता की राय
घटना के बाद जनता की राय भी दो भागों में बंटती नजर आ रही है। कुछ लोग डॉक्टर त्रिपाठी के पक्ष में हैं और मानते हैं कि अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं प्राथमिकता होनी चाहिए। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों का काम निरीक्षण करना सही है, लेकिन इसे ऐसे समय में किया जाना चाहिए जिससे मरीजों और अस्पताल की कार्यप्रणाली पर असर न पड़े।
वहीं कुछ लोग सांसद राजीव राय के पक्ष में हैं और मानते हैं कि जनप्रतिनिधियों को जनता की समस्याओं का जायजा लेने का पूरा हक है। उनके अनुसार, अस्पताल में आने और निरीक्षण करने से व्यवस्थाओं में सुधार हो सकता है और जनता को बेहतर सेवाएं मिल सकती हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से इस बात को उजागर किया है कि सरकारी अस्पतालों या अन्य सार्वजनिक सेवाओं में निरीक्षण या दौरे के दौरान ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि चिकित्सा सेवाएं प्रभावित न हों। डॉक्टरों और सांसदों को आपसी संवाद और सामंजस्य से काम करना चाहिए ताकि मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
यह जरूरी है कि निरीक्षण का समय पहले से निर्धारित किया जाए और अस्पताल के कर्मियों को पहले से सूचित किया जाए ताकि वे अपने कार्यक्रम के अनुसार काम कर सकें। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि निरीक्षण के दौरान मरीजों की देखभाल में कोई व्यवधान न आए। इस प्रकार की घटनाओं से न केवल राजनीतिक माहौल गरमा जाता है, बल्कि इससे आम जनता का भी नुकसान होता है, जो कि वास्तव में उन सेवाओं का हकदार है।
प्रभात भारत विशेष
घोसी जिला अस्पताल में सांसद राजीव राय और डॉक्टर सौरभ त्रिपाठी के बीच हुए विवाद ने यह स्पष्ट किया कि अस्पतालों में निरीक्षण की प्रक्रिया को पुनर्विचार की आवश्यकता है। जनप्रतिनिधियों का निरीक्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे ऐसे ढंग से किया जाना चाहिए जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। अस्पताल के डॉक्टरों का भी यह कर्तव्य है कि वे अपनी प्राथमिकताओं का ध्यान रखें, और जनप्रतिनिधियों का भी यह दायित्व है कि वे अपने निरीक्षण के दौरान सेवाओं में बाधा न डालें। दोनों पक्षों का आपसी तालमेल ही मरीजों के हित में होगा।

