
नॉर्दर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन में स्किल ट्रेनिंग के नाम पर गबन: संस्था और कर्मचारी दोनों दोषी
गोंडा 24 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले में स्थित नॉर्दर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (NITE) द्वारा उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेंट मिशन (U.P.S.D.M.) के तहत किए जा रहे ट्रेनिंग प्रोजेक्ट में अनियमितताएं और गबन के मामले सामने आए हैं। संस्था के अध्यक्ष, सचिन सोनी द्वारा दर्ज कराए गए एक शिकायत में उन्होंने अपने कर्मचारी नितेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ नितिन सिंह पर गबन और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हालांकि, मामले की गहराई से जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि न केवल नितिन सिंह बल्कि खुद संस्था भी इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदार है।
स्किल ट्रेनिंग का उद्देश्य और योजना
नॉर्दर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, एक प्रतिष्ठित संस्था के रूप में उत्तर प्रदेश में स्किल ट्रेनिंग प्रदान करने का दावा करता है। संस्था का मुख्य उद्देश्य युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस मिशन के तहत, U.P.S.D.M. योजना के अंतर्गत गोण्डा के कोलुहा पोस्ट, रसूर्यबली बनकटी, रामनगर स्थित ट्रेनिंग सेंटर पर कई युवाओं को विभिन्न स्किल ट्रेनिंग कार्यक्रमों में नामांकित किया गया था। संस्था को इस योजना के तहत आर्थिक सहायता और अनुदान प्रदान किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि युवाओं को उचित प्रशिक्षण मिल सके और उनका भविष्य सुरक्षित हो।
आरोप: नितिन सिंह द्वारा गबन और धोखाधड़ी
संस्था के कर्मचारी नितेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ नितिन सिंह, जो कि बलरामपुर निवासी हैं, पर आरोप है कि उन्होंने न केवल संस्था के फंड का दुरुपयोग किया बल्कि ट्रेनिंग सेंटर पर होने वाले असेसमेंट की प्रक्रिया में भी सहयोग नहीं किया। इस असाइनमेंट के लिए संस्था ने नितिन सिंह को पहले से ही सूचित किया था और यह भी सुनिश्चित किया गया था कि सारे अभ्यर्थियों के दस्तावेज तैयार हो जाएं।
संस्था द्वारा नितिन सिंह के खाते में दिनांक 2 फरवरी 2024 को ₹23,000 और ₹10,000 भेजे गए थे, ताकि वह असेसमेंट प्रक्रिया की तैयारी कर सकें। लेकिन नितिन सिंह ने इस धनराशि का गलत तरीके से उपयोग कर लिया और आवश्यक दस्तावेज तैयार करने में असफल रहे। इसके परिणामस्वरूप, जब असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई, तो अभ्यर्थियों की सूची और दस्तावेजों में गड़बड़ियां पाई गईं। इससे न केवल संस्था की छवि धूमिल हुई बल्कि U.P.S.D.M. योजना के तहत होने वाली स्किल ट्रेनिंग की प्रामाणिकता पर भी सवाल खड़े हो गए।
संस्था की भूमिका: लापरवाही और अनियमितताएं
हालांकि, इस पूरे प्रकरण में संस्था ने नितिन सिंह पर गबन और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि संस्था की ओर से भी गंभीर लापरवाही हुई है। संस्था की जिम्मेदारी थी कि वह अपने कर्मचारियों की कार्यक्षमता पर ध्यान दे और यह सुनिश्चित करे कि ट्रेनिंग सेंटर पर होने वाले सभी कार्य सही तरीके से हो रहे हैं। लेकिन न केवल कर्मचारी बल्कि संस्था भी अपने कर्तव्यों में असफल रही।
संस्था ने यह स्वीकार किया कि नितिन सिंह को पहले से ही सूचित किया गया था, फिर भी समय पर असेसमेंट की तैयारी नहीं की गई। यह दर्शाता है कि प्रबंधन स्तर पर भी स्पष्टता और नियंत्रण की कमी थी। ऐसे मामलों में जहां फंडिंग का दुरुपयोग और दस्तावेजों में गड़बड़ियां होती हैं, संस्था की भूमिका और उसकी जिम्मेदारियों की अनदेखी करना भी एक अपराध माना जाना चाहिए।
स्किल ट्रेनिंग के नाम पर गबन: संस्था और कर्मचारियों की मिलीभगत?
मामले की जांच में यह तथ्य सामने आ रहा है कि न केवल नितिन सिंह बल्कि संस्था के उच्च अधिकारी भी इस पूरे प्रकरण में दोषी हैं। स्किल ट्रेनिंग के नाम पर सरकारी अनुदान और फंड का दुरुपयोग कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार यह स्पष्ट हो रहा है कि संस्था के अंदर ही एक प्रणालीगत लापरवाही और भ्रष्टाचार का जाल बिछा हुआ है।
जब फंड का गलत उपयोग किया जाता है और ट्रेनिंग सेंटर पर काम नहीं हो पाता, तो संस्था द्वारा हमेशा अपने कर्मचारियों को दोषी ठहराया जाता है। लेकिन क्या यह उचित है कि केवल एक कर्मचारी पर दोष मढ़ दिया जाए जबकि संस्था के प्रबंधन ने भी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभाया? यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह पूरा मामला केवल नितिन सिंह की धोखाधड़ी का है, या फिर संस्था के अंदर भी भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं?
ट्रेनिंग सेंटर में वास्तविक काम का अभाव
असेसमेंट के दौरान यह पाया गया कि अभ्यर्थियों की सूची और दस्तावेजों में भारी गड़बड़ियां थीं। कई दस्तावेज अपूर्ण थे, और अभ्यर्थियों की पहचान भी असमंजस में थी। इससे स्पष्ट है कि संस्था ने अपने ट्रेनिंग सेंटर में सही तरीके से काम नहीं किया था। अभ्यर्थियों को न तो सही तरीके से ट्रेनिंग मिली, और न ही उन्हें उचित दस्तावेज प्रदान किए गए। यह सब दिखाता है कि संस्था ने ट्रेनिंग के नाम पर अनियमितताएं कीं और सरकारी फंड का सही तरीके से उपयोग नहीं किया गया।
जब असेसमेंट के लिए अधिकारी पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि जिन अभ्यर्थियों के नाम और दस्तावेज संस्था ने तैयार किए थे, वे दस्तावेज वास्तविक नहीं थे। यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या संस्था ने वास्तव में कोई ट्रेनिंग दी भी थी या केवल कागजी काम किया गया था?
प्रशासन की जांच और सख्त कार्यवाही की मांग
यह मामला अब प्रशासन की जांच के दायरे में आ गया है। संस्था और कर्मचारी दोनों पर गबन और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। प्रशासन ने इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू कर दी है, और उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी। यह भी संभावना है कि अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों की भी इस मामले में मिलीभगत हो सकती है। संस्थान की तरफ से फिलहाल कर्मचारियों के ऊपर धोखाधड़ी के आरोप में मोतीगंज थाना में प्राथमिक दर्ज की गई है और पुलिस द्वारा इस प्रकार की विवेचना शुरू कर दी गई है।
नतीजा: भ्रष्टाचार और लापरवाही की कीमत युवा पीढ़ी चुका रही है
स्किल ट्रेनिंग जैसी योजनाएं, जिनका उद्देश्य युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है, अगर इस तरह से भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो जाएं, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारी युवा पीढ़ी को होता है। जिन अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग और रोजगार का सपना दिखाया गया था, वे अब ठगा महसूस कर रहे हैं।
न केवल संस्था बल्कि कर्मचारी भी इस पूरे प्रकरण में दोषी हैं। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि किस तरह से स्किल ट्रेनिंग के नाम पर फंडिंग का दुरुपयोग किया जा रहा है और कैसे भ्रष्टाचार हमारे समाज की जड़ों में बैठा हुआ है। यह जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्यवाही हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो और हमारे युवा सही तरीके से प्रशिक्षण पाकर आत्मनिर्भर बन सकें।
प्रभात भारत विशेष
नॉर्दर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन द्वारा किए गए गबन और लापरवाही का यह मामला उत्तर प्रदेश में स्किल ट्रेनिंग योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की एक झलक मात्र है। संस्था और उसके कर्मचारी दोनों ही इस मामले में दोषी हैं, और अगर समय रहते इस मामले पर सख्त कार्यवाही नहीं की गई, तो यह न केवल सरकारी योजनाओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा करेगा, बल्कि उन हजारों युवाओं के भविष्य को भी खतरे में डाल देगा, जो इन योजनाओं के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद कर रहे हैं।