
गोंडा, 17 अप्रैल। जनपद के करनैलगंज तहसील अंतर्गत ग्राम नगवाकला में लंबे समय से चल रहे अवैध मिट्टी खनन के खेल का भंडाफोड़ तब हुआ जब जिलाधिकारी नेहा शर्मा को गुप्त सूचना मिली कि क्षेत्र में बिना अनुमति और राजस्व रिकॉर्ड के, जेसीबी व डंपरों के माध्यम से मिट्टी की खुदाई की जा रही है। मामले की गंभीरता को भांपते हुए डीएम ने रात 2 बजे ही खनन विभाग और करनैलगंज थाना पुलिस को तत्काल मौके पर भेजा। खनन अधिकारी और पुलिस बल ने गांव में पहुँचकर निरीक्षण किया और जो देखा उसने अधिकारियों को भी चौंका दिया। लगभग 47×27 वर्गमीटर के क्षेत्र में एक मीटर गहराई तक मिट्टी की खुदाई की जा चुकी थी।
स्थलीय निरीक्षण से सामने आई सच्चाई
हालांकि घटनास्थल पर उस समय कोई जेसीबी या ट्रक मौजूद नहीं था, लेकिन उनके टायरों के स्पष्ट निशान ज़मीन पर दर्ज थे। मिट्टी का ताजा उत्खनन, खुरचाई हुई सतह और पास के खेतों में बिखरी गीली मिट्टी इस बात की गवाही दे रही थी कि खनन कार्य हाल ही में संपन्न हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिस तरह से खुदाई की गई है वह निश्चित रूप से व्यावसायिक खनन का हिस्सा है और इसके पीछे संगठित गिरोह या प्रभावशाली लोग हो सकते हैं।
राजस्व अमले की चुप्पी पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठा कि ग्राम क्षेत्र में इतने बड़े स्तर पर खनन हो रहा था, और क्षेत्रीय लेखपाल तथा राजस्व निरीक्षक को इसकी भनक तक नहीं लगी। इससे प्रशासन में हलचल मच गई है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि पूर्व में ही सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि यदि उनके क्षेत्र में कोई अवैध खनन होता है और समय से सूचना नहीं दी जाती, तो उनकी सीधी जवाबदेही तय होगी। बावजूद इसके नगवाकला में यह गैरकानूनी कार्य प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर चल रहा था, जो कहीं न कहीं इन अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही को दर्शाता है।
डीएम का कड़ा रुख, चेताया पूरा अमला
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने मीडिया को बताया कि “जनहित और पर्यावरण संरक्षण सर्वोपरि है। ज़िला प्रशासन किसी भी सूरत में अवैध खनन बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर क्षेत्रीय राजस्व कर्मी और पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारी निभाने में चूकते हैं, तो उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा और उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने कहा कि यह मामला केवल लापरवाही का नहीं बल्कि संभावित भ्रष्टाचार का भी है और जांच के बाद यदि इन अधिकारियों की संलिप्तता पाई जाती है तो एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
खनन विभाग की रिपोर्ट ने खोली परतें
खनन अधिकारी द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया है कि खनन गतिविधि न सिर्फ अवैध थी, बल्कि भूमि स्वामी की सहमति या वैध खनन पट्टे के बिना की गई थी। टीम ने यह भी संकेत दिया है कि खुदाई की गई मिट्टी को निकटवर्ती क्षेत्रों में चल रहे निर्माण कार्यों में बेचा जा रहा था। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर एक मिट्टी माफिया सक्रिय है जो रात के अंधेरे में खनन कर प्रशासन को चकमा दे रहा है।
थाना खरगूपुर में भी अवैध पटान की जांच
इससे इतर थाना खरगूपुर क्षेत्र में भी अवैध मिट्टी पटान की शिकायत पर जांच की गई, जिसमें निर्माणाधीन मकान की नींव में 90 घनमीटर मिट्टी का पटान पाया गया। हालांकि शिकायतकर्ता के मौके पर उपस्थित न होने और सीमित साक्ष्यों के चलते निरीक्षण सीमित रहा। बावजूद इसके खनन अधिकारी ने वहां भी नियम विरुद्ध क्रियाकलाप की संभावना जताई है और आगे की विधिक कार्रवाई की बात कही है।
कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ, नोटिस और परिवाद की तैयारी
खनन अधिकारी ने बताया कि नगवाकला प्रकरण में सम्बंधित गाटा संख्या और भूमि स्वामी की जानकारी एकत्र की जा रही है। नियमानुसार उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और अवैध खनन के आरोप में सक्षम न्यायालय में परिवाद दायर करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है। साथ ही खनन विभाग ने राजस्व अभिलेखों की जांच कर यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि किसी स्तर पर कागजातों में छेड़छाड़ तो नहीं हुई है।
पर्यावरणीय क्षति और जनहित पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अवैध खनन से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान होता है। खेतों की उर्वरता पर प्रभाव पड़ता है, जलस्तर असंतुलित होता है और ग्रामीण इलाकों में जलभराव की स्थिति बन जाती है। साथ ही यह स्थानीय सड़कों पर ट्रकों के भारी आवाजाही से बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाता है। नागरिकों की शिकायत है कि रात में जेसीबी और ट्रकों की आवाजें उन्हें डराती थीं लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी की सक्रियता की सराहना की है और यह मांग की है कि ऐसे अवैध खनन के मामलों में कठोर और उदाहरणात्मक कार्रवाई की जाए, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे तत्वों पर भय बना रहे। एक ग्राम प्रधान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें भी कई बार इन गतिविधियों की भनक लगी, लेकिन स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के चलते वे चुप रहे।
निगरानी, तकनीकी सहायता और जनभागीदारी
डीएम नेहा शर्मा ने बताया कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए अब हर ग्राम में निगरानी समितियाँ गठित की जाएंगी। राजस्व कर्मियों की उपस्थिति की ऑनलाइन निगरानी, भू-सैटेलाइट इमेज और ड्रोन के माध्यम से निरीक्षण की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा जनसहभागिता को बढ़ावा देते हुए ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत प्रशासन को दें। डीएम ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि “इस जिले में खनन माफिया या लापरवाह अधिकारी एक साथ नहीं रह सकते।”