लखनऊ 3 जून, सामाजिक रूप से भाजपा ने देश में सौहार्द बिगाड़ा व भाईचारा ख़त्म किया, जाति के ख़िलाफ़ जाति; सम्प्रदाय के ख़िलाफ़ सम्प्रदाय लड़वाए; संविधान द्वारा दिये गये आरक्षण को साज़िशन ख़त्म करने के लिए बेरोजगारों से छल किया, पेपर लीक कराए; देश के लिए आगे बढ़कर लड़ने वालों की बहन-बेटियों के लिए जानबूझकर अपने मंत्रियों से अपशब्द कहलवाए; महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ाए. मणिपुर, हाथरस, महिला पहलवान… पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक व आदिवासियों पर अत्याचार और सबसे ख़राब व्यवहार किये जाने की रिकॉर्ड बना.
आर्थिक रूप से इलेक्टोरल बाण्ड का ऐतिहासिक भ्रष्टाचार किया, इलेक्टोरल बाण्ड के माध्यम से पैसा कमाने के लिए मुनाफ़ाखोरी को बढ़ावा दिया जिसने महंगाई को बढ़ाया। अपने फ़ायदे के लिए भाजपा ने जनता पर बेतहाशा महंगाई थोप दी। नोटबंदी से व्यापार-कारोबार चौपट कर दिया। भ्रष्ट जीएसटी से छोटे दुकानदार तक को मंदी का शिकार बना दिया। किसानों की ज़मीन हड़पनी चाही, काले-कानून लाने चाहे, खाद की बोरी की चोरी की, लाभकारी मूल्य नहीं दिया… 45 सालों की सबसे बड़ी बेरोज़गारी में देश को धकेला। महँगाई से ग़रीब को और ग़रीब बना दिया। अमीरों के अरबों के लोन माफ़ किये लेकिन किसानों को ऋण के लिए आत्महत्या के लिए मजबूर किया। ब्याज की दरें घटाकर मध्यम वर्ग की बचत को बेकार कर दिया, बैंकों में तरह-तरह के चार्ज और पेनल्टी से लोगों के खाते दीमक की तरह अंदर-ही-अंदर खा गये… बैंक लॉकरों के नाम पर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
नैतिक रूप से चंदे तक का पैसा खा गये, केयर फ़ंड के नाम के आगे पीएम के नाम का इस्तेमाल करके बाद में हिसाब देने से मना कर दिया, अपराधियों को शामिल करके उनके कुकृत्यों पर परदा डाला। जैसे मणिपुर में अपने संगी-साथियों द्वारा बेटी के साथ अमानवीय व्यवहार में, BHU छात्रा अभद्रता कांड में, खीरी किसान हत्या कांड में, हाथरस की बेटी के बलात्कार-हत्या व कानपुर देहात कांड में जहां माँ-बेटी को झोपड़ी में जिंदा जलाकर मार डाला ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं।
– शारीरिक रूप से देखें तो भाजपा लोगों के शरीर-स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ की दोषी है। भाजपा ने बिना जाँचे परखे जानलेवा वैक्सीन लगवाई, कमीशन खाकर गलत दवाई को पास करके लोगों का जीवन ख़तरे में डाला। इसका सीधा असर जनता की सेहत पर पड़ेगा और आनेवाली पीढ़ियों की तंदुरुस्ती पर भी। भाजपा पीढ़ियों पर प्रहार की दोषी है।
– मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों के दिल -ओ-दिमाग़ में जानलेवा वैक्सीन लगने के बाद बीमार होने का डर बैठा दिया। महिलाओं के अंदर असुरक्षा का भाव घर कर गया। युवा unemployment या underemployment से Depression का शिकार हुए।
– राजनीतिक रूप से चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में कैमरे के सामने धाँधली की, चुनी हुई सरकारें गिराईं, ख़रीद-फ़रोख़्त की नकारात्मक सियासत को जायज़ ठहराया।
– पारिवारिक रूप से राजनीतिक फ़ायदे के लिए परिवारों को लड़वा दिया, भाई के ख़िलाफ़ भाई; नंद के ख़िलाफ़ भाभी;
– मानसिक रूप से भाजपा ने अपने ही समर्थकों को हिंसक बनाया, मॉब लिंचिंग को मानसिक रूप से सही ठहराने के साज़िश की।
– आपराधिक रूप से ऐसे लोगों को मंत्री पद दिया और बनाए भी रखा जिन्होंने किसानों की हत्या की, जो महिलाओं पर अत्याचार-शोषण के दोषी हैं।
– सांस्थानिक रूप से न्यायालय तक में अपने लोग पिछले दरवाजे से सेट किये, न्यायधीशों से खुलकर एक विचारधारा विशेष के लिए बयान दिलवाए, न्यायधीशों को राजनीतिक पदों का लालच देकर कानून को तक को अपनी भ्रष्ट सोच से मैला कर दिया। यही काम यूनिवर्सिटी, कॉलेज, स्कूलों में किया, नौकरशाही में लेटरल एंट्री के बहाने यही धांधली की। योजना आयोग ख़त्म किया, ED, CBI, IT को सरकार बनाने, बचाने और चलाने के लिए इस्तेमाल किया।
– आँकड़िक रूप से झूठे आँकड़ों से देश और दुनिया को छला। जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को विकासशील देशों की श्रेणी से बाहर करने की बात से देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। विदेशों में बैठे भारतीयों को अपमान झेलना पड़ा। दुनिया में डंका बजाने की बात करनेवालों का ही ढोल फट गया। विकास व रोज़गार के झूठ आँकड़े देकर ठगा।
– सांविधानिक रूप से संविधान को पहले कमज़ोर करने फिर बदलकर धीरे-धीरे ख़त्म करने की साज़िश ही नहीं की, अपने लोगों से सरेआम कहलवाया भी।
– लोकतांत्रिक रूप से जनतंत्र को मनतंत्र में बदलने का दुस्साहस किया। व्यक्ति को व्यवस्था से बड़ा बनाने और बताने का दुष्प्रचार कर लोकतंत्र की भावना का अपमान किया। चुनाव के नतीजों को कुछ भ्रष्ट मीडियाकर्मियों और अधिकारियों की मिलीभगत से बदला भी और आगे भी इस चुनावी घपले को जारी रखने का षड्यंत्र रचा।
भाजपा ने इन्हीं सब कारणों से देशवासियों की ज़िंदगी को ख़तरे में डाल दिया है। साथ ही भाजपा ने अग्निवीर जैसी अल्पकालिक भर्ती से देश की सुरक्षा व सीमाओं से समझौता करके देश को ख़तरे में डाल दिया है। भाजपा का झूठा राष्ट्रवाद, चीन की घुसपैठ से ‘रेज़ांग ला मेमोरियल’ जैसे शहीदों के बलिदान के स्मारक तक नहीं बचा पाया है। भाजपा की भ्रष्ट-नीतियाँ बीते कल के लिए ही नहीं बल्कि भविष्य में भी देश की रक्षा के लिए असमर्थ व अक्षम हैं। इसीलिए जनता इस बार गांधी जी को याद करते हुए ‘करो या मरो’ की तरह आंदोलित हो गयी है और अपने और अपने देश का भविष्य बचाने के लिए एक ‘नया स्वतंत्रता आंदोलन’ लड़ने के लिए तैयार बैठी है। जनता स्वतंत्रता सेनानियों की तरह बलिदान करने के लिए तैयार है क्योंकि भाजपा काल में उसका जीवन तो वैसे भी दूभर हो गया है। जनता की सकारात्मक सक्रियता से, देश नकारात्मक ताक़तों से आज़ाद होने जा रहा है। देश-प्रेमी 140 करोड़ जनता की शक्ति के आगे भ्रष्ट और संकीर्ण सोच के चंद देश-विरोधी लोग टिक नहीं सकते हैं। देश का युवा फिर से कफ़न सिर पर बांधकर कह रहा है, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’। इंडिया की जीत देश और देश की जनता की जीत साबित होगी!

