
गोण्डा 13 जनवरी। गोण्डा जिले के सालपुर पाठक गांव के निवासी शिव कुमार मौर्य द्वारा उनके बेटे के साथ हुए सड़क हादसे और पुलिस की निष्क्रियता को लेकर आयुक्त देवीपाटन मंडल शशि भूषण लाल सुशील से की गई शिकायत पर आयुक्त ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) देवीपाटन को मामले में तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। आयुक्त ने स्पष्ट किया कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना प्रशासन की प्राथमिकता होगी।
शिकायत के अनुसार, 6 जनवरी 2025 को शिवकुमार मौर्य का पुत्र अमरेश मौर्य, जो कि हाईस्कूल का छात्र है, अपनी चाची का इलाज कराने के बाद मोटरसाइकिल से गोण्डा से सालपुर पाठक गांव लौट रहा था। इसी दौरान कटहाघाट-डेहरास मार्ग पर मुरावन पुरवा के पास एक तेज रफ्तार पिकअप गाड़ी (नंबर यूपी 43 बीटी-0477) ने गलत साइड से आकर उसकी मोटरसाइकिल को जोरदार टक्कर मार दी।
हादसा इतना भयानक था कि अमरेश मौर्य का दायां पैर दो हिस्सों में टूट गया। स्थानीय लोगों की मदद से अमरेश को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल इलाज शुरू किया। इस हादसे के बाद परिवार को न केवल मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा, बल्कि इलाज के भारी खर्च ने भी उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ दिया।
हादसे के बाद शिवकुमार मौर्य ने नगर कोतवाली में जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस से मांग की कि पिकअप गाड़ी के चालक के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए। हालांकि, पुलिस ने इस पर केवल पिकअप गाड़ी को थाने में लाकर खड़ा कर दिया, लेकिन न तो कोई प्राथमिकी दर्ज की गई और न ही किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई की गई।
पुलिस की इस निष्क्रियता से आहत शिवकुमार ने मामले की शिकायत आयुक्त देवीपाटन मंडल शशि भूषण लाल सुशील से की। उन्होंने बताया कि उनके बेटे की हालत गंभीर है और पुलिस की लापरवाही ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है।
पीड़ित परिवार की शिकायत पर आयुक्त शशि भूषण लाल सुशील ने तत्काल संज्ञान लिया और डीआईजी देवीपाटन मंडल को आदेश दिया कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आयुक्त ने कहा कि कानून का पालन करना और पीड़ितों को न्याय दिलाना प्रशासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस मामले में पुलिस की लापरवाही साबित होती है, तो दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कटहाघाट-डेहरास मार्ग पर हुई इस दुर्घटना को लेकर स्थानीय लोगों में भी आक्रोश है। क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि यह सड़क हादसा प्रशासन की लापरवाही और यातायात नियमों की अनदेखी का नतीजा है।
मुरावन पुरवा के निवासी रमेश यादव ने बताया, “इस सड़क पर तेज रफ्तार वाहनों के कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं। प्रशासन को पहले से ही यहां पर स्पीड ब्रेकर लगाने और ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”
एक अन्य स्थानीय निवासी राजेश सिंह ने कहा, “हादसे के बाद पीड़ित परिवार ने न्याय की उम्मीद में पुलिस से गुहार लगाई, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। यह बेहद दुखद है कि प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
अमरेश मौर्य के परिवार ने बताया कि वे इस हादसे के बाद से लगातार आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं। अमरेश की मां ने कहा, “हमने अपने बेटे की पढ़ाई को लेकर बड़े सपने देखे थे, लेकिन इस हादसे ने सबकुछ बदल दिया है। डॉक्टरों ने कहा है कि उसके पूरी तरह ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं। इलाज के लिए हमें अपनी जमा-पूंजी भी खर्च करनी पड़ रही है।”
शिवकुमार मौर्य ने कहा, “हम केवल यह चाहते हैं कि दोषी चालक को सजा मिले और प्रशासन हमें न्याय दिलाए। पुलिस की निष्क्रियता से हम बहुत आहत हैं। आयुक्त के हस्तक्षेप से हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।”
आयुक्त द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद डीआईजी देवीपाटन मंडल ने मामले की जांच शुरू कर दी है। डीआईजी ने कहा है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि दोषी चालक और पुलिस की ओर से लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गोण्डा जिले में सड़क हादसों की बढ़ती घटनाओं ने एक बार फिर यातायात व्यवस्था और सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज रफ्तार, खराब सड़कें और यातायात नियमों का पालन न करना सड़क हादसों के मुख्य कारण हैं।
कटहाघाट-डेहरास मार्ग पर स्पीड ब्रेकर और यातायात संकेतकों की कमी के कारण यह क्षेत्र हादसों का गढ़ बनता जा रहा है। स्थानीय लोग लंबे समय से इन मुद्दों को उठाते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है।
अमरेश मौर्य के परिवार ने प्रशासन से मांग की है कि पिकअप गाड़ी के चालक को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस की ओर से हुई लापरवाही की जांच की जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कटहाघाट-डेहरास मार्ग पर स्पीड ब्रेकर और यातायात संकेतक लगाए जाएं। सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं।
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन और पुलिस की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं। जब पीड़ित परिवार को अपनी शिकायत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्हें न्याय की उम्मीद में आयुक्त का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
अमरेश मौर्य के साथ हुई इस दुर्घटना ने न केवल उनके परिवार को गहरे दर्द में डाला है, बल्कि प्रशासन और पुलिस व्यवस्था की खामियों को भी उजागर किया है। आयुक्त के हस्तक्षेप और डीआईजी को दिए गए निर्देशों के बाद अब यह देखना होगा कि पीड़ित परिवार को न्याय कब तक और किस तरह मिलता है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार और प्रशासन को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसी घटनाएं लगातार होती रहेंगी और पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकते रहेंगे।