
लखनऊ 11 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव ने गुरुवार रात लखनऊ स्थित जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) का दौरा किया, और सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने टिन की चादरों से मुख्य द्वार बंद कर दिया है, जिससे जनता का प्रवेश रोक दिया गया है। इस घटना ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब 11 अक्टूबर को समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम निर्धारित है। अखिलेश यादव के इस दौरे के बाद समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच राजनीतिक विवाद और तेज हो गया है।
अखिलेश यादव का दौरा और सरकार पर आरोप
गुरुवार की रात अखिलेश यादव अचानक जेपीएनआईसी पहुंचे और वहां टिन की चादरों से बंद मुख्य द्वार को देखकर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने मीडिया से बातचीत में योगी आदित्यनाथ सरकार की तीखी आलोचना की और इसे “सरकार की संकीर्ण सोच” का प्रतीक बताया। अखिलेश ने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर इस ऐतिहासिक स्थल को बंद किया है ताकि समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि देने वाले लोगों को वहां पहुंचने से रोका जा सके। उन्होंने कहा, “यह जेपीएनआईसी समाजवादियों का संग्रहालय है और यहां जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा है, जिसे देखने से लोगों को रोका जा रहा है।”
यादव ने सवाल उठाया, “यह टिन शेड लगाकर सरकार क्या छिपा रही है? क्या वे इसे बेचने की योजना बना रहे हैं या किसी और को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं?” इस बयान के बाद अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के प्रति अपमानजनक रवैया रखती है और यह भाजपा की विचारधारा को दर्शाता है।
टिन की चादरों पर लिखवाया ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’
यादव के इस दौरे का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें अखिलेश यादव ने एक चित्रकार से टिन की चादरों पर ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’ लिखने को कहा। यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और इस घटना ने समाजवादी कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह को बढ़ाया। यादव ने यह भी संकेत दिया कि 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि देने के लिए वे कार्यक्रम निर्धारित करेंगे।
उन्होंने कहा, “हम कल कार्यक्रम तय करेंगे। वे इसे कब तक टिन शेड के पीछे बंद रखेंगे?”
भाजपा पर निशाना
इस दौरे के बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर भाजपा पर हमला करते हुए इसे “आजादी का दिखावा” करार दिया और कहा कि भाजपा के शासन में स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान की कमी है। उन्होंने लिखा, “भाजपा देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जयप्रकाश नारायण जी जैसे हर स्वतंत्रता सेनानी के प्रति द्वेष और दुश्मनी रखती है, यह भाजपा के अंदर का अपराध है, जिसके सदस्यों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया।”
यादव ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी क्रांतिकारियों को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने की भी अनुमति नहीं देती है। उन्होंने इस घटना को निंदनीय बताया और कहा कि समाजवादी पार्टी इस तानाशाही के खिलाफ मजबूती से खड़ी रहेगी।
समाजवादी पार्टी का विरोध और बयान
इससे पहले दिन में, समाजवादी पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो साझा किया गया था जिसमें जेपीएनआईसी के मुख्य द्वार के सामने टिन की चादरें खड़ी की जा रही थीं। इस वीडियो में पार्टी ने भाजपा सरकार की आलोचना की और इसे “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया। पार्टी ने इसे भाजपा की “गंदी राजनीति” का हिस्सा बताया और आरोप लगाया कि इस जनविरोधी सरकार ने लखनऊ में बने इस ऐतिहासिक स्थल को बर्बाद कर दिया है।
पार्टी ने बयान जारी कर कहा, “बेकार भाजपा सरकार लगातार लोकतंत्र पर हमला कर रही है। इस जनविरोधी सरकार ने लखनऊ में बने जेपीएनआईसी जैसे विकास कार्यों को बर्बाद करके महापुरुषों का अपमान किया है। समाजवादी इन तानाशाहों के आगे नहीं झुकेंगे।”
जेपीएनआईसी: समाजवादियों के लिए महत्व
जेपीएनआईसी का उद्घाटन अखिलेश यादव ने 2016 में अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान किया था। यह केंद्र समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण को समर्पित है और यहां एक संग्रहालय भी स्थापित है जो उनके जीवन और विचारधारा पर आधारित है। इस केंद्र का महत्व समाजवादियों के लिए खास है, क्योंकि यह समाजवादी विचारधारा के संरक्षण और प्रचार के उद्देश्य से बनाया गया था।
हालांकि, 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद इस केंद्र पर काम रोक दिया गया था। अखिलेश यादव ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस केंद्र को अनदेखा किया है और इसे समाजवादी विचारधारा के प्रचार से दूर रखा जा रहा है।
पुलिस की प्रतिक्रिया और यातायात प्रतिबंध
अखिलेश यादव के दौरे के बाद, लखनऊ पुलिस ने शुक्रवार को जेपीएनआईसी के आसपास यातायात प्रतिबंध की घोषणा की। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह कदम किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उठाया गया है। हाल के दिनों में, राजनीतिक गतिविधियों के कारण इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन सतर्क है।
हालांकि, पुलिस ने यह स्पष्ट नहीं किया कि टिन की चादरें लगाकर केंद्र को बंद करने का आदेश किसने दिया और इसके पीछे क्या कारण थे। इस मुद्दे पर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह मामला राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है।
राजनीतिक विवाद की जड़ें
यह विवाद न सिर्फ जेपीएनआईसी के द्वार बंद करने पर केंद्रित है, बल्कि इसके पीछे छिपे राजनीतिक मंशाओं की भी चर्चा हो रही है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि भाजपा सरकार जानबूझकर ऐसे कदम उठा रही है जिससे समाजवादी विचारधारा और इसके नेताओं का अपमान हो। वहीं, भाजपा का पक्ष अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन यह मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।
अखिलेश यादव का जेपीएनआईसी दौरा और टिन की चादरों से मुख्य द्वार बंद होने की घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह घटना केवल एक स्थानिक विवाद नहीं है, बल्कि इसके पीछे समाजवादी और भाजपा की वैचारिक लड़ाई भी छिपी है। यह देखना बाकी है कि आने वाले दिनों में यह विवाद कैसे आकार लेता है, और क्या भाजपा सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया देती है या नहीं।
समाजवादी पार्टी जहां इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, वहीं भाजपा का रुख इस मुद्दे पर क्या होगा, यह देखने लायक होगा।