
गोंडा 21 नवंबर। जिले में निराश्रित गोवंशों के संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान में तेजी आई है। इस अभियान के तहत प्रशासन ने तीन महीनों के भीतर 2355 निराश्रित गोवंशों को संरक्षण प्रदान किया है। साथ ही, जिलाधिकारी द्वारा की गई अपील के बाद जनपद के शस्त्र धारकों ने भी बड़ी संख्या में गोवंशों को गोद लेकर इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। यह अभियान न केवल गोवंश संरक्षण के लिए एक बड़ी पहल है, बल्कि यह समाज और पर्यावरण के हित में भी एक सकारात्मक कदम है।
तीन महीनों में 2355 गोवंशों को मिला संरक्षण
गोंडा जिले में अगस्त से लेकर नवंबर के मध्य तक 2355 निराश्रित गोवंशों को गोशालाओं में सुरक्षित स्थान दिया गया है। प्रशासन ने इन गोवंशों को उनकी स्थिति और ज़रूरत के अनुसार निकट की गोशालाओं में संरक्षित किया।
महीनेवार गोवंश संरक्षण का आंकड़ा:
- अगस्त: 621 गोवंश संरक्षित
- सितंबर: 835 गोवंश संरक्षित
- अक्टूबर: 502 गोवंश संरक्षित
- 1 नवंबर से 19 नवंबर तक: 397 गोवंश संरक्षित
इन आंकड़ों से साफ होता है कि जिलाधिकारी की सख्ती और प्रशासन की सक्रियता के कारण निराश्रित गोवंशों के संरक्षण में निरंतर प्रगति हो रही है।
शस्त्र धारकों की भागीदारी: गोवंश संरक्षण में नया कदम
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने शस्त्र धारकों से गोवंश संरक्षण अभियान में भाग लेने की अपील की थी। इसका सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि अब तक शस्त्र धारकों ने 2000 से अधिक गोवंशों को गोद लिया है। इन गोवंशों को उनके भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाओं के साथ सुरक्षित गोशालाओं में स्थानांतरित किया गया है। जिलाधिकारी का मानना है कि शस्त्र धारकों की भागीदारी न केवल इस अभियान को सफल बनाएगी, बल्कि समाज में एक नई प्रेरणा भी प्रदान करेगी। यह पहल पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
लापरवाही पर जिलाधिकारी का सख्त रुख
हालांकि, इस अभियान की प्रगति में धीमी गति और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि गोवंश संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिन क्षेत्रों में प्रगति धीमी रही, वे हैं:
1. विकास खंड:
- बेलसर
- छपिया
- बभनजोत
- पण्डरी कृपाल
नगर पंचायत:
- खरगूपुर
- धानेपुर
- परसपुर
- तरबगंज
- बेलसर
इन क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा संतोषजनक प्रगति न होने पर जिलाधिकारी ने जवाब तलब किया है। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे नियमित निरीक्षण करें और कार्रवाई की रफ्तार तेज करें।
डीएम ने दी सख्त हिदायत:
लापरवाह अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गोवंश संरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं। समयबद्ध रिपोर्टिंग और सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय को अनिवार्य किया गया है।
आम जनता की भूमिका: जागरूकता और सहयोग की अपील
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने आम जनता से भी गोवंश संरक्षण में सहयोग करने की अपील की है। इसके लिए प्रशासन ने दो हेल्पलाइन नंबर (9838178789 और 05262232367) जारी किए हैं। इन नंबरों पर कॉल करके जनपदवासी निराश्रित गोवंशों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। जिलाधिकारी ने कहा, “यह अभियान न केवल निराश्रित पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है, बल्कि यह समाज और पर्यावरण के लिए भी जरूरी है। जनपद के हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इस पहल में अपना योगदान दे।”
गोवंश संरक्षण की प्रक्रिया और प्रशासन का प्रयास
गोंडा जिले में गोवंश संरक्षण अभियान को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने कई स्तरों पर काम किया है।
- गोशालाओं का विस्तार और निगरानी:
प्रशासन ने गोशालाओं की क्षमता बढ़ाई है और उन्हें बेहतर सुविधाओं से लैस किया है। गोशालाओं की नियमित निगरानी भी सुनिश्चित की जा रही है। - गोवंश का पुनर्वास:
निराश्रित गोवंशों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार गोशालाओं में स्थानांतरित किया जा रहा है। यहां उनकी चिकित्सा, भोजन और पानी की व्यवस्था की जा रही है। - जनभागीदारी:
शस्त्र धारकों और आम जनता की भागीदारी से इस अभियान को मजबूती मिली है। प्रशासन ने इसे एक सामुदायिक अभियान का रूप देने का प्रयास किया है। - अधिकारियों की जिम्मेदारी:
जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे गोवंश संरक्षण प्रक्रिया में अपनी भूमिका स्पष्ट करें और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें।
गोवंश संरक्षण का महत्व: समाज और पर्यावरण पर प्रभाव
जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गोवंश संरक्षण अभियान को समाज और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण करार दिया है। उनका कहना है कि निराश्रित गोवंश न केवल यातायात और कृषि क्षेत्र के लिए चुनौती बनते हैं, बल्कि उनका संरक्षण पर्यावरण संतुलन और समाज की जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। गोवंशों को गोशालाओं में रखने से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है और वे सड़क दुर्घटनाओं का कारण नहीं बनते। इसके अलावा, गोवंश संरक्षण से पशुपालन और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलता है।
गोंडा: गोवंश संरक्षण के लिए मिसाल बनने की ओर
जिलाधिकारी नेहा शर्मा के नेतृत्व में गोंडा जिले में गोवंश संरक्षण अभियान ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। शस्त्र धारकों और जनता की भागीदारी से यह अभियान न केवल सफल हो रहा है, बल्कि यह अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा बन रहा है। इस अभियान के तहत प्रशासन ने तीन मुख्य लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया है:
- निराश्रित गोवंशों की सुरक्षा: गोवंशों को गोशालाओं में सुरक्षित रखना।
- समाज की जागरूकता: जनता को अभियान से जोड़ना।
- पारदर्शिता और जिम्मेदारी: अधिकारियों को नियमित निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए प्रेरित करना।
गोवंश संरक्षण में गोंडा का नया अध्याय
जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सख्ती और समर्पण ने गोंडा जिले को निराश्रित गोवंश संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल बना दिया है। तीन महीनों में 2355 गोवंशों का संरक्षण, शस्त्र धारकों द्वारा 2000 गोवंशों को गोद लेना, और जनता की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि जब प्रशासन और समाज एक साथ काम करते हैं, तो बड़े बदलाव संभव होते हैं।
डीएम नेहा शर्मा का कहना है कि यह अभियान केवल पशुओं की सुरक्षा के लिए नहीं है, बल्कि यह समाज, पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है। गोंडा जिले का यह प्रयास दिखाता है कि सामूहिक इच्छाशक्ति से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।