
गोंडा, 26 नवंबर। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत लाभार्थियों द्वारा आवंटित धनराशि के बावजूद अधूरे पड़े आवास निर्माण कार्यों के मामले में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने सख्त कार्रवाई करते हुए कड़ी चेतावनी दी है। जिला विकास अधिकारी द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कई लाभार्थियों ने योजनान्तर्गत धनराशि तो प्राप्त कर ली, लेकिन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं कराया। इस अनियमितता के चलते सरकारी धन का दुरुपयोग और पात्र लाभार्थियों के साथ अन्याय होने की आशंका जताई जा रही है।
मामले की शुरुआत और जांच रिपोर्ट का खुलासा
यह मामला गोंडा जिले के करनैलगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत पाण्डेय चौरा का है। जिला विकास अधिकारी की जांच में पाया गया कि 11 लाभार्थियों में से:
1. 03 लाभार्थी: आवास निर्माण कार्य बिल्कुल शुरू नहीं किया।
2. 01 लाभार्थी: केवल नींव स्तर तक कार्य हुआ।
3. 07 लाभार्थी: दीवारों की चिनाई के बाद छत का कार्य अधूरा छोड़ दिया गया।
सबसे चिंताजनक तथ्य यह था कि इन सभी लाभार्थियों को बिना स्थल पर भौतिक सत्यापन किए ही योजना की दूसरी और तीसरी किश्तें जारी कर दी गईं। यह अनियमितता प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।
जिलाधिकारी नेहा शर्मा का कड़ा रुख
जांच रिपोर्ट के सामने आते ही जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने आदेश दिया कि-
1. लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई: जिन अधिकारियों ने लाभार्थियों का सत्यापन किए बिना किश्तों को स्वीकृत किया, उनके खिलाफ जवाबदेही तय की जाए।
2. लाभार्थियों पर सख्त कार्रवाई: जिन लाभार्थियों ने धनराशि का दुरुपयोग किया है, उनसे राशि की वसूली सुनिश्चित की जाए और कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. पारदर्शिता का अनुपालन: भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता से बचने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को सख्त किया जाए।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि आगामी 10 दिनों के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
प्रधानमंत्री आवास योजना: उद्देश्य और चुनौतियां
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का उद्देश्य है कि हर गरीब परिवार को 2024 तक पक्के घर की सुविधा प्रदान की जाए। इसके अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि, इस योजना में समय-समय पर भ्रष्टाचार और लापरवाही की घटनाएं सामने आती रही हैं।
गोंडा जिले का यह मामला भी ऐसे ही भ्रष्टाचार का उदाहरण है, जहां बिना स्थल निरीक्षण के धनराशि जारी कर दी गई। इससे न केवल योजना की साख पर बट्टा लगता है, बल्कि वास्तविक जरूरतमंद लोग इस लाभ से वंचित रह जाते हैं।
जिलाधिकारी का विजन और कार्यशैली
जिलाधिकारी नेहा शर्मा अपनी पारदर्शी और सख्त प्रशासनिक कार्यशैली के लिए जानी जाती हैं। इससे पहले भी उन्होंने जिले में सरकारी योजनाओं में अनियमितताओं पर कई बड़ी कार्रवाई की है। उनका मानना है कि योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं लोगों तक पहुंचना चाहिए, जो वास्तव में पात्र हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य गरीबों को सशक्त बनाना है, न कि सरकारी धन का दुरुपयोग करना। उन्होंने सभी विकासखंड अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रत्येक लाभार्थी के घर की भौतिक प्रगति की नियमित जांच की जाए और कोई भी गड़बड़ी पाए जाने पर त्वरित कार्रवाई की जाए।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी की इस कार्रवाई से स्थानीय जनता में सकारात्मक संदेश गया है। लोगों का मानना है कि इस प्रकार की सख्ती से सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ मिलेगा।
ग्राम पंचायत पाण्डेय चौरा के एक निवासी रामनाथ यादव ने कहा, “यह अच्छा हुआ कि समय रहते अनियमितता पकड़ में आ गई। यदि ऐसी कार्रवाई नहीं होती, तो असली जरूरतमंद लोग इस योजना से वंचित रह जाते।”
भविष्य की योजनाएं और सुझाव
जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री आवास योजना में भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई कदम उठाने की बात कही है:
1. डिजिटल निगरानी: आवास निर्माण कार्य की प्रगति को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा।
2. स्वतंत्र निरीक्षण टीम: प्रत्येक विकासखंड में स्वतंत्र निरीक्षण टीम बनाई जाएगी, जो सभी आवासों का सत्यापन करेगी।
3. जागरूकता अभियान: लाभार्थियों को उनके अधिकार और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाएगा।
प्रभात भारत विशेष
जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा उठाए गए सख्त कदम न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे। यह कार्रवाई अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण बनेगी और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की सफलता में मदद करेगी।
गोंडा जिले में उठाए गए इन कदमों से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन अब किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करेगा। सरकारी धन का दुरुपयोग रोकने और पात्र लाभार्थियों को सशक्त बनाने के लिए यह प्रयास एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।