
गोंडा, 14 नवम्बर। जिले में रबी की फसल की तैयारियों के बीच किसानों को खाद की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने ठोस कदम उठाए हैं। किसानों को रबी सीजन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की किल्लत न हो, इसके लिए जिले की सहकारी समितियों को उर्वरक की उपलब्धता और वितरण की विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिले में 140 सहकारी बिक्री केन्द्रों के माध्यम से उर्वरक वितरण का कार्य किया जा रहा है, जिनका संचालन 67 कर्मचारी देख रहे हैं। सीमित संख्या में कर्मचारियों के चलते जिला प्रशासन ने रोस्टर के आधार पर समितियों पर उपस्थिति दर्ज कराई है ताकि खाद का वितरण सुचारू रूप से हो सके।
सीमित कर्मचारियों पर दोहरी जिम्मेदारी
जिले में कुल 140 सहकारी समितियां हैं, लेकिन इन सभी का प्रभार मात्र 67 कर्मचारियों के पास है। इसका अर्थ है कि हर सचिव को औसतन दो या उससे अधिक सहकारी समितियों का प्रभार संभालना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, एक सचिव की उपस्थिति हर समय सभी समितियों पर नहीं हो सकती। इसलिए जिला प्रशासन ने एक रोस्टर प्रणाली लागू की है, जिसके तहत सचिवों की उपस्थिति की निगरानी की जा रही है। हर सचिव को अपनी संबंधित समितियों पर उपस्थित रहना अनिवार्य किया गया है, ताकि किसी भी समिति पर खाद वितरण में अनियमितता न हो।
जिलाधिकारी ने बताया कि समितियों पर सचिवों की उपस्थिति का रोस्टर बनाया गया है, जो समितियों पर अंकित रहेगा। साथ ही, सचिवों को इस रोस्टर का पालन करना अनिवार्य है। यदि कोई सचिव इस व्यवस्था का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि जिले में खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सहकारी क्षेत्र में इस समय 2,300 मैट्रिक टन (यानी 46,000 बोरी) डीएपी उर्वरक का भंडारण किया गया है, जो आवश्यकता के अनुसार बिक्री केन्द्रों को आवंटित की जा रही है। इसके अलावा, बफर स्टॉक में भी 579 मैट्रिक टन (यानी 11,580 बोरी) डीएपी उपलब्ध है, जो जरूरत पड़ने पर वितरित की जाएगी। इस तरह, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि डीएपी का पर्याप्त स्टॉक तैयार रहे ताकि किसानों को किसी प्रकार की समस्या न हो।
जिला प्रशासन ने यह भी कहा है कि उर्वरक का वितरण केवल उन्हीं किसानों को किया जाएगा जो अपनी खतौनी के आधार पर खाद प्राप्त करने आएंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जरूरतमंद किसानों को ही खाद प्राप्त हो और वितरण में पारदर्शिता बनी रहे।
वितरण प्रक्रिया पर सख्त निगरानी
जिले के सभी बिक्री केन्द्रों पर खाद वितरण की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए प्रशासन ने राजस्व विभाग के लेखपालों और कृषि विभाग के कर्मचारियों को भी ड्यूटी पर तैनात किया है। उनकी उपस्थिति में उर्वरक का वितरण हो रहा है, ताकि किसानों को खाद उचित मात्रा में मिल सके और कालाबाजारी की संभावनाओं पर रोक लगाई जा सके।
राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमित रूप से बिक्री केन्द्रों का निरीक्षण करें और वहां उर्वरक वितरण की निगरानी करें। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खाद का वितरण सही तरीके से हो और किसी प्रकार की अनियमितता न हो। जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि खाद वितरण की प्रक्रिया में यदि किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है, तो संबंधित अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार माने जाएंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकतम 5 बोरी की सीमा
जिला प्रशासन ने यह भी आदेश दिया है कि किसी भी किसान को एक बार में अधिकतम 5 बोरी डीएपी खाद ही दी जाएगी। यह नियम लागू करने का उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक किसानों को खाद प्राप्त हो सके और कोई भी किसान खाद से वंचित न रह जाए। इस सीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा, और इसके तहत खाद वितरण किया जाएगा।
खाद की उपलब्धता को लेकर किसी भी शिकायत या सूचना के लिए प्रशासन ने दो हेल्पलाइन नंबर (9450311573 और 9415064616) भी जारी किए हैं। किसान इन नंबरों पर खाद की कमी, कालाबाजारी या अधिक मूल्य पर खाद बिक्री की शिकायत कर सकते हैं। शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
कालाबाजारी और अधिक मूल्य पर विक्रय पर सख्त कार्रवाई
जिला प्रशासन ने खाद वितरण में कालाबाजारी और अधिक मूल्य पर बिक्री की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिलाधिकारी ने कहा है कि यदि किसी भी किसान को अधिक मूल्य पर खाद बेची जाती है, तो इसकी शिकायत तुरंत दर्ज की जाए। सहकारी समितियों पर किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है। कालाबाजारी की रोकथाम के लिए नियमित निरीक्षण की व्यवस्था की गई है, जिसमें कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारी शामिल होंगे।
किसानों को राहत देने के प्रयास
गोंडा जिले में खाद की कमी को लेकर पिछले कुछ समय से किसानों में चिंता देखी जा रही थी। प्रशासन ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए विशेष प्रबंध किए हैं ताकि किसान अपने रबी फसल के लिए समय पर खाद प्राप्त कर सकें। डीएपी खाद की उपलब्धता और वितरण में पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है। जिलाधिकारी का कहना है कि यह कदम किसानों के लिए राहत प्रदान करने का एक प्रयास है, ताकि वे किसी भी प्रकार की समस्या के बिना अपनी फसल की तैयारी कर सकें।
भविष्य की योजनाएं और संभावित चुनौतियां
जिला प्रशासन ने संकेत दिया है कि यदि भविष्य में खाद की मांग बढ़ती है, तो इसके लिए बफर स्टॉक को और बढ़ाया जाएगा। गोंडा जिले में प्रशासन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को बिना किसी परेशानी के खाद मिल सके। प्रशासन ने भविष्य में संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयारियां की हैं और जरूरत पड़ने पर अन्य जिलों से भी खाद की आपूर्ति की योजना बनाई जा रही है।
सहकारी समितियों की भूमिका
गोंडा जिले की सहकारी समितियां किसानों को खाद उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जिले में कुल 140 सहकारी बिक्री केन्द्रों के माध्यम से उर्वरक वितरण का कार्य किया जा रहा है। सहकारी समितियां, किसानों को उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सहकारी समितियों पर वितरण कार्य को और अधिक सुगम बनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग भी लिया जा रहा है, ताकि खाद वितरण में कोई बाधा न आए और किसानों को सही समय पर खाद मिल सके।
गोंडा जिले में रबी की फसल के मद्देनजर प्रशासन ने किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। सीमित कर्मचारियों के बावजूद प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि खाद का वितरण सुचारू रूप से हो और कालाबाजारी पर नियंत्रण हो। जिले के सहकारी समितियों पर किसानों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। जिला प्रशासन की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि किसी भी किसान को खाद की कमी न झेलनी पड़े। प्रशासन द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर और निगरानी तंत्र से खाद वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और किसानों के अधिकारों की रक्षा की जा रही है।