
ब्यूरो रिपोर्ट- अतुल कुमार यादव
गोंडा– परसपुर और करनैलगंज ब्लॉक में मनरेगा कानून की अनदेखी कर ठेकेदारी से काम कराने का खुलासा हुआ है। मनरेगा एक्ट में सीधे तौर पर ठेका प्रथा अपराध माना गया है। ब्लॉक से लेकर पंचायतों के कामकाज में बिना श्रमिक लगाए ही काम कराया जा रहा है और फिर श्रमिकों के नाम पर भुगतान किए जा रहे हैं। इसके खुलासे पर सीडीओ ने दो ब्लॉकों के बीडीओ से जवाब- तलब करने के साथ ही जिलाधिकारी को पूरी रिपोर्ट भेजी है। माना जा रहा है कि इसमें कार्रवाई तय होगी।मनरेगा से जिले के करीब दो लाख श्रमिकों को सौ दिन के रोजगार देने की योजना वित्तीय वर्ष में तैयार किया गया है। मनरेगा के बजट में 60 फीसदी बजट श्रमिकों के कार्य पर भुगतान करने की व्यवस्था है। ठेकेदारों की दखल रोके ही नहीं, वह कानून उल्लंघन का मामला है। परसपुर के बसंतपुर गांव की एक परियोजना पर नजर दौड़ाएं तो वहां पर श्रमिकों से काम लिए बिना काम कराया गया। जटाधारी रैंप से अलखा तक भूमि विकास कार्य पर 36 श्रमिकों से कार्य लिया जाना था। सीडीओ की ओर से कराई गई जांच में यह मामला सामने आया कि यहां पर कार्य पहले ही करा लिया गया। श्रमिकों के नाम पर भुगतान लिए जाने की तैयारी है।
परसपुर में श्रमिकों से बिना कार्य कराए ही भुगतान लिया जा रहा है। करनैलगंज ब्लॉक के सकरौरा ग्रामीण में सुखविंदर सिंह के खेत से हीरासिंह के खेत तक मिट्टी पटाई कार्य के लिए 3.87 लाख का बजट तय किया गया। यहां भी श्रमिकों से कार्य कराने के बजाए ठेकेदार से कार्य कराए जाने की बात सामने आई। यहां पर तीन परियोजनाओं में 55 श्रमिकों के नाम से भुगतान लिए जाने की कार्रवाई की जा रही है। इससे यह बात सामने आई कि परसपुर व करनैलगंज में मनरेगा कानून की अनदेखी कर ठेकेदार से कार्य कराया जा रहा है। सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने दोनों ब्लॉक के खंड विकास अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने मनरेगा नियमों की अनदेखी कर भुगतान किए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही कार्रवाई शुरू कर दी है।
दोनों ब्लॉकों के अभिलेखों में हो रहा खेल
मनरेगा के कार्यों की कराई गई जांच में ब्लॉक कार्यालय की भी भूमिका भी संदेह से घिर गई है। सीडीओ ने बताया कि परसपुर ब्लॉक में कार्य करने की स्वच्छ और पारदर्शितापूर्ण प्रणाली विकसित ही नहीं की गई है। मनमानी हो रही है। उन्होंने बताया कि स्वीकृति रजिस्टर पर विवरण दर्ज करने में अनियमितता हो रही है। इसके अलावा पंजिका अपडेट ही नही। यही नहीं ब्लॉक में मनरेेगा की पत्रावलियां और अभिलेखों का रखरखाव ठीक नहीं है। सत्यापन में यह बात सामने आई है कि पूर्व में कराए गए कार्यों पर ही श्रमिकों का मस्टररोल जारी किया गया है। ब्लॉक में ठेकेदारी होने की बात सामने आई है। इसी तरह करनैलगंज ब्लॉक में भी जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस तरह दोनों ब्लॉक में हो रहे खेल अब प्रशासन की पकड़ में आया है। दोनों ब्लॉक प्रशासन के निशाने पर आ गए हैं।
वहीं सीडीओ ने बताया कि मनरेगा में ठेकेदारी प्रथा पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बाद भी दो ब्लॉकों में अनियमितता का मामला सामने आया है। बीडीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है, प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। मनरेगा में किसी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।