बाराबंकी, 25 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (UPAJ) के प्रदेश महासचिव राधेश्याम कर्ण का शुक्रवार को हृदयगति रुकने से आकस्मिक निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी बेबाक लेखनी, निर्भीक दृष्टिकोण और पत्रकार हितों के लिए किए गए संघर्षों की वजह से वह पत्रकारों के बीच एक प्रेरणास्रोत के रूप में जाने जाते थे। उनका यूं अचानक चले जाना पूरे पत्रकार समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
एक मजबूत नेतृत्व की पहचान
राधेश्याम कर्ण न केवल एक वरिष्ठ पत्रकार थे, बल्कि उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (UPAJ) के प्रदेश महासचिव के रूप में उनके नेतृत्व की अलग पहचान थी। उन्होंने अपने संगठनात्मक कौशल और कर्मठता से UPAJ को प्रदेशभर में पत्रकारों के हितों के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत बनाए रखा। उनके प्रभावी नेतृत्व के चलते UPAJ पत्रकारों की समस्याओं और अधिकारों को लेकर सदैव मुखर रहा।
उनकी यह कुशल नेतृत्व क्षमता ही थी कि संगठन में एकजुटता और समर्पण का वातावरण बना रहा। उन्होंने हमेशा पत्रकारों की सुरक्षा, स्वतंत्रता और उनके कार्य की गरिमा को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया। कर्ण के प्रयासों के चलते UPAJ ने पत्रकारों के लिए कई सुविधाओं और अधिकारों की मांग की थी, जिनमें कई मुद्दों पर उन्हें सफलता भी मिली।
बेबाक लेखनी और निर्भीक पत्रकारिता
राधेश्याम कर्ण अपनी लेखनी के लिए जाने जाते थे। पत्रकारिता के क्षेत्र में वह सदैव सच के पक्ष में खड़े रहे और बिना किसी दबाव के समाज के हित में लिखते रहे। उनकी लेखनी में एक निर्भीकता थी, जो उन्हें अन्य पत्रकारों से अलग बनाती थी। उन्होंने हमेशा समाज के उन मुद्दों को उठाया जिन पर लोग बोलने से कतराते थे। उनकी बेबाक लेखनी ने कई मुद्दों को जनता के समक्ष लाने का कार्य किया, जिससे वे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान रखते थे।
शोकसभा का आयोजन, वरिष्ठ पत्रकारों ने दी श्रद्धांजलि
राधेश्याम कर्ण के निधन की सूचना के बाद बाराबंकी जिले में UPAJ के स्थानीय पदाधिकारियों और अन्य वरिष्ठ पत्रकारों ने एक शोकसभा का आयोजन किया। इस शोकसभा में UPAJ की बाराबंकी इकाई के जिला संयोजक दिलीप कुमार श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष नितिन श्रीवास्तव, जिला महामंत्री रत्नेश कुमार, उपाध्यक्ष सतीश कश्यप और कोषाध्यक्ष जितेंद मौर्य सहित कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भाग लिया।
शोकसभा के दौरान सभी ने स्वर्गीय राधेश्याम कर्ण के योगदान और उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा में उपस्थित पत्रकारों ने उनके निधन को पत्रकार समाज के लिए एक बड़ी क्षति बताया और कहा कि उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। उनकी विचारधारा और संघर्ष का रास्ता सभी पत्रकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि
शोकसभा में UPAJ बाराबंकी इकाई के जिला संयोजक दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा, “राधेश्याम कर्ण जी ने अपने कार्यकाल में पत्रकारिता की गरिमा और पत्रकारों की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए न सिर्फ संघर्ष किया बल्कि अपनी लेखनी और संगठनात्मक क्षमता से एक मिसाल कायम की। वह हमेशा पत्रकारों के अधिकारों की बात करते रहे और उनके हित में कई बार सरकार से टकराते भी रहे। उनका निधन एक गहरी क्षति है, जिसे भरना असंभव है।”
UPAJ के लिए अपूरणीय क्षति
UPAJ के अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि राधेश्याम कर्ण का निधन संगठन के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके नेतृत्व में संगठन ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और पत्रकारों के लिए एक मजबूत मंच की स्थापना की। उनके जाने से संगठन में एक खालीपन आ गया है, जिसे भरना आसान नहीं होगा। जिलाध्यक्ष नितिन श्रीवास्तव ने कहा कि उनके सिद्धांतों और विचारों को सभी आगे बढ़ाएंगे ताकि उनकी स्मृति हमेशा जीवित रहे।
पत्रकारों के लिए एक आदर्श व्यक्तित्व
राधेश्याम कर्ण के निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। उनका आदर्श और सिद्धांत उन सभी पत्रकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो पत्रकारिता को सिर्फ एक पेशे के रूप में नहीं बल्कि समाज सेवा के एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में देखते हैं। उनके साथी और सहकर्मी उन्हें एक निडर, ईमानदार और समर्पित पत्रकार के रूप में याद करते हैं।
उनके निधन पर पत्रकारों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राधेश्याम कर्ण की तरह निडर पत्रकारिता का ध्वज लेकर आगे बढ़ना सभी के लिए कठिन होगा, लेकिन उनकी स्मृति में उनके आदर्शों पर चलते हुए उनकी कमी को पूरा करने का प्रयास करेंगे।
समाज सेवा और पत्रकारिता में योगदान
राधेश्याम कर्ण न केवल पत्रकार थे बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने कई कार्य किए। उन्होंने हमेशा समाज के कमजोर और पीड़ित वर्गों के अधिकारों की आवाज उठाई। वह मानते थे कि पत्रकारिता का उद्देश्य केवल खबरों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के सुधार और सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयास करना भी पत्रकार का धर्म है। उनकी यह सोच पत्रकारिता के क्षेत्र में नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।
राधेश्याम कर्ण के आकस्मिक निधन से पत्रकारिता जगत में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है। उनके संघर्षों, विचारों और योगदानों को हमेशा याद किया जाएगा। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर पत्रकारिता के उच्च आदर्शों को स्थापित करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

