
गोंडा, 17 जनवरी। कड़ाके की ठंड से जूझते जनजीवन के बीच जिला प्रशासन ने रैन बसेरों और अलाव व्यवस्था में अनियमितता को गंभीरता से लिया है। करनैलगंज और जिला महिला अस्पताल के रैन बसेरों से जुड़ी शिकायतों पर जिलाधिकारी (डीएम) ने सख्त कदम उठाते हुए संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। प्रशासन की प्राथमिकता ठंड के दौरान जनसुविधाओं की सुचारु व्यवस्था बनाए रखना है।
रैन बसेरों की अनियमितता पर डीएम की चेतावनी
गोंडा जिले में रैन बसेरों और अलाव की व्यवस्था को लेकर कई शिकायतें सामने आईं। इनमें करनैलगंज रैन बसेरे के रात 11 बजे बंद होने की घटना ने प्रशासन को गंभीर कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। डीएम ने इसे आपदा प्रबंधन के नियमों का उल्लंघन मानते हुए कड़ी नाराजगी जताई। संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) को निर्देश दिया गया है कि वे दोषी कर्मचारियों की पहचान कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करें।
महिला अस्पताल और अन्य जगहों पर औचक निरीक्षण
जिलाधिकारी ने गुरुवार रात जिला महिला अस्पताल के रैन बसेरे का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान वहां व्यवस्था ठीक पाई गई, लेकिन उन्होंने सतर्कता बनाए रखने के निर्देश दिए। डीएम ने झूलेलाल चौराहा और गुरुनानक चौराहे पर अलाव की स्थिति का भी जायजा लिया। कुछ स्थानों पर अलाव की कमी देखने को मिली, जिस पर उन्होंने तुरंत समाधान के निर्देश दिए।
शासन की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का प्रयास
राज्य सरकार ने ठंड के दौरान जरूरतमंद लोगों को राहत देने के लिए अलाव और रैन बसेरों की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इसके तहत तहसील स्तर पर अधिकारियों को इन सुविधाओं की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। डीएम ने स्पष्ट किया कि योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
करनैलगंज में रैन बसेरा बंद मिलने पर नाराजगी
करनैलगंज के रैन बसेरे की शिकायत पर विशेष ध्यान दिया गया। दो दिन पहले रात 11 बजे यह रैन बसेरा बंद पाया गया था। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने एसडीएम करनैलगंज को तत्काल जांच कर दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। डीएम ने निर्देश दिए कि रैन बसेरों को 24 घंटे खुला रखा जाए और वहां पर्याप्त कंबल, बिस्तर और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित हो।
अलाव स्थलों की जांच के आदेश
जिलाधिकारी ने करनैलगंज, मनकापुर, और तरबगंज के एसडीएम को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अलाव स्थलों का निरीक्षण करें। यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि अलाव सही समय पर जलाए जाएं और पर्याप्त ईंधन उपलब्ध हो। कुछ ग्रामीण इलाकों से मिली शिकायतों के बाद डीएम ने यह भी आदेश दिए कि प्राथमिकता के आधार पर सड़कों, चौपालों, और अस्पतालों के पास अलाव की सुविधा हो।
जनसुविधाओं में लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि रैन बसेरों और अलाव व्यवस्था जैसी जनसुविधाओं में लापरवाही किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि वे अपनी जिम्मेदारियां गंभीरता से निभाएं। डीएम ने कहा, “हमारा उद्देश्य ठंड से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाना है। किसी भी स्तर पर अनदेखी से संबंधित अधिकारी जवाबदेह होंगे।”
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों की भूमिका
रैन बसेरों और अलाव व्यवस्था को लेकर स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। कई जगहों पर समाजसेवियों ने ठंड से जूझ रहे लोगों के लिए भोजन, कंबल और गर्म कपड़ों की व्यवस्था की। डीएम ने ऐसे प्रयासों की सराहना की और अन्य लोगों को भी सहयोग के लिए प्रेरित किया।
प्रशासन की प्राथमिकताएं
प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि आगामी दिनों में ठंड से निपटने के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए जाएंगे। सभी तहसील मुख्यालयों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो रैन बसेरों और अलाव स्थलों की स्थिति की निगरानी करेगा। डीएम ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में लापरवाही या शिकायत पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समस्याओं को दूर करने की दिशा में उठाए गए कदम
1. अलाव जलाने के निर्देश: ईंधन आपूर्ति और अलाव की समयबद्ध व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
2. रैन बसेरों की निगरानी: प्रत्येक तहसील में रैन बसेरों की स्थिति की रिपोर्ट प्रतिदिन डीएम कार्यालय को भेजी जाएगी।
3. जनभागीदारी बढ़ाना: प्रशासन ने एनजीओ और स्थानीय समूहों से अपील की है कि वे जरूरतमंदों की मदद में योगदान दें।
जनता की प्रतिक्रिया
जिले के लोगों ने डीएम के इस कड़े कदम की सराहना की है। स्थानीय निवासी रंजीत वर्मा ने कहा, “ठंड के मौसम में प्रशासन का यह सख्त रवैया जरूरतमंदों के लिए बड़ी राहत है।” वहीं, महिला अस्पताल में मौजूद एक मरीज के परिजन ने बताया कि रैन बसेरे में पर्याप्त व्यवस्था से उन्हें ठंड से बचाव में मदद मिली।
जिला प्रशासन की सक्रियता ने यह साबित कर दिया है कि जनता की भलाई उनकी प्राथमिकता है। रैन बसेरों और अलाव व्यवस्था को लेकर उठाए गए कड़े कदम जरूरतमंदों के लिए राहत का संकेत हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इन निर्देशों को जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाता है।