सैंडो बनियान और हाफ नेकर में जनसुनवाई का वीडियो वायरल
हाथरस, सिकंद्राराऊ 11 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक बार फिर से पुलिस की लापरवाही का मामला सामने आया है। सिकंद्राराऊ कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत अगसोली पुलिस चौकी में दो पुलिसकर्मियों का सैंडो बनियान और हाफ नेकर पहनकर जनसुनवाई करने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो के वायरल होते ही पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
वायरल वीडियो ने उठाए सवाल
जनसुनवाई, जिसका उद्देश्य जनता की समस्याओं को सुनना और उनका निवारण करना होता है, एक बेहद गंभीर प्रक्रिया मानी जाती है। लेकिन हाथरस के अगसोली पुलिस चौकी में, इस प्रक्रिया को बेहद लापरवाही और अपमानजनक तरीके से अंजाम दिया गया। वायरल हो रहे वीडियो में दो पुलिसकर्मी, जिनकी पहचान चौकी में तैनात कांस्टेबल के रूप में की जा रही है, सैंडो बनियान और हाफ नेकर में बैठकर जनसुनवाई कर रहे हैं। इस वीडियो में दिखाया गया है कि चौकी पर आए लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इन पुलिसकर्मियों से बात कर रहे हैं, जबकि पुलिसकर्मी बेहद अनौपचारिक और असंवेदनशील तरीके से बातचीत कर रहे हैं।
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूजर्स ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि जनसुनवाई जैसे गंभीर कार्य को पुलिसकर्मियों ने एक मजाक बना दिया है। वीडियो में जिस तरह से पुलिसकर्मी बैठकर जनसुनवाई कर रहे हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का कोई आभास नहीं है।
पुलिस की वर्दी की मर्यादा
भारत में पुलिसकर्मियों को उनकी वर्दी के माध्यम से पहचाना जाता है, और यह वर्दी उनके अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक मानी जाती है। पुलिसकर्मियों की वर्दी का उद्देश्य न केवल उनकी पहचान कराना होता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होता है कि वे अपनी ड्यूटी के प्रति सजग और जिम्मेदार हैं। लेकिन इस मामले में वर्दी की मर्यादा का उल्लंघन साफ तौर पर देखा जा सकता है।
वर्दी के बिना, और सैंडो बनियान और हाफ नेकर जैसे आरामदायक कपड़ों में जनसुनवाई करना न केवल पुलिसकर्मियों की अनुशासनहीनता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि उन्हें अपनी ड्यूटी और जनता की समस्याओं का कोई संज्ञान नहीं है। यह एक ऐसा मामला है, जो पूरे पुलिस विभाग के लिए शर्मनाक साबित हो सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग इसे पुलिस विभाग की लापरवाही का एक और उदाहरण मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे अनुशासनहीनता और जनता के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बता रहे हैं। कई यूजर्स ने इस वीडियो को साझा करते हुए पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
एक यूजर ने लिखा, “जनसुनवाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को पुलिसकर्मी अगर इस तरह से करेंगे, तो जनता का पुलिस पर से विश्वास उठ जाएगा। यह पूरी तरह से गैरजिम्मेदाराना और अनुचित है।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “पुलिसकर्मियों को समझना चाहिए कि वे एक सार्वजनिक सेवा में हैं और उन्हें अपनी ड्यूटी के दौरान उचित अनुशासन बनाए रखना चाहिए। इस तरह की हरकतें पूरी पुलिस फोर्स की छवि खराब करती हैं।”
स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
इस घटना के सामने आने के बाद कई स्थानीय नेताओं ने भी पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे पुलिस की लापरवाही और अनुशासनहीनता का जीता-जागता उदाहरण बताया है। कुछ नेताओं ने इस घटना को लेकर जिला प्रशासन से तत्काल जांच की मांग की है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
एक स्थानीय नेता ने कहा, “यह घटना बेहद शर्मनाक है। पुलिसकर्मी जिन पर जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है, वे इस तरह से लापरवाही और असंवेदनशीलता दिखा रहे हैं। ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
पुलिस प्रशासन का बयान
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। पुलिस अधीक्षक (SP) ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि वर्दी एक पुलिसकर्मी की पहचान होती है और उसे किसी भी स्थिति में वर्दी की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले की पूरी तरह से जांच की जाएगी और दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
पुलिसकर्मियों की लापरवाही पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से पुलिसकर्मियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अक्सर पुलिसकर्मियों पर लापरवाही और अनुशासनहीनता के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस प्रकार की घटनाएँ उन आरोपों को और भी मजबूत करती हैं। पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखना है, बल्कि जनता के प्रति एक जिम्मेदार और संवेदनशील रवैया अपनाना भी है।
पुलिसकर्मियों को यह समझना चाहिए कि जनसुनवाई जैसी प्रक्रिया में वे जनता की समस्याओं को सुन रहे होते हैं, और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनौपचारिकता जनता के प्रति उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन को कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग और अनुशासन पर जोर देना आवश्यक है, ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। पुलिसकर्मियों को यह भी समझाने की आवश्यकता है कि वे एक पब्लिक सर्वेंट हैं, और उन्हें अपनी ड्यूटी के दौरान अनुशासन और मर्यादा का पालन करना चाहिए।
इसके अलावा, उच्च अधिकारियों को भी इस प्रकार की घटनाओं पर सतर्क रहना चाहिए और समय-समय पर पुलिस चौकियों और थानों का निरीक्षण करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनुशासनहीनता को समय रहते रोका जा सके।
प्रभात भारत विशेष
हाथरस के सिकंद्राराऊ कोतवाली क्षेत्र के अगसोली पुलिस चौकी में सैंडो बनियान और हाफ नेकर में जनसुनवाई का यह मामला पुलिस की लापरवाही और अनुशासनहीनता का एक गंभीर उदाहरण है। इस घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जनता के प्रति पुलिसकर्मियों के असंवेदनशील रवैये को भी उजागर किया है।
पुलिस प्रशासन को इस घटना की गहन जांच करनी चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उसका पालन करें।

