
मंडल के 18 कॉलेजों पर शिक्षा विभाग का शिकंजा: मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू, लापरवाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
गोंडा 20 नवंबर। शिक्षा क्षेत्र में बढ़ती अनियमितताओं और गुणवत्ता की कमी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए गोंडा मंडल के 18 इंटर कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये कॉलेज न केवल शैक्षणिक मानकों को बनाए रखने में विफल रहे, बल्कि जाँच में इन पर गंभीर लापरवाही और फर्जीवाड़े के आरोप भी साबित हुए।
शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस और जाँच रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि इन कॉलेजों में नियमों की अनदेखी और शैक्षिक व्यवस्था में खामियाँ लंबे समय से जारी थीं। बोर्ड परीक्षा संचालन, पंजीकरण प्रक्रिया, और बुनियादी सुविधाओं को लेकर इन कॉलेजों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
जाँच रिपोर्ट का खुलासा: गंभीर आरोप और गड़बड़ियाँ
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की जाँच रिपोर्ट में कॉलेजों के खिलाफ परीक्षा केंद्र संचालन में गड़बड़ी का आरोप पाया गया इन कॉलेजों को पिछले सत्र में परीक्षा केंद्र के रूप में हटाया गया था। बोर्ड द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया कि इन केंद्रों पर छात्रों के साथ अनियमितता हुई। नकली परीक्षार्थियों को परीक्षा में बैठाने और कदाचार के कई मामले सामने आए। छात्र पंजीकरण में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगा छात्रों की वास्तविक संख्या और पंजीकरण में बड़ा अंतर पाया गया। कई कॉलेजों ने अतिरिक्त छात्रों को दिखाकर सरकारी अनुदान का दुरुपयोग किया। जांच में बुनियादी सुविधाओं का अभाव पाया गया जाँच के दौरान अधिकांश कॉलेजों में शौचालय, स्वच्छ पेयजल, और बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं पाई गई। सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया। शिक्षण और प्रशासनिक लापरवाही पाई गई अध्यापक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की उपस्थिति में हेरफेर पाया गया स्कूल के रिकॉर्ड में महत्वपूर्ण दस्तावेज अधूरे या फर्जी पाए गए।
जाँच के दौरान मंडल के चार जिलों में सबसे अधिक गोंडा जिले के 11 कॉलेज शामिल पाए गए। बलरामपुर, बहराइच, और श्रावस्ती के भी कॉलेज इस सूची में हैं
इन कॉलेजों में मान्यता के लिए आवश्यक शर्तों का पालन नहीं हो रहा है। परीक्षा संचालन के दौरान छात्रों की सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में ये संस्थान विफल रहे हैं।” जिला शिक्षा विभाग ने भी इन कॉलेजों पर प्रशासनिक अनियमितताओं की पुष्टि की है।
कार्रवाई की प्रक्रिया और नोटिस
शिक्षा विभाग ने इन कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में 30 दिनों के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया गया है। यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो इनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
इसके अलावा, जाँच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन कॉलेजों में शामिल प्रबंधन और प्रशासन के खिलाफ भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन को लेकर अलग से जांच की जाएगी।
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
छात्र और अभिभावक सरकार की इस कार्रवाई से राहत महसूस कर रहे हैं। उनका मानना है कि इन कॉलेजों की मान्यता रद्द होने से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। अभिभावकों ने कहा कि “बच्चों का भविष्य ऐसे कॉलेजों के हाथ में नहीं सौंपा जा सकता। सरकार का यह कदम सराहनीय है।” “इस कार्रवाई से शिक्षण संस्थानों में पारदर्शिता और गुणवत्ता बढ़ेगी।”
प्रभात भारत विशेष
यह कार्रवाई शिक्षा विभाग के उन प्रयासों का हिस्सा है जो शिक्षा प्रणाली में सुधार और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए की जा रही हैं। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
शिक्षा विभाग का यह कदम उन सभी शिक्षण संस्थानों के लिए चेतावनी है जो नियमों का पालन नहीं करते और शैक्षिक मानकों से समझौता करते हैं। उम्मीद है कि इससे शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएंगे और छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा।