
गोंडा 13 अक्टूबर। जिले में राशन वितरण प्रणाली में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें अनधिकृत विक्रेताओं और क्षेत्रीय नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब गोण्डा के तरबगंज तहसील के निवासी शिवम सिंह ने संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई। प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि वार्ड संख्या-4 के उचित दर विक्रेता लाल बाबू की दुकान पर खाद्यान्न वितरण में अनियमितताएं की जा रही हैं, जिससे गरीब लाभार्थियों को उनके हक का राशन नहीं मिल रहा है।
शिकायत की पृष्ठभूमि
प्रार्थी शिवम सिंह ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि उनके वार्ड के उचित दर विक्रेता लाल बाबू, जिनके पास राशन वितरण का वैध अधिकार है, ने अपनी दुकान का संचालन अनधिकृत रूप से विपक्षी संख्या-2 और संख्या-3 के सहयोग से किया है। यह आरोप लगाया गया है कि राशन कार्ड धारकों को नियमतः 5 किलोग्राम प्रति यूनिट के स्थान पर मात्र 3 किलोग्राम खाद्यान्न दिया जा रहा है। इसके साथ ही, अंत्योदय कार्ड धारकों को 35 किलोग्राम खाद्यान्न के बजाय सिर्फ 15 किलोग्राम ही उपलब्ध कराया जा रहा है।
शिवम सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि विक्रेताओं ने कार्ड धारकों से जबरन मृत्यु का भय दिखाकर उन्हें धमकाते हुए ई-पास मशीन पर अंगूठा लगवाने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान लाभार्थियों को गालियाँ देकर भगा दिया जाता है, जिससे उन्हें अपने हक का राशन प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
अनियमितताओं का विस्तार
शिवम सिंह ने अपने प्रार्थना पत्र में विस्तार से यह भी उल्लेख किया है कि विक्रेताओं द्वारा अभिलेखों में हेरा-फेरी, कूट रचना, धोखाधड़ी और जालसाजी की जा रही है। इसके तहत मृतक व्यक्तियों को जीवित दिखाकर राशन कार्ड में उनके नाम जोड़े जा रहे हैं। इसके अलावा, विवाहित लड़कियों को राशन कार्ड में अविवाहित दिखाने का आरोप भी लगाया गया है।
इन अनियमितताओं का मुख्य उद्देश्य सरकारी धन का गबन करना बताया गया है। शिवम ने आरोप लगाया कि विक्रेताओं ने कई अन्य वार्ड के निवासियों के नाम भी गलत तरीके से राशन कार्ड में जोड़कर खाद्यान्न की फर्जी बिक्री की है। इस प्रकार, गरीब लाभार्थियों के हक का राशन बाजार में काला बाजारी के माध्यम से बेचा जा रहा है।
शिकायतों का इतिहास
शिवम सिंह और अन्य वार्ड निवासियों ने इस घोटाले के खिलाफ शासन प्रशासन को कई बार शिकायती प्रार्थना पत्र मय शपथ-पत्र प्रस्तुत किए हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, विपक्षीगणों के राजनीतिक प्रभाव के कारण कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। यह स्थिति दिखाती है कि क्षेत्रीय राजनीतिक प्रभाव ने गरीब लाभार्थियों के हक को छीन लिया है।
प्रशासनिक रवैया
इस मामले में प्रशासन का रवैया भी सवाल उठाता है। स्थानीय प्रशासन द्वारा इस गंभीर आरोप की ओर अनदेखी करना और कार्यवाही न करना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक तंत्र में भी खामियां हैं। यह साफ है कि जब तक स्थानीय अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के बीच की मिलीभगत को उजागर नहीं किया जाता, तब तक ऐसी अनियमितताओं पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।
प्रभावित लाभार्थियों की आवाज
इस मामले की गंभीरता को समझने के लिए, हमने कुछ प्रभावित लाभार्थियों से बातचीत की। एक लाभार्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारे पास राशन कार्ड है, लेकिन हमें राशन नहीं मिलता। जो मिलता है, वह भी कम होता है। जब हम शिकायत करते हैं, तो हमें डराया जाता है।”
एक अन्य लाभार्थी ने कहा, “हम गरीब हैं और सरकारी मदद की उम्मीद करते हैं, लेकिन यह सब हमारी आंखों के सामने हो रहा है। हम अपनी आवाज नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि हमें डर है कि अगर हमने कुछ कहा तो हमें और भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।”
न्याय की तलाश
शिवम सिंह द्वारा दी गई प्रार्थना पत्र पर तरबगंज थाने में एफआईआर दर्ज हो गई है पुलिस जांच कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि अगर सही जांच होती है, तो इस घोटाले का पर्दाफाश होगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रभात भारत विशेष
गोण्डा के तरबगंज में राशन वितरण प्रणाली में हो रहे इस बड़े घोटाले ने स्थानीय निवासियों के अधिकारों और न्याय की मांग को गंभीरता से उठाया है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करे। गरीब लाभार्थियों के हक की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। यदि प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व की सहयोग से इस घोटाले का पर्दाफाश किया जाता है, तो यह न केवल स्थानीय निवासियों के लिए न्याय की प्राप्ति होगी, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने में भी मदद मिलेगी।