
नई दिल्ली 10 अक्टूबर। भारत के उद्योग जगत के एक महानायक, एक आदर्श और एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व, रतन टाटा, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन के साथ ही देश ने न केवल एक उद्योगपति को खो दिया, बल्कि एक ऐसे महान व्यक्ति को खोया है जिसने सामाजिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी। देश और समाज के लिए उनके अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए, अब यह सवाल और भी प्रबल हो गया है कि आखिर क्यों रतन टाटा को जीवित रहते हुए भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया गया?
रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत रत्न न दिए जाने पर अब हर तरफ से आवाजें उठ रही हैं कि सरकार को अपनी इस भूल को सुधारना चाहिए। उनका जीवन और कार्य भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं और यह बात अब और भी स्पष्ट हो गई है कि उन्हें सम्मानित करने में सरकार से एक बड़ी चूक हुई है। इस लेख में हम विस्तार से रतन टाटा के जीवन, उनके द्वारा देश के लिए किए गए योगदान, और भारत रत्न न मिलने की परिस्थितियों पर चर्चा करेंगे। साथ ही, यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों अब उनके लिए भारत रत्न की घोषणा होनी चाहिए।
रतन टाटा का जीवन: एक संक्षिप्त परिचय
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार में हुआ था। वे प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा के वंशज थे। रतन टाटा का पालन-पोषण उनके दादा जे.आर.डी. टाटा के मार्गदर्शन में हुआ, जिन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। रतन टाटा ने अपनी शिक्षा हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और कॉर्नेल विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई और भारतीय उद्योग जगत का प्रमुख हिस्सा बना।
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह का नेतृत्व संभाला और इसे न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विस्तार दिया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई सफल अधिग्रहण किए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण ‘जगुआर लैंड रोवर’ और ‘कोरस’ इस्पात कंपनी की खरीदारी थी। टाटा समूह के तहत उन्होंने टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), टाटा पावर और टाटा स्टील जैसी कंपनियों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
देश के प्रति रतन टाटा का योगदान
रतन टाटा का योगदान केवल उद्योग जगत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने अपने कार्यों और नीतियों के जरिए देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में भी बड़ा योगदान दिया। उन्होंने कई सामाजिक परियोजनाओं और संस्थाओं को वित्तीय और वैचारिक समर्थन दिया। टाटा ट्रस्ट, जिसकी नींव उन्होंने रखी, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, स्वच्छता और जल संरक्षण के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।
टाटा नैनो: आम आदमी की कार
रतन टाटा का मानना था कि उद्योग केवल मुनाफे के लिए नहीं होता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज की सेवा करना भी होना चाहिए। इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर उन्होंने ‘टाटा नैनो’ का निर्माण कराया। यह कार भारत के निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बनाई गई थी, ताकि हर परिवार का सपना पूरा हो सके कि वे एक कार के मालिक बनें। टाटा नैनो की कीमत को बेहद कम रखा गया, जिससे यह कार आम आदमी की पहुंच में आ सकी। यह केवल एक व्यावसायिक सफलता नहीं थी, बल्कि यह उनके समाज सेवा के दृष्टिकोण का प्रमाण थी।
जगुआर और कोरस: भारतीय उद्योग की वैश्विक पहचान
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने ‘जगुआर लैंड रोवर’ और ‘कोरस’ इस्पात कंपनी का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा मिली। यह अधिग्रहण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि यह दिखाता था कि भारतीय कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और प्रतिष्ठित ब्रांड्स का नेतृत्व करने में सक्षम हो चुकी हैं। रतन टाटा का यह कदम भारतीय उद्योग जगत की ताकत और उसकी वैश्विक उपस्थिति को स्थापित करने में मददगार रहा।
सामाजिक सेवा में रतन टाटा का योगदान
रतन टाटा के कार्यों का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक सेवा और मानवीय कल्याण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट के तहत उन्होंने देश के पिछड़े और वंचित वर्गों की सहायता के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।
रतन टाटा ने विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कई उच्च शिक्षा संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान की, जिनमें प्रमुख रूप से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए, जिनसे लाखों बच्चों को लाभ हुआ।
रतन टाटा का देश के प्रति समर्पण
रतन टाटा का देशभक्ति का जज्बा भी किसी से कम नहीं था। जब 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान ताज होटल, जो टाटा समूह का हिस्सा है, पर हमला हुआ, तो रतन टाटा ने न केवल पीड़ितों की मदद की, बल्कि खुद ताज होटल के पुनर्निर्माण कार्य में भी जुट गए। उनके इस कदम से यह स्पष्ट हुआ कि उनके लिए उद्योग से पहले देश और समाज का कल्याण आता है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में देश का साथ दिया और अपनी ओर से हरसंभव सहायता की।
भारत रत्न: देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, देश के उन नागरिकों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने अपने कार्यों से देश को गौरवान्वित किया हो। यह सम्मान राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, और अन्य क्षेत्रों में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। हालांकि, उद्योग जगत से जुड़े व्यक्तियों को इस सम्मान से नवाजा जाना बहुत दुर्लभ है।
रतन टाटा के लिए भारत रत्न की मांग
रतन टाटा की असाधारण उपलब्धियों और देश के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए, उनके समर्थक लंबे समय से उनके लिए भारत रत्न की मांग कर रहे थे। उनके निधन के बाद, यह मांग और भी प्रबल हो गई है। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा जोरों पर है कि रतन टाटा को जीवित रहते हुए भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया।
लोगों का मानना है कि रतन टाटा का योगदान केवल उद्योग जगत में ही नहीं, बल्कि समाज के हर पहलू में महत्वपूर्ण रहा है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बड़ी गंभीरता से निभाया है। उनके निधन के बाद, अब यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इस चूक को सुधारने का प्रयास करे और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करे।
सरकार की चुप्पी: एक बड़ी भूल?
रतन टाटा जैसे व्यक्ति को भारत रत्न न दिए जाने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं, यह एक बड़ा सवाल है। क्या यह उद्योग जगत से जुड़े लोगों को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति है, या फिर सरकार की प्राथमिकताएं अलग हैं? रतन टाटा के कार्यों और उनकी उपलब्धियों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्हें यह सम्मान जीवित रहते हुए मिलना चाहिए था।
क्या सरकार अब सुधार करेगी अपनी भूल?
रतन टाटा के निधन के बाद देश ने एक महानायक को खो दिया है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके आदर्श हमेशा देशवासियों के दिलों में जीवित रहेंगे। अब समय आ गया है कि सरकार इस चूक को सुधारे और रतन टाटा को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करे। उनका यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान होगा, बल्कि यह उद्योग और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी मान्यता देगा।
रतन टाटा की महानता और उनके योगदान को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वे भारत रत्न के योग्य हैं। सरकार को अब यह फैसला लेना चाहिए और उनके लिए भारत रत्न की घोषणा करनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को सदैव याद रखें और उनसे प्रेरणा लें।