नई दिल्ली 24 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा के दौरान आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर नई चुनौतियों और संभावनाओं की एक श्रृंखला को सामने रखा। पीएम मोदी ने दो दिवसीय इस यात्रा में ब्रिक्स देशों के नेताओं से मुलाकात की, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान समेत अन्य विश्व नेता शामिल थे। इस यात्रा के दौरान न केवल अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति पर जोर दिया गया, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, गाजा युद्ध और ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग की संभावनाओं पर भी गहन चर्चा की गई।
यह शिखर सम्मेलन रूस के कजान शहर में आयोजित हुआ, जिसमें रूस ने ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता की। यह सम्मेलन वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि इसमें विश्व के प्रमुख मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई और कई निर्णय लिए गए। आइए, इस यात्रा और शिखर सम्मेलन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का शिखर सम्मेलन में योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए दो महत्वपूर्ण सत्रों को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने वैश्विक चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग को और सशक्त बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स जैसे मंचों पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करके नए समाधान खोजे जा सकते हैं, जो वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए जरूरी हैं।
पीएम मोदी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर इस यात्रा के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने लिखा कि उनकी रूस यात्रा अत्यंत उपयोगी रही, और कजान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उन्हें विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने और विभिन्न विश्व नेताओं से मिलने का अवसर मिला। पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और वहाँ के नागरिकों का आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारतीय अर्थव्यवस्था की सराहना
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और भारत की आर्थिक वृद्धि की खुलकर सराहना की। पुतिन ने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था अन्य ब्रिक्स देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा, “भारत की आर्थिक वृद्धि दर ने यह साबित कर दिया है कि यदि नीतियों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो उच्च आर्थिक विकास दर को हासिल करना संभव है। भारत इसमें सफल रहा है, और यह अन्य देशों के लिए एक उदाहरण है।”
पुतिन ने भारत की 7.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर की भी तारीफ की और पीएम मोदी को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था का यह तेज विकास दर दर्शाता है कि देश ने अपनी आर्थिक नीतियों को कुशलतापूर्वक लागू किया है। पुतिन की यह टिप्पणी वैश्विक मंच पर भारत की आर्थिक ताकत को दर्शाती है, और यह संकेत देती है कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और भी मजबूत किया जा सकता है।
शी जिनपिंग की गाजा और यूक्रेन पर चिंता
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान गाजा और यूक्रेन संकट पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि गाजा में युद्धविराम और हिंसा को जल्द से जल्द रोकना आवश्यक है, क्योंकि क्षेत्र की बिगड़ती मानवीय स्थिति क्षेत्रीय शांति के लिए एक गंभीर खतरा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि हमें गाजा के मुद्दे का समाधान निकालने के लिए तेजी से कदम उठाने चाहिए, ताकि क्षेत्र में स्थिरता और शांति सुनिश्चित की जा सके।
शी जिनपिंग ने कहा कि फलस्तीन का मुद्दा केवल एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा बन गया है। इसका समाधान व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी होना चाहिए। साथ ही उन्होंने यूक्रेन संकट का भी जिक्र किया, जो अब भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने शांति के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए चीन और ब्राजील द्वारा शुरू किए गए ‘शांति मित्रों’ के समूह का उल्लेख किया, जो वैश्विक संघर्षों के समाधान के लिए काम कर रहा है।
वैश्विक साउथ और ब्रिक्स का विस्तार
इस शिखर सम्मेलन के दौरान एक और महत्वपूर्ण पहलू ब्रिक्स समूह का विस्तार था। शी जिनपिंग ने घोषणा की कि ब्रिक्स में कई अन्य देशों को साझीदार बनने का निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने इस विस्तार को ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक बड़ा अवसर बताया और कहा कि ब्रिक्स का विस्तार न केवल समूह की शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक दक्षिण के देशों को भी साथ लेकर चलने में मदद करेगा।
इस कदम से ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग और भी मजबूत होगा, और वैश्विक आर्थिक संतुलन में एक नया अध्याय शुरू होगा। ब्रिक्स देशों का उद्देश्य वैश्विक मंच पर विकासशील देशों की आवाज को और सशक्त बनाना है, और इस विस्तार से ब्रिक्स की भूमिका वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
रूस-भारत संबंधों में मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी की यह रूस यात्रा रूस-भारत संबंधों के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण थी। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता ने दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को और गहरा किया। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और रूस के बीच कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और बढ़ाने की आवश्यकता है।
भारत और रूस के बीच पहले से ही ऊर्जा, रक्षा, और व्यापार जैसे क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं, लेकिन इस शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने और भी नई संभावनाओं की तलाश की। पुतिन और मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापार को और बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने पर चर्चा की। खासकर ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।
गाजा युद्ध पर विश्व की चिंता
गाजा में जारी युद्ध और क्षेत्रीय संघर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में एक प्रमुख चर्चा का विषय रहा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए जोर दिया कि गाजा में तुरंत युद्धविराम की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, और यदि जल्द से जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
गाजा का मुद्दा इस शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से उठाया गया, और ब्रिक्स देशों ने इस संकट के समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। फलस्तीन और इजराइल के बीच चल रहे इस संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व को प्रभावित किया है, बल्कि इसकी गूंज वैश्विक मंच पर भी सुनाई दे रही है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में यह बात स्पष्ट की गई कि इस मुद्दे का स्थायी समाधान ही क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित कर सकता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम
16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों की नींव रखी। इस सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को और भी मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी ब्रिक्स देशों ने एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता को स्वीकार किया। आर्थिक सहयोग, व्यापार, तकनीकी साझेदारी, और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई।
इस सम्मेलन में ब्रिक्स देशों ने यह स्पष्ट किया कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए आपसी सहयोग अनिवार्य है। सम्मेलन के दौरान यह भी तय किया गया कि ब्रिक्स समूह में अन्य देशों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे इस समूह की वैश्विक भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा और 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी ने भारत की वैश्विक स्थिति को और भी मजबूत किया है। इस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात की और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ ने भारत के आर्थिक विकास की वैश्विक पहचान को और भी सशक्त किया है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने न केवल ब्रिक्स देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एक नई दिशा भी दिखाई। वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के बदलते परिदृश्य में ब्रिक्स की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है, और यह शिखर सम्मेलन इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ है।

