
प्रभात भारत की खबर का असर: उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों और दवा कंपनियों के गठजोड़ पर कसी नकेल, थर्ड-पार्टी दवाएं बनवाने वाले नर्सिंग होम और “झोले में” चलने वाली दवा कंपनियों पर कार्रवाई की तैयारी
लखनऊ 28 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों और दवा कंपनियों के गठजोड़ को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रभात भारत ने इस गंभीर मुद्दे पर गहन पड़ताल और रिपोर्टिंग की थी, जिसमें यह खुलासा हुआ था कि प्रदेश में कई निजी अस्पताल और नर्सिंग होम अपने मेडिकल स्टोरों में खासतौर पर थर्ड-पार्टी निर्मित दवाएं बेच रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने इन अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों पर कड़ी निगरानी और जांच का आदेश दिया है। अब दीपावली के बाद शुरू होने वाले इस अभियान में इन नर्सिंग होम और मेडिकल स्टोरों की औचक जांच की जाएगी, ताकि मरीजों को महंगी और मनचाही दवाओं के लिए मजबूर करने वाले इस गठजोड़ को समाप्त किया जा सके।
प्रभात भारत की खबर से कैसे उठा यह मुद्दा?
प्रभात भारत की विशेष रिपोर्ट ने निजी अस्पतालों और दवा कंपनियों के बीच चल रही सांठगांठ को उजागर किया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि कई नर्सिंग होम और अस्पताल अपने स्टोरों पर केवल वही दवाएं उपलब्ध कराते हैं जो खासतौर पर कुछ कंपनियों से थर्ड-पार्टी के माध्यम से बनवाई जाती हैं। इनमें से कई कंपनियां अवैध तरीके से, बिना उचित लाइसेंस के “झोले में” अपना काम कर रही हैं। इसका नतीजा यह होता है कि मरीजों के पास दवा का कोई और विकल्प नहीं होता और उन्हें वही महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती हैं जो अस्पताल में उपलब्ध होती हैं।
निजी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की कमी
प्रभात भारत की रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया था कि प्रदेश के कई निजी अस्पताल और नर्सिंग होम अपने मेडिकल स्टोर पर बिना लाइसेंसधारी फार्मासिस्ट के ही दवाएं बेच रहे हैं। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, कई जगहों पर फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में प्रशिक्षित न होने के बावजूद अन्य कर्मचारी दवाएं बेच रहे हैं। अब इस मामले पर सरकार ने ध्यान देते हुए औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे इन मेडिकल स्टोरों पर औचक निरीक्षण करें और कड़ी कार्रवाई करें।
सरकार का आदेश: क्या होगी औचक जांच में प्राथमिकताएं?
1. फार्मासिस्ट की उपस्थिति: सभी मेडिकल स्टोरों में लाइसेंसधारी फार्मासिस्ट की उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा। अगर कहीं बिना फार्मासिस्ट के दवाएं बेची जा रही हैं, तो संबंधित स्टोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
2. थर्ड-पार्टी दवाओं का भंडारण: निजी अस्पतालों में थर्ड-पार्टी दवाओं के भंडारण की मात्रा की जांच होगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये दवाएं अन्य मेडिकल स्टोरों पर भी उपलब्ध हों, ताकि मरीजों के पास विकल्प मौजूद रहें।
3. दवाओं का निर्धारित मूल्य पर विक्रय: सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि मेडिकल स्टोरों पर बेची जा रही दवाएं निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर न बेची जाएं।
4. झोले में चलने वाली कंपनियों पर निगरानी: बिना लाइसेंस के काम कर रही और झोले में संचालित हो रही दवा कंपनियों पर भी सख्ती की जाएगी।
70 हजार थोक और 1.15 लाख फुटकर विक्रेताओं पर निगरानी बढ़ी
उत्तर प्रदेश में 70 हजार थोक और 1.15 लाख फुटकर दवा विक्रेता हैं, जिनमें से कई निजी अस्पतालों से जुड़े हैं। अब इन पर निगरानी के साथ, इन विक्रेताओं से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी मेडिकल स्टोरों पर केवल उचित लाइसेंसधारी और गुणवत्तापूर्ण दवाएं ही बेची जाएं। प्रभात भारत की रिपोर्ट ने इन विक्रेताओं पर ध्यान केंद्रित किया, और खुलासा किया कि कैसे कुछ विक्रेताओं द्वारा थर्ड-पार्टी निर्मित दवाओं का भंडारण और वितरण किया जा रहा है।
गरीब और सामान्य वर्ग को राहत: दवाओं के विकल्प मिलेंगे
सरकार के इस कदम से गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है। प्रभात भारत की रिपोर्ट के अनुसार, निजी अस्पतालों द्वारा थर्ड-पार्टी और महंगी ब्रांडेड दवाओं की अनिवार्यता ने मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ाया है। अब औचक जांच और सख्त निगरानी से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मरीजों को अधिक विकल्प मिलें और वे मनचाही दवाओं के लिए बाध्य न हों।
प्रभात भारत की रिपोर्ट का प्रभाव: सरकारी अधिकारियों की सक्रियता
प्रभात भारत द्वारा की गई इस रिपोर्ट के कारण शासन और प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया। रिपोर्ट के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता बढ़ी, और तत्काल औचक निरीक्षण के निर्देश दिए गए। रेखा एस. चौहान, अपर आयुक्त प्रशासन, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने बताया कि औषधि निरीक्षकों को इस मामले में सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया गया है, और अस्पतालों में मेडिकल स्टोरों की कार्यप्रणाली पर नियमित निगरानी रखी जाएगी।
प्रभात भारत की रिपोर्ट ने सरकार और शासन की आँखें खोलीं
प्रभात भारत ने अपने साहसिक और निष्पक्ष रिपोर्टिंग से सरकार का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर खींचा। इस रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने जिस तरह से सख्ती दिखाई है, वह न केवल मीडिया की ताकत को दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि मीडिया द्वारा उठाए गए मुद्दे जनता की समस्याओं के समाधान में सहायक हो सकते हैं। अब इस रिपोर्ट के चलते प्रदेश के निजी अस्पतालों और दवा विक्रेताओं की कार्यप्रणाली पर सरकार का शिकंजा कस गया है।
लोग मानते हैं कि प्रभात भारत की रिपोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा में सुधार की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। इस कदम से न केवल मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं में पारदर्शिता भी आएगी। अब दीपावली के बाद होने वाली औचक जांचों के दौरान निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोरों की कार्यप्रणाली पर नजर रखी जाएगी और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल गुणवत्तापूर्ण और निर्धारित दामों पर ही दवाएं बेचें। प्रभात भारत का यह प्रयास न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
इस तरह की निष्पक्ष रिपोर्टिंग से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आएगा। प्रभात भारत ने इस मामले को उठाकर यह साबित कर दिया कि पत्रकारिता समाज में बदलाव का एक सशक्त माध्यम हो सकती है।