

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में एक प्रभावशाली और सक्रिय विदेश नीति को अपनाया है, जो न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक मंच पर भी महत्वपूर्ण साबित हुई है। उनका उद्देश्य भारत को एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है, जो विभिन्न देशों के साथ मजबूत संबंधों के माध्यम से विश्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। इस लेख में हम मोदी के विदेशी संबंधों की समीक्षा करेंगे, खासकर जस्टिन ट्रूडो और उनके द्वारा उठाए गए विवादों के संदर्भ में।
नरेंद्र मोदी का वैश्विक दृष्टिकोण
1. भारत का स्थान
मोदी की विदेश नीति का आधार भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज को मजबूती से प्रस्तुत किया है, जिससे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। उनका दृष्टिकोण स्पष्ट है: “सभी के लिए विकास, सभी के लिए सुरक्षा।” उन्होंने वैश्विक मुद्दों, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।
2. आर्थिक संबंध
मोदी ने विभिन्न देशों के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है। उनका ‘मेक इन इंडिया’ अभियान विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र बनाने में सफल रहा है। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ व्यापार समझौतों की स्थापना की है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।
3. सुरक्षा और सामरिक संबंध
मोदी ने सुरक्षा और सामरिक संबंधों पर भी ध्यान दिया है। उन्होंने अमेरिका, रूस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रणनीतिक भागीदारी को बढ़ावा दिया है। इसने भारत को एक मजबूत सामरिक स्थिति में लाने में मदद की है, जिससे वह वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।
जस्टिन ट्रूडो और कनाडा का संदर्भ
1. खालिस्तानी मुद्दा
हाल के दिनों में भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ा है, जिसमें खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निजार की हत्या का मामला प्रमुख है। जस्टिन ट्रूडो ने इस मामले को तूल देने के लिए एक प्रभावशाली आयोग के समक्ष गवाही दी, जिसमें उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि भारतीय एजेंसियां इस हत्या में शामिल थीं। यह आरोप भारतीय विदेश नीति के संदर्भ में गंभीरता से लिया गया है।
2. ट्रूडो का चीन पर झुकाव
ट्रूडो का चीन के प्रति झुकाव भी विवाद का हिस्सा है। रिपोर्टों के अनुसार, कनाडा की सरकार ने चीन के प्रति लचीली नीति अपनाई है, जिससे यह आशंका व्यक्त की गई है कि वे भारत के खिलाफ चीन के हितों की सेवा कर रहे हैं। भारत सरकार का मानना है कि ट्रूडो की सरकार घरेलू राजनीति में चीन के हस्तक्षेप को रोकने में लापरवाह रही है।
3. ट्रूडो का बयान और भारत की प्रतिक्रिया
ट्रूडो के आरोपों पर भारत ने स्पष्ट रूप से प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि उसने निजार और अन्य आतंकवादियों द्वारा कनाडा को उनके आधार के रूप में इस्तेमाल करने के ठोस सबूत साझा किए हैं। यह स्पष्ट करता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में गंभीर है और इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है।
मोदी के अन्य देशों के साथ संबंध
1. अमेरिका के साथ संबंध
मोदी ने अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी बढ़ी है, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। अमेरिका ने भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी है, जिससे दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग में वृद्धि हुई है।
2. रूस के साथ संबंध
रूस के साथ भारत का संबंध सदियों पुराना है। मोदी ने इस संबंध को और मजबूत किया है। भारत ने रूस से विभिन्न रक्षा उपकरणों की खरीद की है, जिससे उसकी सामरिक स्थिति में सुधार हुआ है।
3. मध्य पूर्व के साथ संबंध
मोदी ने मध्य पूर्व के देशों के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत किया है। उन्होंने ईरान और इराक के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा दिया है, और मुस्लिम देशों के साथ भी अच्छे संबंध स्थापित किए हैं।
4. जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंध
जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत ने सामरिक साझेदारी को बढ़ावा दिया है। यह दोनों देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय विदेश नीति की सफलता
1. जलवायु परिवर्तन
मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका को उजागर किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के प्रयासों को प्रस्तुत किया है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन।
2. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। मोदी ने विभिन्न देशों के साथ सहयोग के माध्यम से आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
3. वैश्विक स्वास्थ्य संकट
कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने वैक्सीन वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोदी की सरकार ने “वैक्सीनेशन विद फ्रेंडशिप” के तहत कई देशों को वैक्सीन प्रदान की, जिससे भारत की वैश्विक स्तर पर सकारात्मक छवि बनी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति के माध्यम से भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने का प्रयास किया है। उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न देशों के साथ संबंधों को मजबूत किया है, जबकि जस्टिन ट्रूडो के साथ विवाद ने यह स्पष्ट किया है कि भारत अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है।
मोदी का दृष्टिकोण और रणनीतियों ने भारत को एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित किया है, जो न केवल अपने लिए, बल्कि विश्व शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनकी दूरदर्शिता और सक्रियता ने भारत को एक नया आयाम दिया है, जिससे वह विश्व पटल पर एक प्रभावशाली भूमिका निभा सके।
इस प्रकार, मोदी का वैश्विक नेतृत्व और विदेश नीति का प्रभाव भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने का संकेत है।