
गोंडा 11 अक्टूबर। जिले के उमरीबेगमगंज थाना क्षेत्र में एक बेहद गंभीर पेंशन घोटाले का मामला सामने आया है। इस घोटाले में मृत पेंशनधारक के खाते से अवैध रूप से लाखों रुपये निकाले गए। आरोप है कि इस निकासी में बैंक कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों की मिलीभगत शामिल थी। यह मामला तब प्रकाश में आया जब मृतक पेंशनधारक के परिवार के सदस्य उमेश्वर प्रताप सिंह ने न्याय की मांग करते हुए स्थानीय पुलिस और अदालत का दरवाजा खटखटाया।
घटना का विवरण
यह घटना गोंडा जिले के बखरिहा गाँव निवासी स्वर्गीय राम अचल सिंह से जुड़ी है, जो एक सेवानिवृत्त प्राथमिक शिक्षक थे। उनकी पेंशन यूपी ग्रामीण बैंक की बरौली शाखा में उनके पेंशन खाते (संख्या 9061030002301) में आती थी। राम अचल सिंह का 10 जून 2022 को निधन हो गया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद भी उनके खाते में पेंशन का आना बंद नहीं हुआ। यह पेंशन बाद में कई बार विभिन्न व्यक्तियों द्वारा निकाली गई, जो कि पूरी तरह से अवैध थी। इस अवैध निकासी के पीछे एक संगठित गिरोह का हाथ बताया जा रहा है, जिसमें पेंशनधारक के नातियों और बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है।
आरोपियों की पहचान
उमेश्वर प्रताप सिंह द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि राम अचल सिंह के नाती आशुतोष सिंह (सूरज), पिता धीरेंद्र प्रताप सिंह, निवासी अलीपुर खंडेराय, पोस्ट बनुआ, थाना उमरीबेगमगंज, जनपद गोंडा, ने अपने साथियों शिवम सिंह, पिता अशोक सिंह, और अशोक सिंह, पिता अजात, निवासी हिन्दू चौहान पुरवा, इस्माइलपुर, बेलसर थाना उमरीबेगमगंज, के साथ मिलकर मृतक के खाते से अवैध रूप से पैसे निकाले।
उमेश्वर प्रताप सिंह का कहना है कि इन आरोपियों ने राम अचल सिंह के निधन के बाद भी उनके खाते का संचालन किया और पेंशन राशि का गबन किया।
अवैध निकासी की घटनाएँ
प्राथी उमेश्वर प्रताप सिंह के अनुसार, आशुतोष सिंह और उसके साथियों ने मिलकर मृतक के खाते से निम्नलिखित धनराशियाँ निकालीं-
1. दिनांक 13 जून 2022 को चेक के माध्यम से ₹13,000/- निकाले गए।
2. शिवम सिंह ने 04 जुलाई 2022 को ₹26,000/- निकाले।
3. अशोक सिंह ने 05 अगस्त 2022 को ₹26,000/- की निकासी की।
4. वकील नामक व्यक्ति ने 13 अक्टूबर 2022 को ₹62,000/- निकाले।
5. दिनांक 24 नवंबर 2022 को खाता संख्या 90581500236656 में ₹26,000/- की राशि अंतरण कराई गई।
यह सभी निकासी मृतक राम अचल सिंह के निधन के बाद की गईं, जो कि अवैध हैं। इस प्रकार, इन आरोपियों ने पेंशन राशि का दुरुपयोग करते हुए लाखों रुपये का घोटाला किया।
बैंक कर्मचारियों पर आरोप
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस घोटाले में बैंक के शाखा प्रबंधक की भी मिलीभगत रही है। शाखा प्रबंधक, यूपी ग्रामीण बैंक की बरौली शाखा में कार्यरत, ने यह निकासी बिना किसी उचित प्रक्रिया के होने दी। प्राथी उमेश्वर प्रताप सिंह का कहना है कि जब उन्होंने बैंक से जानकारी मांगी, तो उन्हें दिनांक 12 सितंबर 2023 को लिखित रूप से बताया गया कि संबंधित खाते में कोई नामिनी नहीं जोड़ा गया है। यह जानकारी प्राप्त होने पर उमेश्वर सिंह ने पेंशन घोटाले की शिकायत की और न्याय की मांग की।
शिकायत के बाद पुलिस की उदासीनता
उमेश्वर प्रताप सिंह ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की थी। दिनांक 23 जनवरी 2023 को मुख्य कोषाधिकारी, गोंडा को IGRS नंबर 40018323001851 के माध्यम से शिकायत दी गई थी। उन्होंने पेंशन रुकवाने की मांग की, लेकिन इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद, उन्होंने दिनांक 14 सितंबर 2023 को थाना प्रभारी उमरीबेगमगंज और पुलिस अधीक्षक, गोंडा को भी पंजीकृत डाक से पत्र भेजा, लेकिन इसके बावजूद मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस की इस उदासीनता से निराश होकर उमेश्वर सिंह ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और न्याय की गुहार लगाई।
अदालत की शरण में प्राथी
जब उमेश्वर प्रताप सिंह को कहीं से भी न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने अदालत की शरण ली। उन्होंने न्यायालय से धारा 156(3) CrPC के तहत मामला दर्ज कराने और विवेचना करने का आदेश देने की प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना यह है कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उनके द्वारा किए गए इस आर्थिक अपराध के लिए उन्हें दंडित किया जाए। उमेश्वर सिंह का कहना है कि वह एक कानून का पालन करने वाला नागरिक हैं और उन्हें न्याय की उम्मीद है।
घोटाले के व्यापक प्रभाव
यह पेंशन घोटाला सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि यह पेंशनधारकों के अधिकारों पर सीधा हमला है। ऐसे घोटाले से पेंशनधारकों और उनके परिवारों को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता है। इस मामले में राम अचल सिंह के परिवार को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ रहा है।
पेंशनधारक राम अचल सिंह की मृत्यु के बाद भी पेंशन का आना और उसे अवैध रूप से निकालना, यह साबित करता है कि बैंकिंग प्रणाली में बड़ी खामियां हैं। इस मामले में बैंक के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है, क्योंकि उनके बिना इतनी बड़ी रकम की निकासी संभव नहीं हो सकती थी।
यह मामला पेंशनधारकों के अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। इस प्रकार के घोटाले भविष्य में न हों, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। बैंकिंग प्रणाली में सुधार की जरूरत है ताकि मृत व्यक्तियों के खातों का दुरुपयोग न हो सके और पेंशनधारकों के हितों की रक्षा हो सके।