
जनकल्याणकारी योजनाओं की अवहेलना पर जिला प्रशासन का बड़ा फैसला
गोंडा 8 अप्रैल। जिले में जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर जिला प्रशासन की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है। खासकर बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को मिलने वाली सामाजिक पेंशन योजनाओं में किसी भी प्रकार की लापरवाही को जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा ने गंभीरता से लिया है। हाल ही में सामने आए एक मामले में वृद्धा को जीवित होते हुए भी मृत घोषित कर दिया गया और उनकी वृद्धावस्था पेंशन रोक दी गई। इस मामले में जिलाधिकारी ने तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी के विरुद्ध सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें चेतावनी जारी की और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि पेंशन तत्काल बहाल की जाए। साथ ही बकाया राशि का भुगतान भी लाभार्थी के खाते में शीघ्र भेजा जाए।
यह मामला विकास खण्ड मनकापुर के ग्राम वीरपुर का है, जहां की निवासी वृद्धा श्रीमती धनपता पत्नी श्री राममिलन को लंबे समय से वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत लाभ मिल रहा था। लेकिन हाल ही में पेंशन भुगतान में व्यवधान उत्पन्न हो गया और जब वृद्धा के परिजन ने समाज कल्याण विभाग में इसकी जानकारी ली तो यह तथ्य सामने आया कि धनपता को सरकारी अभिलेखों में ‘मृत’ दर्शा दिया गया है। इस खुलासे से परिवार हैरान और परेशान हो गया। वे बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाते रहे कि वृद्धा जीवित हैं और स्वयं चलकर दफ्तर आ सकती हैं, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज किया जाता रहा।
वृद्धा के परिजनों की ओर से बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद जब मामले का समाधान नहीं हुआ, तब उन्होंने जिलाधिकारी से सीधे संपर्क किया। डीएम ने शिकायत को गंभीरता से लिया और एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई। जांच के दौरान यह सामने आया कि ग्राम विकास अधिकारी अमिता यादव ने पेंशन सत्यापन के कार्य में घोर लापरवाही बरती और बिना किसी ठोस सबूत के वृद्धा को मृत घोषित कर दिया। इस गलती के कारण वृद्धा की पेंशन तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गई, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी।
जांच में यह भी सामने आया कि न तो किसी पंचायत स्तर की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया, न ही कोई स्थानीय जांच समिति गठित की गई। सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर भ्रम के आधार पर सत्यापन रिपोर्ट भर दी गई, जिसमें यह दर्शाया गया कि लाभार्थी की मृत्यु हो चुकी है। इस लापरवाही की पुष्टि होते ही जिलाधिकारी ने अमिता यादव की परिनिन्दा करते हुए उन्हें चेतावनी दी कि भविष्य में सत्यापन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में अत्यंत सावधानी बरती जाए। डीएम ने स्पष्ट कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की परेशानी होने की स्थिति में जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने समाज कल्याण अधिकारी को निर्देशित किया कि श्रीमती धनपता की पेंशन तुरंत बहाल की जाए और अब तक की रुकी हुई बकाया धनराशि को उनके बैंक खाते में स्थानांतरित किया जाए ताकि उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े। डीएम ने कहा कि वृद्धजनों की सेवा और सम्मान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है, और इस दिशा में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस प्रकरण के पश्चात जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी तथा सभी संबंधित विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि जनकल्याण योजनाओं की समीक्षा समय-समय पर की जाए और सत्यापन प्रक्रिया को पारदर्शी तथा त्रुटिरहित बनाया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस प्रकार की गलती दोबारा न हो। प्रत्येक लाभार्थी के फिजिकल वेरिफिकेशन के समय संबंधित अधिकारी स्वयं उपस्थित रहेंगे और किसी भी सूचना की पुष्टि स्थानीय जनप्रतिनिधियों व ग्रामवासियों से भी करेंगे।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों की बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि लाभार्थियों के सम्मान के साथ कोई भी खिलवाड़ न केवल प्रशासन की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी जनकल्याणकारी योजनाओं को बोझ समझते हैं, उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई लाभार्थी जीवित होते हुए भी सरकारी अभिलेखों में मृत घोषित किया जा रहा है तो यह प्रशासनिक अक्षमता और मानवीय असंवेदनशीलता का उदाहरण है, जिसे हरगिज़ स्वीकार नहीं किया जा सकता।
वृद्धा धनपता की ओर से भी प्रशासन को धन्यवाद दिया गया। उन्होंने स्वयं आकर जिलाधिकारी से मिलकर आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतने उच्च स्तर से इतनी शीघ्रता से सुनवाई होगी। इस मामले के उजागर होने के बाद जिले के अन्य पेंशन लाभार्थियों में भी प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है और वे आश्वस्त हैं कि अब उनकी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा।
यह प्रकरण शासन के निर्देशों के अनुरूप ‘जनहित में संवेदनशील प्रशासन’ की दिशा में एक मजबूत कदम के रूप में देखा जा रहा है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की इस सख्त कार्रवाई ने न सिर्फ लापरवाह कर्मचारियों को चेतावनी दी है, बल्कि एक संदेश भी दिया है कि गोंडा प्रशासन जनसेवा के प्रति सजग, उत्तरदायी और प्रतिबद्ध है। यह कार्यशैली अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणा है कि गरीब, वृद्ध और जरूरतमंदों के हितों की रक्षा प्रशासन की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है, जिसे निभाना प्रत्येक अधिकारी का कर्तव्य है।