
संसद से पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक: समावेशी विकास की नई पहल
नई दिल्ली 4 अप्रैल। देश के विधायी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को अब संसद की दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—से मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक को लेकर देशभर में लंबे समय से चर्चाएं चल रही थीं। लोकसभा में पहले ही यह विधेयक पास हो चुका था, और अब राज्यसभा में भी यह विधेयक व्यापक बहस और लंबी चर्चा के बाद देर रात 2:32 बजे पारित हो गया। इस दौरान राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में कुल 280 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 232 सांसदों ने मत दिया। यह बिल खासकर अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्तियों की पारदर्शी निगरानी, सामाजिक न्याय और प्रशासनिक संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने, रजिस्ट्री को डिजिटल करने, और ट्रांसपेरेंसी के नए मानदंड स्थापित करने का प्रयास किया गया है। वक्फ संपत्ति पर वर्षों से चल रहे विवादों, अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार के मामलों को देखते हुए इस संशोधन की मांग काफी समय से की जा रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया: “हर उस आवाज को अधिकार मिलेगा जो अब तक दबाई गई थी”
विधेयक के पास होने के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया सामने आई, जिसे उन्होंने एक “ऐतिहासिक क्षण” करार दिया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, “वक्फ (संशोधन) विधेयक का संसद के दोनों सदनों से पारित होना सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण क्षण है।” उन्होंने आगे कहा, “यह विधेयक विशेष रूप से उन लोगों की सहायता करेगा जो लंबे समय से हाशिये पर थे और जिन्हें आवाज और अवसर दोनों से वंचित रखा गया था। अब वे समाज की मुख्यधारा में आत्मगौरव के साथ आगे बढ़ सकेंगे।” पीएम मोदी ने इस अवसर पर उन सभी सांसदों का आभार जताया जिन्होंने विधेयक पर चर्चा में भाग लिया और इसे मजबूती दी। उन्होंने संसदीय समिति के सदस्यों और सुझाव देने वाले आम नागरिकों के प्रति भी आभार प्रकट किया। पीएम के मुताबिक, “अब हम एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं, जहां हमारा संस्थागत ढांचा अधिक आधुनिक, पारदर्शी और सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील होगा। हम प्रत्येक नागरिक की गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
विधेयक के प्रावधान: क्या-क्या है बदलाव में शामिल?
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के तहत वक्फ संपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन में कई अहम परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब वक्फ संपत्तियों की डिजिटल मैपिंग और यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (UID) आधारित रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, ताकि संपत्तियों का कोई दुरुपयोग न हो। इसके अलावा वक्फ बोर्डों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए उन्हें समय-समय पर ऑडिट रिपोर्ट पेश करनी होगी। विधेयक में यह भी प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त, धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित शैक्षणिक और सामाजिक संस्थानों को वित्तीय पारदर्शिता बरतने के लिए नए मानदंडों के तहत लाया गया है। इस विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके सदुपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे समाज के वंचित तबकों को अधिक लाभ मिल सकेगा।
राज्यसभा में कैसे हुआ पास, और क्या रहा राजनीतिक समीकरण?
राज्यसभा में विधेयक पर करीब 12 घंटे से ज्यादा बहस चली, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने मत और आपत्तियाँ दर्ज कीं। चर्चा के बाद देर रात लगभग 2 बजे मतदान हुआ, जिसमें सत्ता पक्ष ने बहुमत जुटाकर विधेयक को पास करा लिया। प्रारंभिक आंकड़ों में कुछ विसंगतियाँ देखी गई थीं—जैसे एक जगह पर 28 के पक्ष और 95 के विपक्ष में वोट बताए गए, जो संभवतः टाइपो या अलग प्रस्ताव से जुड़े हों—परंतु विधायी कार्यवाही के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 280 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। चर्चा के दौरान विपक्ष ने कुछ बिंदुओं पर चिंता जताई, जैसे कि वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप, अल्पसंख्यकों की असुरक्षा की भावना, और विधेयक के कुछ प्रावधानों की अस्पष्टता। हालांकि सरकार ने इन तमाम मुद्दों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी विशेष धार्मिक समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि उनके हित में है, और इसका उद्देश्य केवल पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना है।
सामाजिक प्रभाव: अल्पसंख्यक समुदायों में उम्मीद और सतर्कता दोनों
विधेयक के पारित होने के बाद देशभर में अल्पसंख्यक समुदायों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां एक ओर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, धार्मिक संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता इसे एक बड़ा सुधारात्मक कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ संगठनों ने यह चिंता भी जताई है कि इसका दुरुपयोग न हो। खासतौर पर वक्फ संपत्ति पर आश्रित संस्थानों को यह आशंका है कि कहीं सरकार की निगरानी बढ़ने से उनके कामकाज पर अनावश्यक दबाव न आए। हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया है कि यह विधेयक किसी प्रकार की राजनीतिक या धार्मिक संकीर्णता से प्रेरित नहीं है, बल्कि यह एक निष्पक्ष और जवाबदेह प्रणाली की ओर कदम है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल संपत्ति विवादों को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में भी अल्पसंख्यकों के विकास को गति देगा।
पारदर्शी प्रशासन और जवाबदेही की ओर भारत
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का पारित होना एक व्यापक प्रशासनिक सुधार का संकेत है, जिससे भारत अब अधिक पारदर्शी और समावेशी तंत्र की ओर अग्रसर है। यह विधेयक न केवल एक वर्ग विशेष के लिए, बल्कि समग्र रूप से पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिद्ध करता है कि सरकार अब ‘न्याय की अंतिम पंक्ति’ तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। विधेयक का वास्तविक असर तब दिखाई देगा जब राज्यों में वक्फ बोर्ड इस कानून को ईमानदारी से लागू करेंगे, डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार होंगे, और अतिक्रमण से मुक्त संपत्तियों का सही उपयोग सामाजिक कल्याण के लिए होगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वक्फ बोर्ड किस प्रकार इस कानून को जमीनी स्तर पर लागू करते हैं और समाज में कितना परिवर्तन आता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जताई गई प्रतिबद्धता को अब प्रशासनिक मशीनरी को साकार करना होगा।