
गोंडा: सरकारी निधियों से ऊंची कीमत पर खरीदी गई हाई मास्क और एलईडी लाइटों में बड़े पैमाने पर घोटाला, गारंटी पीरियड में खराब हो रहीं लाइटें
गोंडा, 19 अक्टूबर। सरकारी निधियों से खरीदी जा रही हाई मास्क और एलईडी लाइटों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोटाले सामने आ रहे हैं। नगर पंचायत, नगर पालिका, और क्षेत्र पंचायत की निधियों से ऊंचे दामों पर खरीदी गई ये लाइटें न सिर्फ बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर खरीदी जा रही हैं, बल्कि अपनी गारंटी अवधि भी पूरा नहीं कर पा रही हैं। इससे सरकारी धन का भारी दुरुपयोग हो रहा है, और कमीशनबाजी और घोटालों का सिलसिला लगातार जारी है।
एलईडी और हाई मास्क लाइटों की खराब गुणवत्ता और अनुचित मूल्य निर्धारण के कारण सरकारी निधियों का बड़ा हिस्सा बेकार जा रहा है। खासकर गोंडा जिले में नगर पंचायत, नगर पालिका और ग्रामीण क्षेत्रों में विधायकों और सांसदों की निधियों से लगाई गई ये लाइटें कुछ ही महीनों में खराब हो जा रही हैं। इसके बावजूद, इन लाइटों को मुफ्त में बदलने की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती, जिससे जनता के पैसे का दुरुपयोग होता है और फिर से नई खरीदारी की जाती है।
सरकारी निधियों से की जा रही लाइटों की ऊंची कीमत पर खरीदारी
गोंडा और अन्य कई जिलों में यह मामला लगातार उठ रहा है कि बाजार में आसानी से उपलब्ध एलईडी और हाई मास्क लाइटें सरकारी निधियों के तहत बहुत ऊंची कीमतों पर खरीदी जा रही हैं। जहां दुकानों पर ये लाइटें सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं, वहीं सरकारी विभागों द्वारा इन्हें अत्यधिक कीमतों पर खरीदा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, बाजार में 2,000 रुपये की एलईडी लाइट सरकारी खरीद में 5,000 रुपये से भी अधिक कीमत पर खरीदी जा रही है। इसके साथ ही, हाई मास्क लाइटें भी बाजार में उपलब्ध कीमत से कहीं अधिक दरों पर ली जा रही हैं।
इस ऊंची कीमत की खरीद का एक बड़ा कारण कमीशनबाजी और भ्रष्टाचार है। अधिकारियों और संबंधित ठेकेदारों के बीच एक तयशुदा हिस्सेदारी होती है, जिसके तहत ये खरीद की जाती है। इसका सीधा असर सरकारी धन पर पड़ता है, जिससे जनता के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है।
मानकों के अनुरूप नहीं हो रही है लाइटों की आपूर्ति
इस पूरे घोटाले का एक और गंभीर पहलू यह है कि जो एलईडी और हाई मास्क लाइटें खरीदी जा रही हैं, वे गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप नहीं हैं। गारंटी अवधि में रहने के बावजूद ये लाइटें 7 से 8 महीने के भीतर ही खराब हो जाती हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, इन लाइटों को कम से कम 2 से 5 साल तक चलना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
नगर पंचायत और नगर पालिका क्षेत्र में, जहां लाइटें लगाई जा रही हैं, वहां की स्थानीय जनता को लगातार इन खराब लाइटों से परेशान होना पड़ रहा है। सड़कों पर अंधेरा छा जाता है, और लोग असुरक्षित महसूस करते हैं। जब लाइटें इतनी जल्दी खराब हो जाती हैं, तो उन्हें बदलने के लिए फिर से नई खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जो फिर से भ्रष्टाचार का नया चक्र शुरू करती है।
गारंटी पीरियड में लाइटें खराब होने के बाद भी मुफ्त में नहीं बदली जातीं
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी खरीद में शामिल ये लाइटें, जो गारंटी पीरियड में भी आती हैं, उन्हें खराब होने के बाद मुफ्त में नहीं बदला जाता। सरकारी नियमों के अनुसार, गारंटी पीरियड के भीतर खराब हुई वस्तुओं को मुफ्त में बदला जाना चाहिए, लेकिन स्थानीय प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। जब लाइटें खराब हो जाती हैं, तो उन्हें बदलने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, बल्कि दोबारा से खरीदारी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
नए घोटाले की शुरुआत: दोबारा खरीदारी और कमीशनबाजी का सिलसिला
जब लाइटें गारंटी अवधि के भीतर ही खराब हो जाती हैं, तो उन्हें बदलने के बजाय दोबारा से खरीदारी की जाती है। यही से एक नए घोटाले की शुरुआत होती है। प्रशासनिक अधिकारी और ठेकेदार फिर से मिलकर ऊंची कीमत पर नई लाइटों की खरीद करते हैं, जिससे कमीशनबाजी और भ्रष्टाचार का सिलसिला चलता रहता है। यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है, और इसमें शामिल सभी पक्ष अपनी-अपनी हिस्सेदारी लेते हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह एक योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा घोटाला है, जिसमें जनता के पैसे का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। गोंडा के कई इलाकों में तो स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वहां की सड़कें और चौराहे अंधेरे में डूबे हुए हैं, क्योंकि लाइटें ठीक से काम नहीं कर रही हैं।
गोंडा में व्यापक पैमाने पर हो रही है खरीद और घोटाला
गोंडा जिले में यह समस्या और भी गंभीर हो चुकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में विधायक निधि और क्षेत्र पंचायत निधि से लगाई गई हाई मास्क लाइटें और नगर पालिका एवं नगर पंचायत क्षेत्र में एलईडी लाइटें कई जगहों पर खराब हो चुकी हैं। इन लाइटों की खरीद में बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत चुकाई जा रही है, फिर भी गुणवत्ता के मामले में ये लाइटें बहुत खराब साबित हो रही हैं।
नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में जहां इन लाइटों की सबसे अधिक जरूरत होती है, वहां भी यही स्थिति है। एलईडी लाइटों की गारंटी अवधि को पूरा नहीं कर पाने के कारण बार-बार नई खरीदारी की जा रही है, जिससे भ्रष्टाचार का एक नया चक्र हर बार शुरू हो जाता है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर उठ रहे हैं सवाल
गोंडा में हो रही इस व्यापक पैमाने पर लाइटों की खरीद और भ्रष्टाचार को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय जनता और कुछ समाजसेवी संगठनों ने प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस घोटाले पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह भविष्य में और भी गंभीर रूप ले सकता है। नगर पंचायत और नगर पालिका के अधिकारियों पर आरोप है कि वे ठेकेदारों से मिलकर इस खरीदारी में मोटा कमीशन लेते हैं और जनता के पैसे का दुरुपयोग करते हैं।
सरकारी धन के दुरुपयोग पर रोक लगाने की जरूरत
यह घोटाला केवल गोंडा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। एलईडी और हाई मास्क लाइटों की खरीदारी में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लाइटें खरीदी जा रही हैं, वे गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप हों और उनकी गारंटी अवधि को पूरा करें। साथ ही, जो लाइटें गारंटी पीरियड में खराब होती हैं, उन्हें मुफ्त में बदलने की प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
पारदर्शी व्यवस्था और सख्त निगरानी की जरूरत
गोंडा जिले में हो रहे इस भ्रष्टाचार और घोटाले से स्पष्ट है कि सरकारी निधियों का सही तरीके से उपयोग नहीं हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच साठगांठ के चलते जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है।
इस समस्या का समाधान पारदर्शी खरीद प्रक्रिया, सख्त निगरानी और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने से ही संभव है। यदि समय रहते इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह घोटाला और भी बढ़ सकता है और सरकारी धन का दुरुपयोग जारी रहेगा।
सरकार और प्रशासन को मिलकर इस भ्रष्टाचार पर रोक लगानी चाहिए, ताकि जनता के पैसे का सही उपयोग हो और सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंच सके। इसके लिए जरूरी है कि लाइटों की खरीद और उनकी गारंटी पीरियड की निगरानी की जाए और जो भी लाइटें गारंटी पीरियड में खराब हों, उन्हें तुरंत मुफ्त में बदला जाए।