
धाम का महत्व पुराणों में वर्णित है
संग्रामपुर। अमेठी शहर से 11 किलोमीटर संग्रामपुर के भवसिंहपुर ग्रामसभा में माता का भव्य और प्राचीन मंदिर स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां मां के चरणों से निकलने वाले नीर को लगाने से नेत्र सम्बन्धित रोग दूर हो जाते हैं, साथ ही दर्शन करने मात्र से भक्तों की सारी मुनादी पूरी हो जाती है।नवरात्रि के समय मां कालिकन धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमडती है दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए यहां दर्शन के लिए आते हैं। सच्चे मन से जो भी भक्त माता को चुनरी व प्रसाद चढ़ाकर मनौती मांगते है मां उनकी मुराद जरूर पूरी करती है उदाहरण के लिए धाम में बधे लाखों घंटे भक्तों के मनोकामना पूर्ण होने के प्रमाण है।
पुराणों में मां कालिकन धाम का इतिहास वर्णित है
संग्रामपुर में स्थित आदिशक्ति पीठ कालिकन धाम का इतिहास देवीभागवत पुराण से लेकर कई पुराने ग्रंथों में वर्णित है, कालिकन धाम के पुजारी श्री महाराज ने बताया है कि यह महर्षि च्यवन की तपोस्थली है। प्राचीन काल में यह कनकपुर के नाम से जाना जाता था, जिसमें एक बार अयोध्या के राजा शरीयात अपनी सेना और पुत्री सुकन्या के साथ यहां वन विहार पर आये थे। और महर्षि च्यवन के आश्रम में उनके दर्शन के लिए। जहां महर्षि च्यवन ने यहां तपस्या में लीन थे, उनके पूरे शरीर पर दीमक ने बंदी बना ली थी, उनके आंखे चमक रही थी। कौतुहल बस राजा की पुत्री सुकन्या ने तिनके से निकालने का प्रयास किया और ऋषि च्यवन की आंखें फुट गई और उसमे से रक्त की धारा निकलने लगी। सुकन्या डर कर अपने सखियों के संग वापस चली गई लेकिन तपस्या भंग होने के बाद ऋषि क्रोधित हो गए और राजा और उनकी पुत्री को श्राप दे दिया गया जिससे राजा के घोड़े, हाथी, सैनिक मूर्छित हो गए। राजा को जब पूरी सच्चाई पता चली तो आश्रम के ऋषियों के साथ राजा महर्षि च्यवन के पास अपनी पुत्री को लेकर क्षमा याचना के लिए गए। सभी ऋषि मुनियों ने निर्णय लिया कि राजा अपनी पुत्री सुकन्या को ऋषि की सेवा से मुक्त करने के लिए छोड़ना होगा, राजा ने ऐसा किया इसके बाद उनके सभी सैनिक हाथी घोड़े ठीक हो गए और राजा अपने राज्य को वापस चले गए, च्यवन ऋषि की दृष्टि ठीक करने के लिए देवताओं के वैद अश्विनी कुमारो का ऋषियों ने आह्वान किया। ऋषि के आंखें ठीक होने के बदले में अश्विनी कुमारों ने यज्ञ में भाग मांगा। सोम यज्ञ के बाद ऋषि के ठीक हो गए और वह युवा बन गए इस घटना में राजा इंद्र अश्विनी कुमार को सोम रस का रसपान कराते देख क्रोधित हो गए और अश्विनी कुमार को दंड का निर्णय दिया गया, जिस पर ऋषि ने आस्थाभन मंत्र से राजा इंद्र को जड़वत कर दिया। अमृत कुंड की रक्षा के लिए ऋषियों द्वारा आदिशक्ति का आह्वान हुआ। माँ कालिका अमृत कुंड पर अमृत की रक्षा के लिए पाषाण रूप में विराजमान है।
नीर लगाने से दूर होते हैं नेत्र विकार रोग
मान्यता है कि धाम में स्थित अमृत कुंड की नीर आंखों में लगाने से नेत्र सम्बन्धित विकार दूर हो जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां के दर्शन कर मुराद मांगता है मां कालिका उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। धाम में बधे हजारों घंटे लोगों के मनोकामना पूर्ण होने के उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री ने टेका है माथा
कालिकन धाम में पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंकन गांधी और भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई देशों के दिग्गज नेताओं ने यहां माथा टेककर आशीर्वाद लिया है। नवरात्रि पर्व पर दूर दराज से लेकर कई राज्यों से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
धाम का पुराणों में है महत्व
कालिकान धाम के पुजारी श्री महाराज ने बताया कि मां कालिका धाम का इतिहास देवी भागवत पुराण, स्कंद पुराण सहित कई पुराने ग्रंथों में वर्णित है मां कालिका आदिशक्ति के रूप में अमृत कुंड पर विराजमान हैं जो भी भक्त मन से उनकी पूजा करते हैं। मां कालिका उनके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। मां कालिका के दर्शन के लिए आए भक्तों में शैलेन्द्र सिंह, बृजेश मिश्रा, विवेक सिंह आदि ने बताया कि मां कालिका के दर्सशन से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हुई है। युवा वर्ग प्रतिदिन कालिकन धाम में माता टेककर सेना, पुलिस, रेलवे सहित कई नौकरियों में काम कर रहे हैं।
पर्यटन विभाग की ओर से धाम का हो रहा विकास
पर्यटन विभाग द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से धाम का विकास किया गया है, जिसमें यात्रियों के लिए रैन बसेरा, सगरे का सौंदरीकरण किया गया है, साथ ही कई यात्री शेड का निर्माण कर आधुनिक भवन तैयार किए गए हैं। धाम में देश-विदेश से लाए गए फूलों से कालिकान धाम वाटिका लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।