
कटरा (जम्मू-कश्मीर), 15 जनवरी। रियासी जिले की त्रिकूटा पहाड़ियों पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर की प्राकृतिक गुफा को मकर संक्रांति के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। यह गुफा अपनी प्राचीनता और आध्यात्मिक महत्ता के लिए जानी जाती है। विशेष पूजा-अर्चना के बाद ‘श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अंशुल गर्ग की उपस्थिति में गुफा का द्वार खोला गया।
इस ऐतिहासिक गुफा के खुलने के साथ श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर है। यह गुफा साल के अधिकांश समय बंद रहती है, जिससे इसके दर्शन का अवसर बेहद खास और दुर्लभ बनता है।
प्राकृतिक गुफा के दर्शन: विशेष अवसर पर दुर्लभ सौभाग्य
मंदिर के गर्भगृह के भीतर स्थित यह प्राकृतिक गुफा आमतौर पर सर्दियों के महीनों में ही खुलती है, जब तीर्थयात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है। यह गुफा सुरक्षा और व्यवस्था के लिहाज से साल भर में केवल सीमित दिनों के लिए ही खोली जाती है।
अधिकारियों के अनुसार, गुफा को तब ही खोला जाता है जब श्रद्धालुओं की संख्या 10,000 से कम होती है। यही कारण है कि सर्दियों के दौरान दिसंबर से फरवरी तक इस गुफा के दर्शन संभव हो पाते हैं। कभी-कभी यह अवधि मार्च के प्रारंभ तक भी बढ़ाई जाती है, विशेष रूप से होली से पहले के दिनों में।
गर्ग ने बताया, “श्रद्धालुओं की संख्या कम होने पर गुफा के दर्शन की अनुमति दी जाती है। हमारा उद्देश्य है कि तीर्थयात्री बिना किसी असुविधा के माता रानी के दर्शन कर सकें।”
मकर संक्रांति पर खुला विशेष द्वार
इस बार मकर संक्रांति उत्सव को ध्यान में रखते हुए गुफा का द्वार खोला गया। सुबह की आरती और पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुए इस आयोजन में श्राइन बोर्ड के अधिकारियों और स्थानीय पुजारियों ने भाग लिया।
श्राइन बोर्ड ने स्पष्ट किया कि तीर्थयात्रियों को नई और पुरानी दोनों गुफाओं से माता के दर्शन का विकल्प दिया गया है। हालांकि, अधिक भीड़ होने की स्थिति में तीर्थयात्रियों को नई गुफा के माध्यम से दर्शन कराए जाएंगे।
गुफा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
माता वैष्णो देवी मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय प्रतीक है। यह गुफा त्रिकूटा पहाड़ियों की गोद में स्थित है और मान्यता है कि माता वैष्णो देवी ने इसी स्थान पर तपस्या की थी।
गुफा के भीतर बहने वाली पवित्र जलधारा ‘चरणगंगा’ का विशेष महत्व है। श्रद्धालु इसे अपने साथ पवित्र स्मृति के रूप में लेकर जाते हैं।
प्राकृतिक गुफा का रास्ता संकरा और चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद भक्त इसे माता के दिव्य रूप से जुड़ने का विशेष माध्यम मानते हैं। इसके दर्शन करने वाले भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।
श्रद्धालुओं की संख्या और व्यवस्थाएं
अधिकारियों के अनुसार, इस साल अब तक 1.50 लाख से अधिक श्रद्धालु वैष्णो देवी के दर्शन कर चुके हैं। यह आंकड़ा मंदिर की लोकप्रियता को दर्शाता है।
पिछले वर्ष कुल 94.83 लाख श्रद्धालु माता के दरबार पहुंचे, जो पिछले एक दशक में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। यह मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और आकर्षण को दर्शाता है।
श्राइन बोर्ड ने बताया कि इस बार तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। रास्ते में पानी, चिकित्सा और सुरक्षा सेवाओं को सुदृढ़ किया गया है। बोर्ड का उद्देश्य है कि हर तीर्थयात्री बिना किसी कठिनाई के माता के दर्शन कर सके।
नई गुफा: आधुनिक व्यवस्थाओं के साथ सुगम दर्शन
पुरानी गुफा के अलावा मंदिर में नई गुफा भी श्रद्धालुओं के लिए एक विकल्प है। आधुनिक तकनीक और व्यवस्थाओं के साथ विकसित इस मार्ग से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री दर्शन कर सकते हैं।
गर्ग ने बताया, “नई गुफा से श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर पा रहे हैं। यहां पर्याप्त स्थान और आधुनिक सुविधाएं हैं, जिससे दर्शन की प्रक्रिया सुचारू रहती है।”
श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि की उम्मीद
श्राइन बोर्ड ने इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में और वृद्धि की उम्मीद जताई है। त्योहारों और छुट्टियों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है।
गर्ग ने कहा, “हम तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सतर्क हैं। हमारी कोशिश है कि हर श्रद्धालु को माता वैष्णो देवी के दर्शन का विशेष अनुभव प्राप्त हो।”
मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
माता वैष्णो देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए कटरा शहर मुख्य आधार है। यहां से तीर्थयात्री लगभग 12 किलोमीटर की चढ़ाई कर त्रिकूटा पहाड़ियों के शिखर पर स्थित मंदिर तक पहुंचते हैं।
चढ़ाई के दौरान सुविधाजनक रूट, जैसे घोड़े, पालकी और हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं। श्रद्धालुओं के लिए इस यात्रा का हर कदम अद्वितीय अनुभव और आस्था का प्रतीक बनता है।
मकर संक्रांति पर माता के दरबार में विशेष उमंग
मकर संक्रांति के अवसर पर माता वैष्णो देवी के दरबार में भक्तों की उमंग देखने लायक है। श्रद्धालुओं ने गुफा के दर्शन कर इसे अपने जीवन का अनमोल क्षण बताया।
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस गुफा के दर्शन से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।
माता वैष्णो देवी मंदिर की प्राकृतिक गुफा का खुलना सर्दियों के महीनों में भक्तों के लिए एक अद्वितीय अवसर है। मकर संक्रांति जैसे पावन अवसर पर यह गुफा श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और आनंद का माध्यम बनती है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए किए गए विशेष प्रबंध इस यात्रा को और अधिक सहज और यादगार बनाते हैं।
श्रद्धालु माता रानी की कृपा से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति करते हुए मंदिर से लौटते हैं, और यह यात्रा उनके जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाती है।