
गोंडा में जय करण वर्मा की अगुवाई में प्रेस वार्ता, 23 मार्च को पराग डेरी के सामने होगा ऐतिहासिक शक्ति प्रदर्शन
गोंडा, 17 मार्च: उत्तर प्रदेश में बहुसंख्यक होने के बावजूद राजनीतिक और सामाजिक उपेक्षा का शिकार कुर्मी समाज अब अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बड़े स्तर पर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। इसी क्रम में, गोंडा में 23 मार्च को “कुर्मी महाकुंभ” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लाखों की संख्या में समाज के लोग जुटेंगे। इस महाकुंभ को लेकर आज एक निजी होटल में जय करण वर्मा की अगुवाई में प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जहां राम करण वर्मा समेत अन्य प्रमुख नेताओं ने समाज की उपेक्षा और उनके हक की लड़ाई को लेकर अपनी बात रखी।
प्रेस वार्ता के दौरान राम करण वर्मा ने कहा कि कुर्मी समाज उत्तर प्रदेश में एक बड़ी आबादी रखता है, लेकिन इसके बावजूद समाज को राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर वह स्थान नहीं मिला, जिसका वह हकदार है। उन्होंने कहा कि “हमारी संख्या बहुत अधिक होने के बावजूद हमें सत्ता और प्रशासन में उचित भागीदारी नहीं मिल रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन सिर्फ शक्ति प्रदर्शन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह समाज की एकता और भाईचारे को भी मजबूत करेगा। उनका कहना था कि “आज कुर्मी समाज को संगठित होकर अपनी ताकत दिखाने की जरूरत है, ताकि राजनीतिक दल हमारी अनदेखी करना बंद करें और हमें हमारा वाजिब हक मिले।”
राजनीतिक उपेक्षा और अधिकारों के लिए संघर्ष
राम करण वर्मा ने कहा कि यह कोई एक दिन का मुद्दा नहीं है, बल्कि दशकों से कुर्मी समाज को योजनाबद्ध तरीके से सत्ता और प्रशासन से दूर रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि “हम सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं, हमारी समस्याओं की सुनवाई नहीं होती। हम किसानों, व्यापारियों और श्रमिकों के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने हमें सिर्फ इस्तेमाल किया है। अब समय आ गया है कि हम अपनी ताकत का अहसास कराएं और राजनीतिक दलों को यह संदेश दें कि हमें अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने कहा कि कुर्मी समाज को उचित भागीदारी दिलाने के लिए यह लड़ाई अब और तेज होगी। जब तक समाज को उसका हक नहीं मिल जाता, तब तक ऐसे महाकुंभ और रैलियां आयोजित की जाती रहेंगी। वर्मा ने बताया कि “23 मार्च को आयोजित कुर्मी महाकुंभ में लाखों की संख्या में समाज के लोग एकत्र होकर यह दिखाएंगे कि अब हम अपने अधिकारों के लिए संगठित हो गए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि महाकुंभ के जरिए समाज की मांगों को सरकार तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि समाज की बड़ी संख्या के बावजूद सरकारी नौकरियों, शिक्षा और प्रशासन में कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व नगण्य है। यह स्थिति दर्शाती है कि किस तरह कुर्मी समाज को हाशिए पर रखा गया है। वर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “जब तक हमें राजनीतिक और प्रशासनिक भागीदारी नहीं मिलती, तब तक हम चुप नहीं बैठेंगे।” उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करेगा और राजनीतिक दलों को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि अगर उन्होंने कुर्मी समाज की उपेक्षा जारी रखी, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बदलाव की मांग
इस दौरान वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जातिगत अधिकारों और प्रतिनिधित्व को लेकर दिए गए विभिन्न फैसलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “आज सुप्रीम कोर्ट कॉन्सेप्ट पर किसी का ध्यान नहीं है, हमें न्याय देने के लिए किसी ने पहल नहीं की है। हमारी आवाज दबाई जा रही है और हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।” उन्होंने आगे कहा कि “हमारा समाज मेहनतकश है, हम किसानों, उद्यमियों और श्रमिकों के रूप में देश की तरक्की में योगदान देते हैं, लेकिन जब हक की बात आती है तो हमें हाशिए पर धकेल दिया जाता है।”
उन्होंने कहा कि “हमारा आंदोलन सिर्फ कुर्मी समाज के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की उस संकल्पना के लिए भी है, जो हर वर्ग को समान अवसर और अधिकार देने की बात करती है।” उन्होंने कहा कि 23 मार्च का आयोजन यह साबित करेगा कि कुर्मी समाज अब अपने अधिकारों के लिए एकजुट है और वह अपनी आवाज को और बुलंद करेगा।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार और राजनीतिक दल कुर्मी समाज की मांगों को गंभीरता से नहीं लेंगे, तो यह आंदोलन और व्यापक होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि “जब तक हमें शिक्षा, रोजगार, प्रशासन और राजनीति में उचित भागीदारी नहीं मिलती, तब तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।” उन्होंने कहा कि “कुर्मी समाज ने हमेशा समाज को जोड़ने का काम किया है और आगे भी हम इसी भावना से काम करेंगे, लेकिन अब हमें हमारे अधिकारों की अनदेखी मंजूर नहीं है।”
“23 मार्च को पराग डेरी के सामने लाखों की भीड़ जुटेगी और यह एक ऐतिहासिक शक्ति प्रदर्शन होगा। यह कुर्मी समाज की एकता का प्रतीक बनेगा और सरकार को हमारी ताकत का अहसास कराएगा।” वर्मा ने कहा कि इस महाकुंभ में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से प्रमुख नेता, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा शामिल होंगे।
प्रेस वार्ता में मौजूद अन्य नेताओं ने भी समाज की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह समय एकजुट होने का है। उन्होंने सभी से 23 मार्च को अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस महाकुंभ को सफल बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ एक सभा नहीं, बल्कि कुर्मी समाज के उत्थान और हक की लड़ाई की शुरुआत है।”