
गोंडा 21 नवंबर। जिले के उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र में स्थित मां वाराही देवी मंदिर, जो कि क्षेत्र का प्रसिद्ध और ऐतिहासिक शक्तिपीठ है, बीते दिनों तनाव और हिंसा का केंद्र बन गया। इस मंदिर में चल रहे महंत पद को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था, लेकिन हाल ही में यह विवाद हिंसक झड़प में तब्दील हो गया।
मंदिर परिसर में बीते कुछ दिनों से मरम्मत का कार्य चल रहा था। साध्वी रामादेवी, जो मंदिर के रखरखाव और मरम्मत का कार्य देख रही थीं, के अनुसार यह मरम्मत उखड़े हुए प्लास्टर को ठीक करने और मंदिर की संरचना को मजबूत बनाने के लिए किया जा रहा था। साध्वी का कहना है कि यह कार्य भक्तों और दानदाताओं के सहयोग से हो रहा था। हालांकि, दूसरे पक्ष ने इस कार्य का विरोध किया, जिसे लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में मारपीट तक की नौबत आ गई।
महंत पद को लेकर विवाद
सूत्रों के अनुसार, मंदिर में महंत पद को लेकर पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है। मंदिर के दो प्रमुख पक्ष इस पद पर अपने-अपने अधिकार का दावा करते हैं। जहां साध्वी रामादेवी का पक्ष मानता है कि मंदिर के प्रशासन और संचालन का अधिकार उनके पास है, वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि वे इस परंपरा के असली उत्तराधिकारी हैं। यह विवाद समय-समय पर बढ़ता रहा है और अब मरम्मत कार्य ने इसमें और आग लगा दी।
घटना का घटनाक्रम: मारपीट और हंगामा
घटना के दिन साध्वी रामादेवी के निर्देशन में मरम्मत कार्य चल रहा था। तभी दूसरे पक्ष के लोग मंदिर परिसर में आए और इस कार्य को तुरंत रोकने की मांग की। दोनों पक्षों के बीच कहासुनी बढ़ने लगी, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई। दूसरे पक्ष ने न केवल साध्वी के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि कथित तौर पर प्रसाद की दुकानों पर हमला कर दिया।
दुकानों पर हमला: मिठाइयां फेंकी गईं बाहर
मंदिर परिसर में प्रसाद बेचने वाले दुकानदार भी इस हिंसा का शिकार हुए। दूसरे पक्ष ने दुकानों में घुसकर मिठाइयों और प्रसाद को बाहर फेंक दिया। दुकानदारों का कहना है कि उनकी दुकानों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, जिससे उनका भारी नुकसान हुआ।
CCTV फुटेज ने किया खुलासा
पूरी घटना का CCTV फुटेज सामने आने के बाद यह मामला और तूल पकड़ गया। फुटेज में दोनों पक्षों के बीच झगड़े के दृश्य साफ तौर पर देखे जा सकते हैं। फुटेज में मारपीट और प्रसाद की दुकानों पर हुए हमले का स्पष्ट प्रमाण मिलता है। इस फुटेज के सार्वजनिक होने के बाद स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी घटनाएं धार्मिक स्थलों पर कैसे हो सकती हैं।
स्थानीय पुलिस की भूमिका
घटना की सूचना मिलते ही उमरी बेगमगंज थाना क्षेत्र की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने बताया कि दोनों पक्षों की शिकायत दर्ज कर ली गई है और फुटेज के आधार पर जांच की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
साध्वी रामादेवी का बयान
साध्वी रामादेवी ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि यह हमला न केवल मंदिर की शांति को भंग करने वाला है, बल्कि धार्मिक आस्थाओं पर भी आघात है। उन्होंने आरोप लगाया कि दूसरे पक्ष ने जानबूझकर मरम्मत कार्य को रोकने और मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया।
दूसरे पक्ष का पक्ष
दूसरे पक्ष के सदस्यों ने मरम्मत कार्य को लेकर अपना बचाव किया। उनका कहना है कि मरम्मत कार्य में उनकी अनुमति नहीं ली गई थी और यह कार्य मंदिर की परंपरागत संरचना के खिलाफ है। उन्होंने साध्वी रामादेवी पर मंदिर के संसाधनों का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया।
मंदिर का महत्व और विवाद का असर
मां वाराही देवी मंदिर क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व इतना अधिक है कि यह पूरे प्रदेश में विख्यात है। लेकिन इस तरह के विवाद और हिंसा ने भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाई है।
दुकानदारों की व्यथा
मंदिर परिसर में प्रसाद बेचने वाले दुकानदार इस घटना से गहरे सदमे में हैं। उनका कहना है कि वे किसी भी विवाद का हिस्सा नहीं थे, लेकिन फिर भी उनकी दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया। दुकानदारों ने प्रशासन से न्याय की मांग की है और कहा है कि उनके नुकसान की भरपाई की जाए।
प्रशासन का कदम
घटना के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। गोंडा के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने घटना सुरक्षा के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं अधिकारियों ने घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही।
मां वाराही देवी मंदिर का यह विवाद एक गंभीर समस्या बन गया है, जिसे जल्द से जल्द सुलझाने की आवश्यकता है। प्रशासन और समाज को मिलकर इस मामले का समाधान निकालना होगा ताकि धार्मिक स्थलों की गरिमा बनी रहे। जांच और कार्रवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि दोषी कौन है। इस घटना ने यह भी सिखाया है कि धार्मिक स्थलों पर शांति और पवित्रता बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।