
लखनऊ 28 दिसंबर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को आईटी और तकनीकी क्षेत्र में नया मुकाम दिलाने की दिशा में लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गोमती नगर विस्तार के करीब आधा दर्जन गांवों में प्रस्तावित आईटी सिटी के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सुनियोजित विकास को ध्यान में रखते हुए, इन गांवों में जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई गई है। एलडीए ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि इन क्षेत्रों में जमीन की बिक्री या मानचित्र स्वीकृत कराना अब अवैध होगा।
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और प्रभावित क्षेत्र
आईटी सिटी का विकास कुल 1582 एकड़ भूमि पर किया जाएगा, जबकि इसके साथ 1300 एकड़ क्षेत्रफल में वेलनेस सिटी की स्थापना भी की जाएगी। इस परियोजना के लिए चयनित गांवों में रकीबाबाद, सोनई कंजेहरा, भटवारा, मोहारी खुर्द, सिकन्दरपुर अमोलिया, बक्कास, पहाड़नगर टिकरिया, सिद्धपुरा, परेहटा और खुजौली शामिल हैं। इन गांवों के विभिन्न खसरा नंबरों पर रोक लगाई गई है, और जमीन का अधिग्रहण सरकारी दरों पर किया जाएगा।
योजना का महत्व और उद्देश्य
आईटी सिटी के निर्माण का उद्देश्य लखनऊ को तकनीकी और औद्योगिक हब के रूप में विकसित करना है। यह योजना हाईटेक प्रौद्योगिकी पार्क, ग्लोबल बिजनेस पार्क, साइंस एवं इंजीनियरिंग उपकरण क्षेत्र, और सुपर स्पेशलिटी मेडिकल जोन जैसे प्रमुख विकास क्षेत्रों को शामिल करती है। परियोजना के अंतर्गत 360 एकड़ इंडस्ट्रियल एरिया और 64 एकड़ व्यावसायिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य अधिकतम निजी निवेश को आकर्षित करना और रोजगार के नए अवसर प्रदान करना है।
जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक क्यों?
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद कुछ प्रॉपर्टी डीलर और बिल्डर जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त में संलग्न थे। इसे रोकने के लिए एलडीए ने सूचना के बोर्ड लगाकर जनता को सतर्क किया है। अधिग्रहण के बाद, इन जमीनों पर सभी प्रकार की गतिविधियां केवल सरकारी अनुमोदन के आधार पर ही हो सकेंगी।
विकास की संभावनाएं और निजी निवेश का आकर्षण
आईटी सिटी के तहत 360 एकड़ क्षेत्र में इंडस्ट्रियल एरिया और 15 एकड़ क्षेत्र में वाटर बॉडी विकसित की जाएगी, जो परियोजना की पहचान होगी। कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर से जुड़े उद्योगों के लिए विशेष प्लॉट्स की व्यवस्था की गई है। एचसीएल जैसी बड़ी कंपनियां पहले ही इस क्षेत्र में आ चुकी हैं, जिससे अन्य निवेशकों के लिए भी आकर्षण बढ़ा है।
आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र
योजना के तहत 72 से 1250 वर्गमीटर क्षेत्रफल के कुल 4025 आवासीय भूखंड विकसित किए जाएंगे। इनमें से सर्वाधिक 1848 भूखंड 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल के होंगे। इसके अलावा, वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए 64 एकड़ भूमि आरक्षित की गई है।
चुनौतियां और विवाद
हालांकि योजना को लेकर विवाद भी उभरे हैं। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रभावित किसानों के उचित मुआवजे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। किसानों की सहमति सुनिश्चित करना और जमीन अधिग्रहण के बदले उचित पुनर्वास की व्यवस्था करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
योजना की प्रगति और लागत
इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर कुल 1600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) पहले ही तैयार हो चुकी है, और प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सुल्तानपुर रोड और किसान पथ के बीच के क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
पर्यावरण और टिकाऊ विकास
आईटी सिटी के विकास के दौरान पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना एक महत्वपूर्ण पहलू है। वाटर बॉडी और हरित क्षेत्र की योजना से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी हो।
प्रभात भारत विशेष
लखनऊ की आईटी सिटी योजना, उत्तर प्रदेश को तकनीकी और औद्योगिक हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रशासन किस हद तक भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाता है। उचित मुआवजा, पुनर्वास और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने जैसे पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक होगा। यदि योजना अपने उद्देश्यों को पूरा करती है, तो यह लखनऊ के विकास और रोजगार सृजन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।