
गोंडा 25 अगस्त। पूर्वांचल का प्रमुख लोकपर्व कजरी तीज सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान का नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और जनसमूह के विशाल जमावड़े का प्रतीक भी है। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरयू घाट, दु्र्घटनाथ मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर जुटते हैं। भीड़ का यह आकार प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होता है। किसी भी तरह की चूक न सिर्फ अव्यवस्था बल्कि सुरक्षा संकट का कारण बन सकती है। यही वजह रही कि इस बार गोंडा पुलिस ने कजरी तीज पर सुरक्षा प्रबंधन को एक मॉडल की तरह प्रस्तुत किया।
तीन सेक्टर, 18 जोन, दस हजार से अधिक पुलिस कर्मी, सीसीटीवी से निगरानी और मोबाइल क्विक रिस्पांस टीमें – ये सब व्यवस्था तो कागज पर बनी थी, लेकिन असल फर्क पड़ा तब जब खुद एक दिन पहले से ही पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल पूरी रात मैदान में डटे रहे। उन्होंने न सिर्फ सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की बल्कि सरयू घाट पर मौजूद कांवरियों की सुरक्षा को लेकर मौके पर खड़े होकर दिशा-निर्देश भी दिए।
कजरी तीज: आस्था और भीड़ प्रबंधन की दोहरी चुनौती
कजरी तीज पर्व का सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। सावन-भादों में मनाया जाने वाला यह पर्व गोंडा, बहराइच, फैजाबाद और आसपास के जिलों में लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। महिलाएं व्रत-उपवास कर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और सरयू नदी में स्नान कर अपनी आस्था व्यक्त करती हैं।
लेकिन इतनी विशाल भीड़ प्रशासन के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं। सुरक्षा, यातायात प्रबंधन, स्वास्थ्य सुविधा और आपदा प्रबंधन – चारों मोर्चों पर प्रशासन को एक साथ काम करना पड़ता है। पिछले वर्षों में कई बार भीड़ नियंत्रण में चूक और जेबकतरों जैसी घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। यही कारण था कि इस बार पुलिस-प्रशासन ने खास रणनीति बनाई है।
सुरक्षा का खाका: सेक्टर और जोन सिस्टम
गोंडा पुलिस ने पूरे जिले को तीन सेक्टर और 18 जोन में बांटा। हर जोन में अलग-अलग पुलिस टीम लगाई गई। संवेदनशील स्थानों जैसे—
- दु्र्घटनाथ मंदिर,
- सरयू घाट,
- बरखड़ी नाथ मंदिर,
- गुरुनानक चौक,
- अंबेडकर चौक,
- कटरा बाजार,
- बालपुर कस्बा
को अलग-अलग श्रेणी में रखते हुए अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है।
मोबाइल क्विक रिस्पांस टीम (QRT) हर वक्त तैयार रही। भीड़ नियंत्रण और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पैदल पेट्रोलिंग को अलग-अलग मार्गों पर लगाया गया। वहीं, सीसीटीवी कैमरों से नियंत्रण कक्ष में हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है।
एसपी विनीत जायसवाल की मैदानी सक्रियता
किसी भी बड़े आयोजन में सुरक्षा की असली कसौटी अफसरों की मैदानी मौजूदगी से होती है। वे देर रात तक सरयू घाट पर मौजूद रहे। कांवरियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा इंतजामों की बारीकी से समीक्षा की। सुरक्षा कर्मियों को मौके पर ही दिशा-निर्देश दिए एसपी का यह सक्रिय रुख न सिर्फ पुलिस कर्मियों के लिए उत्साहवर्धक रहा, बल्कि श्रद्धालुओं को भी भरोसा दिलाया कि प्रशासन हर वक्त उनके साथ खड़ा है।
रातभर मुस्तैद रहगी पुलिस
रात का समय हमेशा सुरक्षा की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होता है। अंधेरे और भीड़ के बीच चोरी-छिनैती, जेबकतरी और अफवाह फैलाने जैसी घटनाओं की आशंका अधिक रहती है। लेकिन इस बार पुलिस ने इसे बेहद गंभीरता से लिया।
- रैपिड एक्शन टीम,
- फील्ड यूनिट,
- डॉग स्क्वायड,
- जल पुलिस,
- और पीएसी की तैनाती से सुरक्षा कवच और मजबूत किया गया है।
कांवरियों की सुरक्षा के लिए जल पुलिस की नावें लगातार सरयू नदी में गश्त करती रहीं। घाटों पर भीड़ के दबाव को कम करने के लिए एक तरफा आवागमन और बैरिकेडिंग का प्रयोग किया गया है।
नियंत्रण कक्ष से चौकसी
न सिर्फ मैदानी स्तर पर, बल्कि तकनीकी निगरानी भी इस बार अहम रही।
- सरयू घाट, दु्र्घटनाथ मंदिर और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों को नियंत्रण कक्ष से जोड़ा गया है।
- सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी की जा रही है।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि या भीड़ के अचानक बढ़ने पर तुरंत अलर्ट जारी किया जाता रहेगा।
यह व्यवस्था पुलिस के आधुनिक प्रबंधन का उदाहरण बन रहा है।
प्रशासन-पुलिस की संयुक्त जिम्मेदारी
इस बार कजरी तीज पर सिर्फ पुलिस ही नहीं, प्रशासन भी पूरी तरह सक्रियरहै। डीएम और एसपी दोनों ने मैदानी हालात पर लगातार नज़र रखी हुई है। संवेदनशील स्थलों पर संयुक्त निरीक्षण और अधिकारियों-कर्मचारियों की ब्रीफिंग की गई है।
पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने कहा:
“हमारी प्राथमिकता है कि श्रद्धालु शांति और श्रद्धा के साथ पर्व मना सकें। इसके लिए पुलिस ने चौकसी की हर सीमा पार की। हर थाने से लेकर जोन तक अफसर मुस्तैद रहे। सुरक्षा और सुविधा, दोनों को ध्यान में रखकर व्यवस्था की गई है।”
क्यों खास है इस बार?
कजरी तीज पर गोंडा पुलिस की रणनीति सिर्फ परंपरागत तैनाती तक सीमित नहीं रही।
- अधिकारियों की मैदान में मौजूदगी – खुद एसपी का रातभर सक्रिय रहना।
- तकनीक का इस्तेमाल – नियंत्रण कक्ष और सीसीटीवी मॉनिटरिंग।
- सहयोगी बलों की तैनाती – डॉग स्क्वायड से लेकर पीएसी तक।
- भीड़ प्रबंधन की नई पद्धति – एकतरफा आवागमन और मोबाइल QRT।
इन सबने मिलकर इस बार के सुरक्षा इंतजामों को एक सफल मॉडल बना दिया।
कजरी तीज सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गोंडा जिले की प्रशासनिक क्षमता की भी परीक्षा होती है। इस बार पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल की मैदानी सक्रियता, रातभर सुरक्षा की कमान संभालना और कांवरियों की सुरक्षा समीक्षा ने इस आयोजन को न सिर्फ सुरक्षित बनाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि प्रशासन अगर सक्रिय और संवेदनशील हो, तो किसी भी बड़े आयोजन को बिना किसी बाधा के सम्पन्न कराया जा सकता है।