
गोंडा, 2 फरवरी। गोंडा में अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड दिवस का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वनटांगिया समुदाय पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। यह पुस्तक गोंडा जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई है, जो वनटांगिया समुदाय के संघर्ष और उनके योगदान को दर्शाती है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह आयोजन गोंडा की झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और इसे संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
गोंडा की झील को अंतरराष्ट्रीय पहचान: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम
गोंडा जिले में स्थित यह झील वर्षों से अपनी जैव विविधता के लिए जानी जाती है, लेकिन अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने जा रही है। सरकार ने इसे एक महत्वपूर्ण वेटलैंड साइट के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इस आयोजन का उद्देश्य वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) के संरक्षण और उनके महत्व को उजागर करना था।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा,
“धरती हमारी माता है, और जीवन के लिए पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। पिछले 10 वर्षों में देश में 63 रामसर साइट्स को मान्यता मिली है, जो कि पिछले 65 वर्षों की तुलना में बहुत बड़ा कदम है। इस दशक में हमने 89 रामसर साइट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिन्हित करने का लक्ष्य रखा है।”
अंतरराष्ट्रीय पक्षी प्रवास और जैव विविधता का केंद्र
मुख्यमंत्री ने झील की जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस झील में हजारों किलोमीटर दूर से प्रवासी पक्षी आते हैं, जो पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
“मैंने देखा कि यहाँ कई प्रकार के पक्षी प्रवास करते हैं। जब ये पक्षी यहाँ आते हैं, तो अपने मूल स्थानों की यादें और वहां के पर्यावरणीय संकेत भी हमारे लिए लाते हैं। इस झील को संरक्षित करके हम इन पक्षियों और स्थानीय जैव विविधता को सुरक्षित रख सकते हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
अतिक्रमण और संरक्षण: सरकार की रणनीति
मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारत में कई महत्वपूर्ण वेटलैंड्स अतिक्रमण के कारण नष्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि झीलों और अन्य आर्द्रभूमियों को संरक्षित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
“इस तरह की साइट्स को अक्सर अतिक्रमण का सामना करना पड़ता है। हमने देखा है कि देश में कई महत्वपूर्ण झीलें और जलाशय इसी कारण नष्ट हो गए हैं। सरकार ऐसे क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए नई योजनाओं पर काम कर रही है,” मुख्यमंत्री ने कहा।
महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की नई राह: वनटांगिया समुदाय की भागीदारी
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वनटांगिया समुदाय और अन्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार उन्हें ऑनलाइन प्लेटफार्म से जोड़ेगी।
“पहले लोग स्थानीय उत्पाद बनाते थे, लेकिन उन्हें उचित बाजार नहीं मिल पाता था। अब सरकार ने अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ समझौता किया है, जिससे स्थानीय उत्पादों को ऑनलाइन बेचा जा सकेगा। इससे हमारे कारीगरों और स्वंय सहायता समूहों की महिलाओं को आत्मनिर्भरता मिलेगी,” मुख्यमंत्री ने कहा।
टिकरी जंगल को ओपन सफारी के रूप में विकसित करने की योजना
गोंडा में पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार टिकरी जंगल को ओपन सफारी के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इससे मंडल और अवध क्षेत्र में टूरिज्म को नया आयाम मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र को बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
“टिकरी जंगल को एक ओपन सफारी क्षेत्र के रूप में विकसित करने से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। यूपी सरकार इसकी कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने पर कार्य कर रही है,”।
सरयु नहर परियोजना: झील के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरयु नहर परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार इस झील को इस महत्वपूर्ण नहर परियोजना से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इससे झील में जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी और जल स्तर बना रहेगा।
“सरयु नहर परियोजना से इस झील को जोड़ा जाएगा, ताकि यहां जल की निरंतरता बनी रहे और पारिस्थितिक तंत्र सुरक्षित रहे। इससे क्षेत्र में कृषि और जल आपूर्ति को भी लाभ मिलेगा,” उन्होंने कहा।
वन महोत्सव: 2.10 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण
पर्यावरण संरक्षण के तहत मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए वृक्षारोपण कार्यों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछले 8 वर्षों में प्रदेश में 2.10 करोड़ पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से 70% पौधे सुरक्षित हैं।
“पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण किया है। अब तक 2.10 करोड़ पौधे लगाए गए हैं, और इनमें से 70% सुरक्षित हैं। यह दर्शाता है कि हमारी सरकार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प है,” उन्होंने कहा।
ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट) योजना का समर्थन
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को चीन से सामान खरीदने की बजाय उत्तर प्रदेश के स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ODOP योजना के तहत हर जिले के उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय कारीगरों को सीधा लाभ मिल रहा है।
“आप जब चीन से उत्पाद खरीदते हैं और उपहार देते हैं, तो इससे हमारे स्थानीय कारीगरों को कोई लाभ नहीं मिलता। लेकिन यदि आप ODOP योजना के तहत बने उत्पाद खरीदते हैं, तो यह हमारे स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा,” मुख्यमंत्री ने कहा।
गोंडा की नई पहचान और विकास का नया अध्याय
गोंडा में अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड दिवस का आयोजन सिर्फ एक समारोह नहीं था, बल्कि यह जिले के विकास की नई दिशा तय करने वाला कदम था। झील को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने से लेकर वनटांगिया समुदाय के सम्मान तक, इस आयोजन ने गोंडा को एक नए आयाम पर पहुंचाया है।
सरकार की योजनाएं, जैसे कि टिकरी जंगल को ओपन सफारी में बदलना, सरयु नहर परियोजना से झील को जोड़ना, महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता के कार्यक्रम और ODOP योजना, सभी मिलकर इस क्षेत्र को एक नए आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की ओर ले जाएंगे।
गोंडा अब सिर्फ एक ऐतिहासिक जिला नहीं रहेगा, बल्कि यह पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता का एक मॉडल बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है।