
गोंडा, 15 अप्रैल। जनपद गोंडा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत कराए गए कार्यों की गुणवत्ता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के निर्देश पर मनरेगा के तहत क्रियान्वित हुए कार्यों के स्थलीय सत्यापन हेतु सघन निरीक्षण अभियान की शुरुआत की गई है। इस व्यापक निरीक्षण का उद्देश्य है यह सुनिश्चित करना कि ग्राम पंचायत स्तर पर कराए गए निर्माण एवं विकास कार्य न केवल तकनीकी और वित्तीय मानकों पर खरे उतरें, बल्कि ग्रामीण जनता की उम्मीदों पर भी खरे साबित हों।
प्रशासन द्वारा यह फैसला तब लिया गया जब यह संज्ञान में आया कि कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के अंतर्गत कराए गए कार्यों की गुणवत्ता संदिग्ध है और कुछ स्थानों पर पारदर्शिता को लेकर भी ग्रामीणों में असंतोष है। वर्ष 2024-25 में कराए गए जिन कार्यों की लागत सामग्री मद में न्यूनतम 11.85 लाख रुपये तक है, उन्हीं को इस बार जांच के लिए प्राथमिकता दी गई है। इस दायरे में आने वाले कुल 1046 कार्यों का चयन जिले की 160 ग्राम पंचायतों से किया गया है, जो अपने आप में एक बड़ा आँकड़ा है और यह दर्शाता है कि प्रशासन इस बार किसी भी स्तर पर समझौता करने के मूड में नहीं है।
जिलाधिकारी ने इस संबंध में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि जांच कार्य पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए। इसके लिए प्रत्येक विकासखंड को कवर करते हुए वरिष्ठ जिला स्तरीय अधिकारियों को नामित किया गया है। नामित अधिकारियों में जिला पूर्ति अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, परियोजना निदेशक डीआरडीए, जिला उद्यान अधिकारी, उप निदेशक कृषि, अधिशासी अभियंता जल निगम, लघु सिंचाई तथा लोक निर्माण विभाग सहित अन्य अनुभवी एवं तकनीकी विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं। इसका उद्देश्य है कि जांच बहुआयामी हो और हर तकनीकी पहलू को बारीकी से परखा जाए।
इन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे आगामी सात दिनों के भीतर स्थलीय सत्यापन पूर्ण करें और अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को निर्धारित प्रारूप में सौंपें। इस सत्यापन में निर्माण सामग्री की गुणवत्ता, कार्य की समयसीमा, लाभार्थी की सहभागिता, श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति और भुगतान की पारदर्शिता जैसे बिंदुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। जिलाधिकारी ने इस बात पर विशेष बल दिया है कि यह सत्यापन सिर्फ औपचारिकता न होकर वास्तव में ग्राम स्तर पर हो रहे विकास की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करे।
यह पहली बार नहीं है जब जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने जनहित से जुड़ी किसी योजना में व्यक्तिगत रुचि दिखाते हुए ऐसे कड़े निर्देश दिए हों। पूर्व में भी जिले में संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा बैठकों के दौरान वह स्पष्ट कर चुकी हैं कि किसी भी प्रकार की अनियमितता, भ्रष्टाचार या कार्यों में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मनरेगा जैसी योजना, जो ग्रामीण भारत की रीढ़ मानी जाती है, उसमें किसी भी स्तर की चूक न केवल वित्तीय नुकसान है, बल्कि यह गरीब मजदूरों के अधिकारों का भी हनन है।
मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायतों को न केवल रोजगार सृजन का अवसर मिलता है, बल्कि यह स्थानीय स्तर पर बुनियादी ढांचे के निर्माण का भी माध्यम है। अगर इस योजना का क्रियान्वयन सही ढंग से किया जाए तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक हो सकती है। लेकिन हाल के वर्षों में देखा गया है कि कुछ पंचायतों में कार्य दिखाए तो जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी उपस्थिति या गुणवत्ता शून्य होती है। यही कारण है कि प्रशासन ने इस बार तकनीकी अधिकारियों की सहायता से विस्तृत जांच प्रक्रिया शुरू की है।
भौतिक सत्यापन के इस अभियान के दौरान यदि किसी कार्यदायी संस्था, पंचायत प्रतिनिधि या संबंधित अधिकारी की लापरवाही, मिलीभगत या वित्तीय अनियमितता पाई जाती है, तो उनके विरुद्ध सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने यह भी संकेत दिए हैं कि दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है और उन्हें भविष्य की किसी भी योजना से बाहर रखा जाएगा। इससे यह साफ है कि यह अभियान केवल रिपोर्ट तैयार करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके बाद कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी पूरी तैयारी है।
ग्राम पंचायतों में हो रहे कार्यों की मॉनिटरिंग का यह नया मॉडल राज्य सरकार के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकता है। जिलाधिकारी द्वारा की गई पहल से न केवल कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि योजना का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे। साथ ही इससे उन कर्मठ ग्राम प्रधानों और अधिकारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं। इससे सरकारी योजनाओं के प्रति ग्रामीणों में विश्वास भी बढ़ेगा, जो शासन की सबसे बड़ी सफलता मानी जाती है।
अंततः यह कहा जा सकता है कि गोंडा जिले में मनरेगा के अंतर्गत चल रहे कार्यों की गहन जांच, प्रशासन की जवाबदेही को दर्शाती है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा की नेतृत्व क्षमता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता निश्चित रूप से जिले के समग्र विकास में मील का पत्थर साबित होगी। यह अभियान यह साबित करता है कि जब जिला प्रशासन अपने दायित्व को गंभीरता से निभाता है, तो ग्रामीण विकास योजनाओं की सच्ची तस्वीर उभरकर सामने आती है।