
गोंडा, 03 दिसंबर। शीतलहर और कड़ाके की ठंड से राहत देने के लिए गोंडा जिले की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने एक नई और अभिनव पहल शुरू की है। जनपद में पहली बार गैस आधारित हीटर सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जा रहे हैं। यह पहल न केवल ठंड से बचाव में मदद करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक बचत के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण साबित हो रही है। इस योजना के तहत गोंडा जिले में 27 सार्वजनिक स्थलों को चिन्हित किया गया है, जहां इन हीटरों को स्थापित किया जाएगा।
सभी नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में होगी शुरुआत
जिला प्रशासन द्वारा इस पहल को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। इसके तहत सभी नगरपालिकाओं और नगर पंचायतों में गैस आधारित हीटर लगाए जाएंगे। करनैलगंज और मनकापुर नगर पालिकाओं में चार-चार गैस हीटर और गोण्डा नगरपालिका में पांच गैस हीटर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, प्रत्येक नगर पंचायत में दो गैस हीटर उपलब्ध कराए गए हैं। इन हीटरों के संचालन के लिए एलपीजी का उपयोग किया जाएगा, जो एक पर्यावरण अनुकूल और किफायती ईंधन है।
गैस हीटर: एक किफायती और इको-फ्रेंडली समाधान
गैस आधारित हीटरों का उपयोग परंपरागत अलाव की तुलना में न केवल अधिक प्रभावी है, बल्कि यह प्रदूषण और धुएं जैसी समस्याओं से भी बचाता है। प्रत्येक गैस हीटर की कीमत 12,500 रुपये है और इसे लंबे समय तक उपयोग में लाया जा सकता है। इसके साथ ही, एलपीजी आधारित रिफिलिंग प्रणाली के चलते एक हीटर लगभग 25 दिनों तक सुचारू रूप से काम करेगा। यह समाधान ठंड के प्रकोप को कम करने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी लाभकारी है।
सार्वजनिक स्थलों पर राहत की उम्मीद
चिन्हित किए गए 27 सार्वजनिक स्थलों में प्रमुख चौराहे, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और बाजार क्षेत्र शामिल हैं। इन स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं और ठंड का सामना करते हैं। गैस हीटरों की उपलब्धता से लोगों को ठंड से राहत मिलेगी और वे सार्वजनिक स्थलों पर बिना किसी परेशानी के समय बिता सकेंगे। यह पहल खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी होगी जो रैन बसेरों में नहीं जा सकते और जिन्हें ठंड के कारण खुले स्थानों में रहना पड़ता है।
डीएम नेहा शर्मा का बयान
इस अभिनव पहल पर जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा, “हमारा उद्देश्य ठंड से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम उठाना है। एलपीजी आधारित गैस हीटर न केवल सस्ता और सुरक्षित विकल्प है, बल्कि यह प्रदूषण भी कम करता है। यह योजना जनपद के लिए एक नई दिशा तय करेगी और अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा बनेगी।” डीएम ने जोर देकर कहा कि इस पहल का उद्देश्य समाज के हर वर्ग, विशेषकर गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना है।
पारंपरिक अलाव की तुलना में गैस हीटरों के फायदे
गैस हीटरों का इस्तेमाल परंपरागत अलाव के मुकाबले ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है। पारंपरिक अलाव में लकड़ी और कोयले का उपयोग होता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा, अलाव जलाने में समय और संसाधनों की खपत अधिक होती है। दूसरी ओर, गैस हीटरों का इस्तेमाल तेज, सरल और प्रभावशाली है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि इसे इस्तेमाल करना भी आसान है।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश
डीएम नेहा शर्मा ने इस पहल को सफल बनाने के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी सार्वजनिक स्थलों पर गैस हीटरों की स्थापना और रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इन हीटरों का उपयोग हर जरूरतमंद तक पहुंचे और ठंड से कोई भी व्यक्ति परेशान न हो।
जनता की प्रतिक्रिया
गोंडा जिले के लोगों ने इस पहल की सराहना की है। स्थानीय निवासी रामनाथ यादव ने कहा, “हमारे यहां ठंड का प्रकोप बहुत अधिक होता है। डीएम मैडम की यह पहल बहुत लाभकारी है। गैस हीटर से हमें ठंड से राहत मिलेगी और धुएं जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा।” एक अन्य निवासी सविता देवी ने कहा, “पहली बार ऐसा हो रहा है कि जिला प्रशासन ने ठंड से बचाव के लिए इतना बड़ा कदम उठाया है। यह योजना गरीब और वंचित लोगों के लिए बहुत मददगार होगी।”
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम
यह पहल सिर्फ ठंड से बचाव तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। पारंपरिक अलाव से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण की समस्या को गैस हीटरों के माध्यम से प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है। एलपीजी आधारित हीटर न केवल प्रदूषण मुक्त हैं, बल्कि यह दीर्घकालिक उपयोग के लिए भी उपयुक्त हैं।
प्रभात भारत विशेष
डीएम नेहा शर्मा की यह अभिनव पहल गोंडा जिले में शीतलहर और ठंड के प्रकोप को कम करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह योजना न केवल ठंड से प्रभावित लोगों को राहत देगी, बल्कि पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से भी एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी। जिला प्रशासन का यह प्रयास समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने और उन्हें ठंड से सुरक्षित रखने के उद्देश्य को पूरा करता है। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है, जिससे यह पहल पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बनेगी।