
गोंडा, 1 जुलाई 2025। उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अगर नेतृत्व में दूरदृष्टि हो, प्रशासनिक टीम में समर्पण हो और तकनीक के प्रयोग के प्रति प्रतिबद्धता हो, तो किसी भी जिले को देश और प्रदेश में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में गोंडा जिले ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए ई-गवर्नेंस की दिशा में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराई है।
जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा के कुशल मार्गदर्शन और मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती अंकिता जैन के नेतृत्व में कार्य कर रहे मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय ने ई-फाइलिंग प्रणाली में उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए प्रदेश के टॉप टेन जिलों में अपनी जगह बनाई है। इस सूची में गोंडा के साथ-साथ अम्बेडकरनगर, बाराबंकी, रामपुर, हरदोई, एटा, वाराणसी, कासगंज, श्रावस्ती और कन्नौज जैसे जिले शामिल हैं।
यह न केवल जनपद के लिए गर्व का विषय है, बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है।
ई-गवर्नेंस अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस का उद्देश्य शासन तंत्र को डिजिटल माध्यमों से पारदर्शी, तेज, जवाबदेह और कागजरहित बनाना है। यह नागरिकों को त्वरित सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ प्रशासनिक लागत को कम करने, पर्यावरण संरक्षण और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण जैसे अनेक लाभ सुनिश्चित करता है।
गोंडा जिले में इस दिशा में जो प्रयास किए गए, वे केवल औपचारिक पहल नहीं थे बल्कि योजनाबद्ध, चरणबद्ध और सतत निगरानी वाली रणनीति के तहत क्रियान्वित किए गए। जिलाधिकारी नेहा शर्मा और सीडीओ अंकिता जैन की अगुवाई में यह परिवर्तन संभव हो सका।
मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती अंकिता जैन ने बताया कि उनके अधीनस्थ कुल 74 कार्यालयों में ई-फाइलिंग की व्यवस्था अब पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है। इस प्रयास के तहत कुल 621 यूजर्स को प्रशिक्षित किया गया है। सभी को ई-ऑफिस प्रणाली से जोड़ा गया है, जिससे अब सरकारी फाइलों का आदान-प्रदान पूरी तरह डिजिटल माध्यम से हो रहा है।
इसी के साथ-साथ जनपद के सभी 16 विकास खंडों में भी ई-फाइलिंग प्रणाली लागू कर दी गई है। इससे खंड स्तरीय योजनाओं, लेखांकन, प्रस्तावों, शिकायतों और आदेशों को भी पारंपरिक फाइलिंग के स्थान पर डिजिटल रूप में संचालित किया जा रहा है।
जिला विकास अधिकारी सुशील श्रीवास्तव ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर एक 11 सदस्यीय तकनीकी समिति का गठन किया गया है। इस समिति में विभिन्न विभागों के तकनीकी दक्षता रखने वाले कर्मचारी व अधिकारी शामिल किए गए हैं। इनका मुख्य कार्य अन्य कार्यालयों को तकनीकी सहायता देना, प्रशिक्षण देना और किसी भी समस्या का समाधान करना है। यह समिति एक प्रकार से “ई-गवर्नेंस हेल्प डेस्क” की तरह कार्य कर रही है।
1. डिजिटलीकरण और पारदर्शिता
फाइलों का संचालन अब पूरी तरह डिजिटल माध्यम से हो रहा है, जिससे कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी है। अब यह जानना संभव हो गया है कि कौन-सी फाइल किस अधिकारी के पास लंबित है।
2. कागजरहित प्रशासन
कागज के उपयोग में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला है। यह ग्रीन गवर्नेंस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
3. निर्णय प्रक्रिया में तीव्रता
अब फाइलें लंबी प्रतीक्षा की शिकार नहीं होतीं। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तुरंत अग्रेषित किया जा सकता है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज हुई है।
4. भंडारण और सुरक्षा
डिजिटल फाइलें क्लाउड स्टोरेज में सुरक्षित रखी जाती हैं। इससे फाइलों के खोने, खराब होने या छेड़छाड़ की संभावना नगण्य हो गई है।
5. लागत में बचत
कागज, प्रिंटिंग, फाइल कवर, स्टोर स्पेस, कोरियर और डाक जैसे खर्चों में कमी आई है। इससे सरकारी व्यय में सीधे तौर पर लाभ हुआ है।
गोंडा की जिलाधिकारी श्रीमती नेहा शर्मा अपने प्रशासनिक कौशल, निर्णय क्षमता और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारण के लिए जानी जाती हैं। उनके नेतृत्व में गोंडा ने न केवल कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और राजस्व सुधारों में उल्लेखनीय कार्य किए हैं, बल्कि तकनीकी उन्नयन में भी अन्य जनपदों को पीछे छोड़ दिया है।
ई-गवर्नेंस के संदर्भ में डीएम ने प्रत्येक कार्यालय प्रमुख से व्यक्तिगत रूप से संपर्क साधा, नियमित समीक्षा बैठकें कीं, प्रगति रिपोर्ट मंगवाई और तकनीकी अड़चनों को दूर करने के लिए तत्काल समाधान सुनिश्चित किया।
सीडीओ अंकिता जैन आईएएस अधिकारी होते हुए भी तकनीकी नवाचारों के प्रति गहरा झुकाव रखती हैं। उन्होंने अपने कार्यालय को एक डिजिटल मॉडल कार्यालय के रूप में विकसित किया है। उनके निर्देशन में न केवल ई-फाइलिंग बल्कि MIS आधारित रिपोर्टिंग, जन शिकायतों का पोर्टल-आधारित समाधान और कार्यालय निरीक्षण भी डिजिटल माध्यम से किए जा रहे हैं।
डीएम और सीडीओ का अगला लक्ष्य गोंडा को “वन क्लिक गवर्नेंस” मॉडल पर लाना है, जहाँ जन सेवा केंद्रों से लेकर लेखपाल और बीडीओ कार्यालयों तक हर स्तर पर जनता को डिजिटल सेवा मिले।
गोंडा ने यह दिखा दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। यहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों ने यह साबित किया है कि तकनीक केवल शहरी या बड़े जिलों की विशेषता नहीं है, बल्कि छोटे और अपेक्षाकृत कम चर्चित जिलों में भी इसका प्रभावी प्रयोग किया जा सकता है।
गोंडा जनपद की यह उपलब्धि सिर्फ एक सूची में स्थान प्राप्त करने की बात नहीं है, बल्कि यह शासन व्यवस्था के प्रति बदलते दृष्टिकोण, तकनीक की स्वीकार्यता और जनहित में किए गए प्रयासों का प्रतिफल है। यह एक ऐसी शुरुआत है, जिसकी परिणति गोंडा को प्रशासनिक उत्कृष्टता के शिखर पर ले जा सकती है।