
गोण्डा 15 अक्टूबर। जिले के कर्नलगंज कस्बे में पिछले एक महीने से चल रही ऐतिहासिक रामलीला ने अपने चरम पर पहुंचते हुए भावुक कर देने वाले प्रसंग ‘भरत मिलाप’ का मंचन किया। यह रामलीला न केवल जिले बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के लोगों के लिए भी आस्था और भक्ति का केंद्र बनी हुई है। रामलीला के इस पवित्र और महत्वपूर्ण अंश का मंचन जैसे ही हुआ, पूरे क्षेत्र में एक अलग तरह की श्रद्धा और भावनाओं का संचार हो गया।
भरत मिलाप की लीला: राम और भरत के स्नेह का आलिंगन
लीला का दृश्य भावनाओं से ओतप्रोत था, जिसमें भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की प्रतीक्षा कर रहे भरत की व्याकुलता ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। एक ओर जहां अयोध्या में राम के लौटने की खुशी थी, वहीं भरत का व्याकुल होना इस बात का प्रमाण था कि स्नेह और प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं। मंच पर भरत का राम के प्रति अगाध प्रेम और अधीरता, उनकी आंखों से गिरते आंसू, और राम की प्रतीक्षा का चित्रण इतना सजीव था कि दर्शक भावविह्वल हो गए।
भरत के चरित्र की यह लीला दर्शकों के लिए एक भावुक क्षण बन गई। जैसे ही मंच पर भरत राम के स्वागत के लिए आगे बढ़े और अपने भाई को देखकर उनके पैरों में गिर पड़े, वहीं राम ने भरत को उठाकर अपने गले से लगाया। इस आलिंगन ने मंच पर मौजूद कलाकारों के साथ-साथ दर्शकों को भी गहरे भावनात्मक बंधन में बांध दिया। भरत की आत्मीयता, त्याग और समर्पण ने दर्शकों की आंखों में आंसू ला दिए।
शोभायात्रा का अलौकिक दृश्य
‘भरत मिलाप’ की इस लीला से पहले एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई, जिसने क्षेत्र की सड़कों और गलियों को भक्ति और उत्साह से भर दिया। यह शोभायात्रा रामलीला भवन गुड़ाही बाजार से शुरू होकर कर्नलगंज कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए कार्यक्रम स्थल तक पहुंची। शोभायात्रा में शामिल श्रद्धालु पारंपरिक वस्त्रों में भगवान श्रीराम की जय-जयकार कर रहे थे। शोभायात्रा में लोग अपने हाथों में ध्वज लिए राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के स्वरूपों के पीछे-पीछे चल रहे थे। इस दौरान सड़कों के किनारे खड़े लोग भी श्रद्धा के साथ रामलीला के इस पवित्र आयोजन को देख रहे थे और भगवान श्रीराम के दर्शन करने के लिए आतुर थे।
शोभायात्रा में मुख्य आकर्षण श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की झांकी रही, जो विशेष रथ पर विराजमान थे। झांकी को देखकर लोगों के मन में भक्ति और उत्साह का संचार हुआ। सड़कों पर खड़े श्रद्धालु राम की एक झलक पाने के लिए बेसब्र दिखे। पूरे कस्बे में एक अलग ही आस्था और भक्ति का माहौल था। रामलीला के इस ऐतिहासिक आयोजन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां इकट्ठा हुए थे।
भरत मिलाप का मंचन: श्रद्धालुओं के मन में उमड़ी आस्था
भरत मिलाप के इस भव्य आयोजन ने कर्नलगंज कस्बे को रामभक्ति के रंग में रंग दिया। जैसे ही मंच पर राम और भरत का मिलन हुआ, पूरे कार्यक्रम स्थल पर ‘जय श्रीराम’ के जयकारे गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने भगवान राम के दर्शन कर खुद को धन्य महसूस किया। राम और भरत के मिलन का यह दृश्य न केवल रामायण के इस महत्वपूर्ण प्रसंग का जीवंत चित्रण था, बल्कि यह दर्शकों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव भी साबित हुआ।
कार्यक्रम में मौजूद श्रद्धालु बार-बार ‘जय श्रीराम’ के नारे लगा रहे थे, जिससे पूरे वातावरण में रामभक्ति की लहर दौड़ गई। लोग हाथ जोड़कर प्रभु श्रीराम के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे थे और अपने जीवन में उनके आशीर्वाद की कामना कर रहे थे। रामलीला के इस आयोजन ने दर्शकों को धार्मिकता के साथ-साथ पारिवारिक स्नेह और प्रेम के महत्व का भी एहसास कराया।
प्रशासन की सतर्कता: सुरक्षा के कड़े इंतजाम
हाल ही में बहराइच में घटी एक अप्रिय घटना के मद्देनजर प्रशासन इस बार सतर्क था। पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। अपर पुलिस अधीक्षक राधेश्याम राय स्वयं कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित रहे और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की। इसके अलावा देर रात पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया। उन्होंने सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और उन्हें सतर्क रहने का आदेश दिया।
प्रशासन की इस मुस्तैदी का असर यह हुआ कि कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। श्रद्धालु बिना किसी भय के अपने आराध्य श्रीराम के दर्शन और आशीर्वाद के लिए पहुंचे और पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनी रही। पुलिस बल ने भीड़ को संभालने और यातायात को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्थानीय जनता की भूमिका
इस भव्य रामलीला आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय जनता और स्वयंसेवकों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। कस्बे के लोग बड़ी संख्या में रामलीला समिति के साथ जुड़े हुए थे और पूरे कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से संपन्न कराने के लिए अपनी सेवाएं दे रहे थे। श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, बैठने की व्यवस्था और चिकित्सा सुविधा जैसे इंतजामों की देखरेख में स्वयंसेवक सक्रिय रूप से शामिल थे। स्थानीय व्यापारियों ने भी इस आयोजन में अपनी भूमिका निभाई, जहां उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों के लिए खाद्य और पेय पदार्थों की व्यवस्था की।
रामलीला का महत्व: आस्था और संस्कृति का संगम
कर्नलगंज की यह रामलीला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर भी है। रामायण के इस महत्वपूर्ण प्रसंग को मंचित कर दर्शकों को राम के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू कराया गया। भरत का राम के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस रामलीला के माध्यम से न केवल भगवान राम के आदर्शों को प्रचारित किया जा रहा है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को भी सहेजा जा रहा है।
गोण्डा के कर्नलगंज कस्बे में आयोजित इस ऐतिहासिक रामलीला ने भरत मिलाप की लीला के माध्यम से भगवान राम और भरत के अद्वितीय प्रेम को सजीव किया। इस आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को रामायण के इस महत्वपूर्ण अध्याय से जोड़ा, बल्कि आस्था और भक्ति का एक अनोखा संगम भी प्रस्तुत किया।