
( हास्य व्यंग )
पुलिस का तनाव एक ऐसा विषय है जिसे लेकर अब तक कई जतन किए गए हैं, लेकिन इसका कोई ठोस निदान नहीं मिला। इसी संदर्भ में हमारे महान आईजी साहब को अचानक यह बोध हुआ कि पुलिस महकमे में तनाव का कारण कोई बाहरी तत्व नहीं, बल्कि खुद पुलिस के लोग ही हैं। आईजी साहब का मानना था कि यदि वह खुद तनाव में हैं, तो बाकी पुलिस वालों का क्या हाल होगा! और जब पूरा महकमा तनाव में होगा, तो काम कैसे होगा?
इसी तनाव के कारण शायद मातहत सही ढंग से काम नहीं कर रहे थे, इसलिए साहब ने सोचा कि पहले इस तनाव को दूर करना होगा। लेकिन समस्या यह थी कि पुलिस का तनाव किस चीज से दूर होगा, यह किसी को ठीक से पता नहीं था। वर्षों से 1861 के पुलिस रेगुलेशन का पालन करते हुए कोई यह नहीं समझ पाया था कि पुलिस आखिर तनाव में क्यों रहती है?
आईजी साहब के मन में अचानक विचार आया— योग। हां, योग से तनाव दूर किया जा सकता है। वह सुन चुके थे कि योग तनाव प्रबंधन का अचूक उपाय है। यही सोचकर उन्होंने तुरंत डीआईजी साहब को बुलाया। “पुलिस में तनाव प्रबंधन” पर चर्चा करते हुए दोनों अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि तनाव से मुक्ति के लिए योग ही एकमात्र उपाय है।
योग के लिए आदेश जारी
फिर क्या था, आदेश जारी हो गया कि अगले दिन रेंज के सभी एसपी और उनके मातहत पुलिस कर्मी पुलिस लाइन में सुबह 5 बजे योग करेंगे। थाना प्रभारियों को अपने-अपने थानों से पाँच-पाँच सबसे ज्यादा तनावग्रस्त पुलिसकर्मियों को लेकर आना था। आदेश के अनुसार, जो योग करने नहीं आया, उसे पुलिस लाइन में लाईन हाजिर कर दिया जाएगा। यानी, अगर आप तनाव में नहीं हो, तो इस आदेश के पालन के लिए पहले तनाव में आ जाओ!
एसपी साहबान को आदेश मिलते ही चिंता सताने लगी। “सुबह पाँच बजे उठना?” खुद ही एक कुम्भकर्णीय तनाव था। इसके बावजूद उन्होंने अपने जिले के थाना प्रभारियों को आदेश जारी कर दिया कि सभी पाँच बजे तक पुलिस लाइन में हाजिर हों।
हेड मुहर्रिर की चिंता
आदेश का पालन करने के लिए थाना प्रभारी अपने हेड मुहर्रिर को बुलाते हैं और कहते हैं, “देखो, कल पाँच-पाँच तनावग्रस्त लोग लेकर पुलिस लाइन जाना है। तैयार रहना!”
हेड मुहर्रिर पहले से ही पूरे दिन के काम के बाद तनाव में था। उसने अपने तनाव को कुछ सिपाहियों पर थोप दिया। उसने पाँच सिपाहियों का चयन किया, जो दिन भर थाने में मस्त रहते थे और बस अपनी मूंछों को घुमाकर ही नौकरी का सारा बोझ हल्का कर लेते थे। उन्हें रात में ही बता दिया गया कि कल सुबह पाँच बजे तनावमुक्त होना है।
लेकिन पांच में से तीन सिपाही रात की गश्त पर थे। उन्होंने हेड मुहर्रिर को नया तनाव दे दिया— “हम सुबह पाँच बजे कैसे पहुँचेंगे, अभी तो गश्त पर हैं?” हेड मुहर्रिर, जो पहले से ही बुरी तरह तनाव में था, उन पर भड़क गया— “मुझे कुछ नहीं पता! पाँच बजे तक अगर पुलिस लाइन में नहीं पहुँचे तो फिर हमेशा के लिए लाईन हाजिर हो जाओगे। आईजी साहब का आदेश है, समझे?”
पुलिस कंट्रोल रूम की हलचल
रात के आठ बजते-बजते वायरलेस पर संदेश गूंजने लगा, “कल सुबह पाँच बजे थाना प्रभारी और उनके साथ पाँच-पाँच सिपाही पुलिस लाइन में तनाव मुक्त होने के लिए आएंगे।” पुलिस महकमे में चारों ओर हलचल मच गई। जो लोग दिन भर के तनाव के बाद अब घर पर आराम से टीवी देख रहे थे, वे भी आदेश सुनकर चिंता में पड़ गए। अब थाना प्रभारी को कौन समझाए कि योग करने के लिए भी तनाव में होना पड़ेगा, नहीं तो योग का क्या फायदा?
आईजी साहब का सपना
रात को आईजी साहब को थोड़ी झपकी लगी। उन्हें सपने में दिखा कि वे पुलिस लाइन में खड़े होकर पूरे महकमे को तनाव मुक्त कर रहे हैं। लेकिन अचानक उनकी नींद खुली। घड़ी देखी तो रात के बारह बज चुके थे। अचानक उन्हें एक और तनाव सताने लगा— “पुलिस वाले अगर रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर योग करने आ गए तो अखबार में क्या छपेगा?”
बस, फिर क्या था! उन्होंने तुरंत वायरलेस संदेश प्रसारित कर दिया, “सभी पुलिसकर्मी योग के लिए सफेद हॉफ टी-शर्ट, सफेद लोअर, सफेद मोजे और सफेद पीटी शू पहनकर आएंगे।”
पुलिसकर्मियों के घरों में तनाव
अब पुलिसकर्मियों के घरों में हड़कंप मच गया। रात के समय, जो सिपाही आराम से घर पर बैठे थे, अचानक अपनी पत्नियों पर चिल्लाने लगे— “तुमने मेरी सफेद पीटी किट का क्या किया? ट्रेनिंग के वक्त की किट कहां है?”
पत्नी बेचारी खुद तनाव में आ गई, क्योंकि उसने सफेद पीटी किट को घर के बर्तन खरीदने में इस्तेमाल कर लिया था। अब कहाँ से सफेद कपड़े ढूंढे? इधर पत्नियों का तनाव बच्चों पर निकला। पूरे जिले में तनाव फैल गया।
थाना प्रभारी अपने हेड मुहर्रिर से खीज़ रहे थे, डीएसपी साहब भी नाराज थे, और एसपी साहब वायरलेस पर अपना गुस्सा निकाल रहे थे। सभी को सुबह 5 बजे तनावमुक्त होना था, लेकिन तनाव इतना बढ़ चुका था कि अब यह सोचना मुश्किल हो गया था कि पुलिस सुबह तक योग करने के काबिल बचेगी भी या नहीं।
अंतिम दृश्य: योग का दिन
सुबह पाँच बजे पुलिस लाइन में पुलिसकर्मी एकत्रित हुए। कुछ ने सफेद टी-शर्ट और लोअर पहन लिए थे, लेकिन अधिकांश के कपड़े अभी भी रंग-बिरंगे थे। आईजी साहब और डीआईजी साहब के सामने पुलिसकर्मी योगासन करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन आधे पुलिसकर्मी अभी भी इस सोच में थे कि योग करने के बाद तनावमुक्त होंगे या फिर और ज्यादा तनाव में आ जाएंगे!
सारा दृश्य हास्यास्पद था। जिन लोगों को तनावमुक्त होना था, वे अब तक तनाव के उच्चतम स्तर पर पहुँच चुके थे। योग शुरू हुआ, लेकिन योग करते-करते कुछ पुलिसकर्मी सो गए, क्योंकि उन्हें पूरी रात तनाव में नींद ही नहीं आई थी।
आईजी साहब ने जब यह देखा तो उन्हें समझ में आ गया कि तनाव का असली कारण योग की कमी नहीं, बल्कि ओवरवर्क और गलत आदेशों का बोझ है। लेकिन साहब की बात कौन माने?
इस तरह पुलिस का तनाव मुक्ति शिविर खत्म हुआ, लेकिन पुलिसकर्मियों का तनाव कभी खत्म नहीं हुआ!