
भारतीय सेना में निजी क्षेत्र की ऐतिहासिक एंट्री
नई दिल्ली/हैदराबाद 4 दिसंबर। हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित कंपनी लोकेश मशीन्स लिमिटेड ने भारतीय सेना के लिए एक ऐसा हथियार विकसित किया है जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त उजी और MP5 जैसी सबमशीन गन को मात दी है। यह बंदूक, जिसे ASMI नाम दिया गया है, न केवल स्वदेशी है, बल्कि यह किसी निजी भारतीय कंपनी द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित पहली हथियार प्रणाली भी है।
कंपनी को भारतीय सेना की उत्तरी कमान से 4.26 करोड़ रुपये मूल्य की 550 ASMI सबमशीन गन (SMG) का ऑर्डर मिला था। इसे कंपनी ने 28 सितंबर, 2024 की समय सीमा से पहले पूरा कर लिया। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि सेना में आमतौर पर आयातित हथियारों या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है।
ASMI, जिसका संस्कृत में अर्थ है “साहस और गर्व,” अपने डिजाइन और प्रदर्शन के कारण उजी (इज़राइल वेपन इंडस्ट्रीज) और MP5 (जर्मनी की हेकलर एंड कोच) को पीछे छोड़ने में सफल रही। लोकेश मशीन्स लिमिटेड के निदेशक एम. श्रीनिवास ने बताया, “ASMI ने सटीकता और विश्वसनीयता के मामले में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को हराया। यह भारत में हथियार निर्माण के क्षेत्र में एक नया अध्याय है।”

ASMI का डिज़ाइन और निर्माण
ASMI के विकास के पीछे एक लंबी प्रक्रिया है। कंपनी ने पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) और भारतीय सेना से मूल डिजाइन प्राप्त किया। इस डिजाइन को लोकेश मशीन्स ने अपने हैदराबाद प्लांट में और विकसित किया। 2020 में, पहला प्रोटोटाइप केवल तीन महीने में तैयार कर लिया गया।
ARDE द्वारा किए गए कठोर परीक्षणों के बाद इस हथियार को मंजूरी मिली। इन परीक्षणों में ड्रॉप टेस्ट, मौसम परीक्षण, मिट्टी परीक्षण, और 2,400 राउंड का विश्वसनीयता परीक्षण शामिल थे। श्रीनिवास ने बताया, “हमने इसे केवल छह महीने में विकसित किया, लेकिन लाइसेंसिंग प्रक्रिया में अधिक समय लगा।”
ASMI की विशेषताएं
ASMI एक 9×19 मिमी कैलिबर सबमशीन गन है, जिसका वजन 2.4 किलोग्राम से कम है। यह इसे उजी और MP5 की तुलना में 10-15% हल्का बनाता है। इसके अलावा, यह 30% तक सस्ता है, जिसकी कीमत 1 लाख रुपये से भी कम है।
- यह एयरोस्पेस ग्रेड एल्युमीनियम से बना है और इसमें सिंगल यूनीबॉडी रिसीवर है।
- इसमें तीन मोड हैं: सुरक्षा, सिंगल शॉट और ऑटो।
- यह 800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर करता है और इसकी मैगजीन क्षमता 32 राउंड है।
- यह स्थानीय रूप से निर्मित गोला-बारूद के साथ-साथ NATO मानक गोला-बारूद के लिए भी उपयुक्त है।
- फोल्डेबल बट इसे एर्गोनॉमिक रूप से कॉम्पैक्ट और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाती है।
श्रीनिवास ने कहा, “यह न केवल हल्का और मजबूत है, बल्कि भारतीय सेना के परीक्षणों में इसकी सटीकता भी साबित हो चुकी है।”
आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
लोकेश मशीन्स ने यह कदम 2015-2019 के बीच उठाया, जब ऑटोमोबाइल सेक्टर मंदी से जूझ रहा था। कंपनी ने ऑटोमोटिव उद्योग पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए रक्षा क्षेत्र में कदम रखा।

हथियार निर्माण में लोकेश मशीन्स का भविष्य
ASMI की सफलता के बाद, लोकेश मशीन्स ने छोटे हथियारों के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने स्वदेशी रूप से 7.62×51 मिमी बेल्ट-फेड लाइट मशीन गन (LMG) विकसित की है, जिसकी रेंज 800 मीटर है।
इसके अलावा, कंपनी ने 7.62×51 मिमी बेल्ट-फेड सामान्य प्रयोजन मशीन गन (GPMG) भी डिजाइन की है। इस GPMG की रेंज 1,000 मीटर है, जिसे बैरल की लंबाई बढ़ाकर 1,200 मीटर तक किया जा सकता है। GPMG को सेना, नौसेना और वायुसेना द्वारा टैंकों, विमानों, जीपों और जहाजों पर उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। श्रीनिवास ने बताया, “यह GPMG ड्रोन को मार गिराने के लिए भी इस्तेमाल हो सकती है।”
NSG और असम राइफल्स की पसंद
ASMI ने भारतीय सेना के अलावा, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और असम राइफल्स का भी ध्यान खींचा है। NSG ने पहले ही इसका पायलट परीक्षण किया है, और असम राइफल्स ने इसे अपने शस्त्रागार में शामिल करने के लिए मंजूरी दे दी है।
लोकेश मशीन्स: इंजीनियरिंग का लंबा इतिहास
लोकेश मशीन्स का इतिहास इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवाचार से भरा है। 1996 में, कंपनी ने CNC मशीनों का निर्माण शुरू किया। महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के लिए इंजन ब्लॉक बनाने से लेकर अब भारतीय सेना के लिए अत्याधुनिक हथियार बनाने तक का यह सफर प्रेरणादायक है।
महिंद्रा ने अपनी स्कॉर्पियो लाइन के लॉन्च के समय लोकेश मशीन्स के इंजन ब्लॉक का उपयोग किया। आज, यह कंपनी प्रतिदिन 1,000 से अधिक इंजन ब्लॉक बनाती है।
वैश्विक हथियार बाजार में भारत की पहचान
ASMI की सफलता ने न केवल भारत में आत्मनिर्भरता को बल दिया है, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति को भी मजबूत किया है। लोकेश मशीन्स अब अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर निर्यात करने की योजना बना रही है।
प्रभात भारत विशेष “आत्मनिर्भर भारत की उड़ान”
ASMI की कहानी आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का उदाहरण है। यह भारत के रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका और स्वदेशी विकास की क्षमता को दर्शाती है। लोकेश मशीन्स की यह उपलब्धि भारतीय सेना के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही यह भारतीय उद्योग के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है।
यह कहानी न केवल एक बंदूक की है, बल्कि एक ऐसे साहस और नवाचार की है जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्माण के मंच पर सम्मानजनक स्थान दिलाया। ASMI ने यह साबित कर दिया है कि अगर सही दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता हो, तो भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में न केवल खड़ा हो सकता है, बल्कि जीत भी सकता है।