
केंद्र सरकार द्वारा 2025-26 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी: किसानों के लिए राहत या समाधान?
नई दिल्ली 16 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने हाल ही में 2025-26 के विपणन सत्र के लिए छह अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह निर्णय देशभर के किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने और उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लिया गया है। इस बढ़ोतरी के तहत, गेहूं का एमएसपी 6.59% बढ़ाकर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले सत्र में 2,275 रुपये प्रति क्विंटल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की।
एमएसपी में बढ़ोतरी का उद्देश्य
केंद्र सरकार का एमएसपी में बढ़ोतरी का यह कदम किसानों को उनके फसलों के लिए लाभदायक मूल्य दिलाने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब देश में कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और किसानों का समर्थन इन चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, यह निर्णय किसानों के लिए एक राहत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन क्या यह वाकई उनकी सभी समस्याओं का समाधान है? या यह सिर्फ एक अस्थायी उपाय है?
एमएसपी में वृद्धि: आंकड़े और फसलें
सरकार ने छह रबी फसलों के लिए एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इनमें गेहूं, रेपसीड और सरसों, मसूर, जौ, चना और कुसुम शामिल हैं। गेहूं के एमएसपी में 150 रुपये की वृद्धि की गई है, जबकि रेपसीड और सरसों के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। मसूर का एमएसपी 275 रुपये बढ़ाकर 6,425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि जौ का एमएसपी 130 रुपये बढ़ाकर 1,980 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। चने में 210 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, और अब इसका एमएसपी 5,650 रुपये हो गया है। इसके अलावा, कुसुम का एमएसपी 140 रुपये बढ़ाकर 5,940 रुपये कर दिया गया है।
यह एमएसपी में वृद्धि एक ऐसे समय में की गई है जब किसान फसलों की कीमतों में अस्थिरता, उत्पादन लागत में वृद्धि, और प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगातार समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ऐसे में, यह फैसला किसानों को राहत देने के उद्देश्य से लिया गया है। लेकिन, क्या यह निर्णय किसानों की वास्तविक समस्याओं का समाधान कर पाएगा?
किसानों की प्रमुख समस्याएं: सिर्फ एमएसपी बढ़ाने से हल नहीं होंगी
1. फसल की कीमतों में उतार-चढ़ाव
किसान लंबे समय से फसल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं। जब भी किसानों की फसल बाजार में आती है, तो मांग और आपूर्ति के असंतुलन के कारण उनकी कीमतें कम हो जाती हैं। किसान अक्सर अपनी फसल को घाटे में बेचने को मजबूर होते हैं क्योंकि उन्हें बेहतर भंडारण सुविधाएं नहीं मिलती हैं और तत्काल बिक्री करनी पड़ती है। इस तरह की समस्याओं को सुलझाने के लिए सिर्फ एमएसपी बढ़ाने का निर्णय पर्याप्त नहीं हो सकता है। किसानों को स्थिर और सुरक्षित आय दिलाने के लिए सरकार को फसल मूल्य स्थिरीकरण की योजना पर भी ध्यान देना होगा।
2. उत्पादन लागत में वृद्धि
फसलों की उत्पादन लागत में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है। उर्वरक, बीज, कीटनाशक और सिंचाई जैसे आवश्यक इनपुट्स की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे किसानों का मुनाफा घट रहा है। एमएसपी में वृद्धि के बावजूद, उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के कारण किसानों का लाभ कम होता जा रहा है। यदि एमएसपी उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं बढ़ती है, तो किसान लाभप्रदता की ओर नहीं बढ़ पाएंगे।
3. सिंचाई की समस्या और जल संसाधन
देश के कई हिस्सों में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे किसान अपनी फसलों को समय पर और उचित मात्रा में पानी नहीं दे पाते हैं। मानसून पर अत्यधिक निर्भरता के कारण कई बार फसल बर्बाद हो जाती है। हालांकि, सरकार ने कई सिंचाई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन इनका वास्तविक क्रियान्वयन अब भी सवालों के घेरे में है। जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और जल संसाधनों की कमी भी किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
4. भंडारण और लॉजिस्टिक्स की कमी
फसलों की कटाई के बाद उनके भंडारण के लिए उचित सुविधाएं न होना भी किसानों की प्रमुख समस्याओं में से एक है। किसानों को अक्सर अपनी फसल को कम कीमत पर बेचना पड़ता है क्योंकि उनके पास भंडारण की सुविधा नहीं होती है और उन्हें फसल खराब होने का डर रहता है। यदि किसानों को बेहतर भंडारण और लॉजिस्टिक्स की सुविधा मिलती है, तो वे अपनी फसलों को उचित मूल्य पर बेचने के लिए अधिक समय तक इंतजार कर सकते हैं।
5. ऋण की समस्या और कर्ज में फंसे किसान
किसानों की समस्याओं में एक बड़ा हिस्सा कर्ज की समस्या से जुड़ा हुआ है। छोटे और सीमांत किसान अक्सर अपनी फसल की बुवाई के लिए ऋण लेते हैं, लेकिन अगर फसल खराब हो जाती है या उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता है, तो वे कर्ज में फंस जाते हैं। कर्जमाफी की घोषणाएं अक्सर अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन कर्ज से मुक्त होने के लिए किसानों को दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार को किसानों के लिए सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए।
फसल विविधीकरण की जरूरत
केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी के साथ-साथ फसल विविधीकरण को भी प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। फसल विविधीकरण किसानों को एक ही प्रकार की फसल पर निर्भरता से बचाता है और उन्हें अलग-अलग फसलों की बुवाई के जरिए जोखिम को कम करने में मदद करता है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता को भी संरक्षित किया जा सकता है। हालांकि, इस दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है। किसानों को फसल विविधीकरण की ओर प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें तकनीकी जानकारी और वित्तीय सहायता की भी आवश्यकता है।
एमएसपी का वास्तविक फायदा किसानों तक कैसे पहुंचे?
एमएसपी का उद्देश्य किसानों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी देना है, ताकि उन्हें अपनी फसलों को औने-पौने दाम पर न बेचना पड़े। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि बहुत सारे किसान एमएसपी का लाभ नहीं उठा पाते हैं। ज्यादातर किसान मंडियों तक अपनी फसल नहीं पहुंचा पाते हैं, और उन्हें बिचौलियों के माध्यम से अपनी फसल बेचनी पड़ती है, जो उनकी आय को काफी घटा देते हैं। सरकार को इस दिशा में सुधार करने की आवश्यकता है। किसानों को मंडियों तक पहुंचाने के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स और परिवहन की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही, डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से फसलों की बिक्री को प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे किसानों को सीधे बाजार से जुड़ने का अवसर मिले और वे अपनी फसलों के लिए उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान योजनाएं: एक समीक्षात्मक दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं प्रमुख हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि, उन्हें ऋण सुविधा उपलब्ध कराना और प्राकृतिक आपदाओं से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
हालांकि, इन योजनाओं का लाभ अभी भी सभी किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है। खासकर छोटे और सीमांत किसान, जिन्हें इन योजनाओं की सबसे अधिक जरूरत है, वे अभी भी इनसे वंचित रह जाते हैं। इसके पीछे एक कारण जागरूकता की कमी और सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर सही क्रियान्वयन न होना है। सरकार को इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है, ताकि किसान वास्तव में इन योजनाओं का लाभ उठा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
प्रभात भारत विशेष
केंद्र सरकार द्वारा 2025-26 के विपणन सत्र के लिए रबी फसलों के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी निश्चित रूप से एक स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन यह किसानों की सभी समस्याओं का समाधान नहीं है। किसानों को स्थिर और सुरक्षित आय दिलाने के लिए सरकार को दीर्घकालिक नीतियां बनानी होंगी, जिसमें फसल मूल्य स्थिरीकरण, उत्पादन लागत में कमी, सिंचाई सुविधाओं का विकास, भंडारण और लॉजिस्टिक्स की सुविधा, और ऋण की समस्या का समाधान शामिल है।