
मथुरा, 23 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी आगामी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बच्चों पर सोशल मीडिया के प्रभाव और इंटरनेट विनियमन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा करेगा। यह बैठक 25 से 26 अक्टूबर 2024 को मथुरा स्थित दीनदयाल उपाध्याय गौ विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र में आयोजित की जाएगी, जिसमें आरएसएस के कुल 393 सदस्य हिस्सा लेंगे। बैठक में प्रमुख रूप से बच्चों पर इंटरनेट और सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा होगी, जिसके बारे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर अपने संबोधन में चिंता जताई थी। इसके अलावा, संगठन के शताब्दी वर्ष 2025 की तैयारियों और विस्तार योजनाओं पर भी मंथन किया जाएगा।
बैठक की प्रमुख बातें और मुद्दे
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बुधवार को इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों पर सोशल मीडिया के प्रभाव और इंटरनेट विनियमन पर प्रमुखता से चर्चा होगी। इस चर्चा का उद्देश्य इंटरनेट के नकारात्मक परिणामों को पहचानना और बच्चों को गुमराह करने वाली सामग्री पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी विनियमन की आवश्यकता पर जोर देना है।
मोहन भागवत ने विजयादशमी के अपने संबोधन में इस बात पर चिंता जताई थी कि किस तरह सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफार्मों पर उपलब्ध सामग्री बच्चों को गुमराह कर रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस प्रकार की सामग्री के कारण समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे सामाजिक असंतुलन की संभावना बढ़ रही है। भागवत ने इस दौरान सरकार से अपील की थी कि वह इंटरनेट विनियमन पर ध्यान दे और सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए सख्त कदम उठाए।
आंबेकर ने यह भी बताया कि इस बैठक में सामाजिक एकता और पारिवारिक जागरूकता को बढ़ावा देने पर भी चर्चा होगी, ताकि समाज में शांति और सद्भाव कायम रखा जा सके। इसके अलावा, संगठन के शताब्दी वर्ष 2025 की तैयारियों और विस्तार योजनाओं पर भी मंथन होगा, जिसमें विजयादशमी 2025 तक संगठन का लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाएगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए संगठन की जमीनी स्तर पर गतिविधियों की समीक्षा की जाएगी और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
इंटरनेट विनियमन और बच्चों पर सोशल मीडिया के प्रभाव पर चर्चा
वर्तमान युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रभाव व्यापक और गहरा हो चुका है। विशेष रूप से बच्चों और किशोरों पर इसका असर तेजी से बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर बच्चों की भागीदारी और वहां प्रस्तुत सामग्री के कारण कई मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं। मोहन भागवत ने अपने विजयादशमी भाषण में इस ओर विशेष ध्यान दिलाते हुए कहा था कि यह मुद्दा अब गंभीर होता जा रहा है और इसके नकारात्मक परिणाम समाज पर पड़ रहे हैं।
आरएसएस की बैठक में इस विषय पर गंभीर चर्चा होगी कि किस तरह सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफार्म बच्चों को गुमराह कर रहे हैं। इस दौरान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, उनकी शिक्षा और उनके सामान्य सामाजिक जीवन पर पड़ रहे प्रभावों का भी आकलन किया जाएगा। आरएसएस प्रमुख ने सरकार से अपील की थी कि इस समस्या से निपटने के लिए सख्त इंटरनेट विनियमन लागू किया जाए।
बैठक के दौरान, विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद हानिकारक सामग्री को नियंत्रित करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, बच्चों की सुरक्षा के लिए शिक्षा और परिवारिक जागरूकता अभियानों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने की योजनाओं पर भी विचार किया जाएगा। इसके तहत बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी और उनके माता-पिता को सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए सुझाव दिए जाएंगे।
सामाजिक एकता और सद्भाव पर जोर
आरएसएस की इस बैठक में सामाजिक एकता, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा होगी। विजयादशमी के अपने संबोधन में, मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया था कि समाज में भ्रम और विघटनकारी तत्वों से बचने के लिए सामाजिक एकता बेहद आवश्यक है।
संगठन का मानना है कि आज के समय में, जब समाज में विभिन्न मुद्दों को लेकर असहमति और असंतोष की स्थिति बन रही है, तब समाज में शांति और सद्भाव को कायम रखना अति आवश्यक है। इस दिशा में आरएसएस अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से जमीनी स्तर पर सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
बैठक में आरएसएस के विस्तार और उसके सामाजिक समरसता अभियानों की समीक्षा की जाएगी। यह देखा जाएगा कि किस तरह से संगठन विभिन्न जातियों, वर्गों और धर्मों के बीच भाईचारा बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा, पारिवारिक जागरूकता और समाज में अच्छे मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए आरएसएस द्वारा किए जा रहे कार्यों पर भी चर्चा होगी।
संगठन के विस्तार की योजनाएँ
आरएसएस की इस बैठक का एक प्रमुख उद्देश्य संगठन के शताब्दी वर्ष 2025 के लिए योजनाओं पर चर्चा करना है। विजयादशमी 2025 तक आरएसएस अपने विस्तार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कर रहा है। इस दिशा में, संगठन के जमीनी स्तर पर विस्तार और इसके कार्यकर्ताओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
आंबेकर ने बताया कि बैठक में गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में आरएसएस द्वारा किए जा रहे राहत प्रयासों की भी समीक्षा की जाएगी। इन क्षेत्रों में संगठन ने कई स्थायी परियोजनाएं शुरू करने की योजना बनाई है, जो स्थानीय समुदायों की समस्याओं को हल करने में मदद करेंगी।
बैठक में संगठन के विस्तार के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को जोड़ने के लिए विशेष अभियानों पर चर्चा होगी। यह देखा जाएगा कि किस तरह से संगठन ने विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाया है और आगे किस दिशा में इसे और विस्तारित किया जा सकता है।
शताब्दी वर्ष की तैयारियाँ और ऐतिहासिक हस्तियों का सम्मान
आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष 2025 की तैयारी में जोर-शोर से जुटा हुआ है। इस दिशा में संगठन की कार्यकारिणी बैठक में 2025 तक की योजनाओं पर गहन चर्चा होगी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण में जिन ऐतिहासिक हस्तियों का उल्लेख किया गया था, उनका सम्मान करने और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
आंबेकर ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक हस्तियों के योगदान को समाज के सामने लाने के लिए आरएसएस विशेष अभियान चलाएगा। इसके तहत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों के सहयोग से कार्यशालाएं, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य समाज के युवाओं को इन हस्तियों की शिक्षाओं से जोड़ना और उन्हें उनके आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित करना होगा।
जमीनी स्तर पर राहत प्रयासों की समीक्षा
गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों में आरएसएस द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों पर भी बैठक में चर्चा की जाएगी। संगठन ने इन क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर स्थायी परियोजनाएं स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि लोगों की समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके।
बैठक में इन क्षेत्रों में चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा की जाएगी और यह देखा जाएगा कि किस तरह से संगठन ने वहां के स्थानीय समुदायों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाया है। साथ ही, आरएसएस की ओर से इन क्षेत्रों में आगे की रणनीतियों पर भी चर्चा होगी, ताकि संकटग्रस्त क्षेत्रों में समाज के विभिन्न वर्गों की मदद की जा सके।
नागरिक कर्तव्यों और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
आरएसएस की बैठक में पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्यों और अपने मूल्यों के अनुसार जीवन जीने पर भी जोर दिया जाएगा। संगठन का मानना है कि समाज के सभी वर्गों को अपने नागरिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना जरूरी है, ताकि समाज में अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना विकसित हो सके।
बैठक में इस बात पर चर्चा होगी कि किस तरह से समाज को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूक किया जा सकता है। इसके तहत संगठन द्वारा वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता अभियानों को और प्रभावी बनाने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की यह राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेगी, जिनमें बच्चों पर सोशल मीडिया के प्रभाव, इंटरनेट विनियमन, संगठन के विस्तार, सामाजिक एकता और शांति-सद्भाव को बढ़ावा देना प्रमुख हैं। बैठक में शताब्दी वर्ष 2025 की तैयारियों पर भी विशेष जोर दिया जाएगा और ऐतिहासिक हस्तियों के योगदान को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
इस बैठक का उद्देश्य न केवल संगठन के विस्तार की योजनाओं को अंतिम रूप देना है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ठोस कदम उठाना भी है।