
गोंडा, 14 अप्रैल। भारत के संविधान निर्माता और सामाजिक समरसता के पुरोधा डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर गोंडा जिले में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें सबसे प्रमुख आयोजन समाजवादी पार्टी की ओर से हुआ। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के युवा नेता सूरज सिंह ने अम्बेडकर चौराहा स्थित बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि बाबा साहब केवल दलितों के ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के मार्गदर्शक थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और अधिकारों के लिए जो संघर्ष किया, वह आज भी प्रेरणास्रोत है।
कार्यक्रम की शुरुआत अंबेडकर चौराहा स्थित बाबा साहब की प्रतिमा की सफाई और सजावट से हुई। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक आयोजन की रूपरेखा तैयार की थी। सूरज सिंह ने सुबह सबसे पहले चौराहे पहुंचकर श्रद्धा के साथ प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और दो मिनट का मौन रखकर बाबा साहब को नमन किया। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि “डॉ. अंबेडकर ने जिस भारत की कल्पना की थी, उसमें जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर भेदभाव की कोई जगह नहीं थी। उनका सपना था कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी वही अधिकार मिले जो सबसे ऊपर के व्यक्ति को प्राप्त हैं।”
सूरज सिंह ने दलित समाज द्वारा आयोजित प्रसाद वितरण कार्यक्रम में भी भाग लिया, जहाँ उन्होंने सामाजिक समरसता की मिसाल पेश करते हुए प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने मंच से बोलते हुए कहा, “बाबा साहब का जीवन संघर्षों से भरा रहा, पर उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। अगर आज हम सब शिक्षा, समानता और अधिकार की बात कर पा रहे हैं तो इसका श्रेय डॉ. अंबेडकर को ही जाता है।” उन्होंने सभी युवाओं से अपील की कि वे बाबा साहब के बताए मार्ग पर चलें और शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाएं।
कार्यक्रम में सूरज सिंह के साथ संजय सविता विद्यार्थी (राष्ट्रीय सचिव, सपा), विनोद श्रीवास्तव (प्रदेश सचिव), और शिव सम्पत (विधानसभा अध्यक्ष) जैसे वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे। इन सभी नेताओं ने बाबा साहब की प्रतिमा के समक्ष श्रद्धा सुमन अर्पित किए और अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अंबेडकरवाद की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है। सभी ने एक स्वर में कहा कि संविधान की रक्षा करना ही आज की सबसे बड़ी देशभक्ति है।
इस अवसर पर सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों और नागरिक समूहों की बड़ी भागीदारी रही। युवाओं की भारी उपस्थिति यह दर्शा रही थी कि बाबा साहब का विचार केवल इतिहास तक सीमित नहीं, बल्कि आज की पीढ़ी की सोच में भी जीवित है। “हम अंबेडकर को केवल एक दिन याद कर के नहीं, बल्कि उनकी सोच को अपनाकर ही सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं,” सूरज सिंह ने कहा। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में गोंडा जनपद में सामाजिक न्याय के मुद्दों पर युवाओं को संगठित करने की दिशा में विशेष अभियान चलाया जाएगा।
कार्यक्रम में विशेष रूप से समाज के उन तबकों को आमंत्रित किया गया था जो अक्सर मुख्यधारा से कटे रहते हैं। सूरज सिंह ने मंच से घोषणा की कि समाजवादी पार्टी बाबा साहब के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, और सामाजिक न्याय, आरक्षण, शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों पर सशक्त आंदोलन खड़ा करेगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब को केवल भाषणों में याद करने से कुछ नहीं होगा, जब तक हम उनके सिद्धांतों को ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं करते।
सभा के दौरान कई लोगों ने बाबा साहब के जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक घटनाओं को साझा किया। एक छात्र ने बताया कि किस तरह उसने अंबेडकर की आत्मकथा पढ़कर प्रेरणा पाई और सरकारी सेवा में आने का संकल्प लिया। सूरज सिंह ने उसे मंच पर बुलाकर उसकी हौसला अफ़जाई की और कहा, “युवाओं को चाहिए कि वे अंबेडकर को किताबों में पढ़ें, उनके विचारों को आत्मसात करें और समाज में बदलाव का माध्यम बनें।”
कार्यक्रम के अंत में सूरज सिंह ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे सामाजिक सौहार्द बनाए रखें और संविधान की मूल भावना की रक्षा करें। उन्होंने कहा कि “आज देश में अनेक चुनौतियाँ हैं—धार्मिक ध्रुवीकरण, जातीय भेदभाव, शिक्षा की गिरती स्थिति—इन सबका समाधान बाबा साहब के विचारों में है। हमें बस उन्हें ईमानदारी से अपनाने की ज़रूरत है।” सूरज सिंह का यह वक्तव्य दर्शाता है कि आज के युवा नेताओं में भी यदि राजनीतिक चेतना के साथ सामाजिक सरोकार हों, तो बदलाव संभव है।
इस कार्यक्रम को केवल एक जयंती आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता और चेतना के अभियान के रूप में देखा गया। बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को जीवित रखने के लिए यह आयोजन प्रेरणा का स्रोत बनेगा, ऐसा विश्वास कार्यक्रम में उपस्थित हजारों लोगों ने व्यक्त किया। सूरज सिंह और उनकी टीम ने जिस सूझबूझ और समर्पण से इस कार्यक्रम का आयोजन किया, उसने समाजवादी पार्टी की स्थानीय इकाई की लोकप्रियता को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।