
नई दिल्ली 29 दिसंबर। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार को अपने बजट सुझाव प्रस्तुत करते हुए ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी की सिफारिश की है। संगठन का मानना है कि पेट्रोल और डीजल पर लगे केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती से घरेलू खपत को प्रोत्साहन मिलेगा और मुद्रास्फीति के दबाव को कम किया जा सकेगा।
वर्तमान में, केंद्रीय उत्पाद शुल्क पेट्रोल की कीमत का लगभग 21 प्रतिशत और डीजल की कीमत का लगभग 18 प्रतिशत है। सीआईआई ने अपने सुझाव में उल्लेख किया कि मई 2022 के बाद से, जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें लगभग 40 प्रतिशत तक कम हो चुकी हैं, इन शुल्कों में कोई उचित समायोजन नहीं किया गया है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “घरेलू खपत भारत की आर्थिक प्रगति का प्रमुख स्तंभ रही है। हालांकि, मुद्रास्फीति के कारण उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में सरकार को खर्च करने योग्य आय को बढ़ाने और आर्थिक गति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।”
उपभोग वाउचर का सुझाव
निम्न आय वर्ग की खपत बढ़ाने के उद्देश्य से सीआईआई ने उपभोग वाउचर शुरू करने का भी सुझाव दिया। ये वाउचर कुछ निश्चित वस्तुओं और सेवाओं के लिए उपयोग किए जा सकते हैं और इन्हें एक तय अवधि (6-8 महीने) के भीतर उपयोग करने की शर्त के साथ जारी किया जा सकता है। इससे खपत में सीधा इजाफा होगा और घरेलू मांग में वृद्धि होगी।
आयकर दरों में संशोधन की मांग
सीआईआई ने वित्त मंत्रालय से व्यक्तिगत आय पर उच्चतम सीमांत दरों को कम करने की मांग की है। वर्तमान में, व्यक्तियों के लिए यह दर 42.74 प्रतिशत है, जबकि सामान्य कॉर्पोरेट कर दर 25.17 प्रतिशत है। यह अंतर न केवल उच्च कर दरों के प्रति असमानता को दर्शाता है, बल्कि मध्यम आय वर्ग की क्रय शक्ति को भी प्रभावित करता है।
संगठन ने 20 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर सीमांत दरों में कमी का भी सुझाव दिया है। उनका मानना है कि यह खपत को बढ़ावा देने, उच्च विकास दर हासिल करने और कर राजस्व में वृद्धि के चक्र को उत्प्रेरित करने में सहायक होगा।
मनरेगा और पीएम-किसान योजना में वृद्धि की सिफारिश
सीआईआई ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत न्यूनतम मजदूरी को 267 रुपये से बढ़ाकर 375 रुपये करने की सिफारिश की है। इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ेगी, लेकिन इससे सरकार पर 42,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत वार्षिक भुगतान को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये करने की मांग की गई है। अनुमानित 10 करोड़ लाभार्थियों के लिए इससे सरकार पर 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वृद्धि
संगठन ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत मकान बनाने के लिए मिलने वाली धनराशि में वृद्धि की मांग की। सीआईआई का कहना है कि इन योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि में लंबे समय से कोई वृद्धि नहीं की गई है, जबकि निर्माण सामग्री की लागत बढ़ चुकी है।
इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर क्षेत्र में नवाचार की वकालत
सीआईआई के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक्स और कंप्यूटर साफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (ईएससी) ने भी अपने बजट सुझाव प्रस्तुत किए हैं। ईएससी ने डिज़ाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना में व्यापक सुधार और इसे अधिक प्रभावी बनाने की सिफारिश की है।
ईएससी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से हाल ही में हुई बातचीत के दौरान भारत में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) और नवाचार को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय कंपनियों के लिए विशेष प्रोत्साहन की मांग की है, जो अपने कारोबार का 3 प्रतिशत से अधिक अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करती हैं। ईएससी का मानना है कि इससे न केवल भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
पेटेंट और डिज़ाइन दाखिल करने पर जोर
ईएससी ने सुझाव दिया है कि भारत में पेटेंट और डिज़ाइन दाखिल करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए कंपनियों को अतिरिक्त आयकर छूट प्रदान की जाए। इससे इलेक्ट्रानिक्स हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार की जरूरत
संगठन का मानना है कि भारत को अपनी विनिर्माण क्षमता और डिज़ाइन क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए व्यापक रणनीतियों को अपनाना चाहिए। इसके तहत इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर में घरेलू कंपनियों को विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
प्रभात भारत विशेष
सीआईआई और ईएससी के सुझाव भारत की आर्थिक नीतियों में सुधार और विकास दर को तेज करने के उद्देश्य से हैं। ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती से लेकर अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाने तक, ये सिफारिशें देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती हैं। अब यह सरकार पर निर्भर है कि इन सुझावों को किस हद तक लागू किया जाता है और किस प्रकार से इन्हें बजट में समायोजित किया जाता है।