
गोंडा गन्ना समिति चुनाव विवाद: भाजपा में दो फाड़, जातिगत संतुलन बिगड़ने पर विधायक प्रतीक भूषण सिंह व उनके समर्थकों में गुस्सा
गोण्डा 15 अक्टूबर। जनपद में गन्ना विकास समिति के अध्यक्ष पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर गंभीर असंतोष और विरोधाभास सामने आ रहा है। इस विवाद का प्रमुख कारण समिति के अध्यक्ष पद के लिए घोषित किए गए प्रत्याशी पर आपत्ति जताते हुए भाजपा विधायक प्रतीक भूषण सिंह द्वारा प्रदेश नेतृत्व को पत्र लिखा गया है। इसके साथ ही, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के साथ हो रही अनदेखी ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है, जिससे पार्टी के अंदर के मतभेद स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आ रहे हैं।
गन्ना समिति अध्यक्ष पद पर विधायक प्रतीक भूषण सिंह की आपत्ति
गोंडा सदर विधानसभा के विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने गन्ना समिति के अध्यक्ष पद के लिए घोषित किए गए प्रत्याशी पर कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी के जिला संगठन ने बिना कोर कमेटी की सहमति के ही प्रत्याशी का चयन कर लिया है। प्रतीक भूषण सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि गोंडा विधानसभा क्षेत्र के बजाय मनकापुर क्षेत्र से प्रत्याशी चुना गया, जबकि गोंडा गन्ना समिति के अधिकांश गांव उनके विधानसभा क्षेत्र में आते हैं।
विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार का चयन जातिगत समन्वय को दरकिनार करते हुए किया गया है, जो पार्टी के सिद्धांतों और नीतियों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की है कि अध्यक्ष पद का प्रत्याशी ब्राह्मण समाज से होना चाहिए और गोंडा सदर विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना चाहिए।

जातिगत समन्वय की अनदेखी: ब्राह्मण समाज की नाराजगी
इस विवाद का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि गोंडा जिले में ब्राह्मण समाज के साथ हो रहे जातिगत असंतुलन के चलते भाजपा के अंदर गहरी नाराजगी पनप रही है। देवीपाटन मंडल में ब्राह्मण समाज की उपेक्षा की जा रही है, और गन्ना समितियों के चुनाव में भी यही परिदृश्य देखने को मिल रहा है। कर्नलगंज गन्ना समिति में समाजवादी पार्टी के नेता को निर्विरोध निर्वाचन का मौका दिया गया, जबकि भाजपा ने कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इससे ब्राह्मण समाज के लोगों के बीच यह भावना फैल रही है कि पार्टी उनकी उपेक्षा कर रही है।
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के साथ हो रही अनदेखी
गोंडा में भाजपा के भीतर असंतोष का एक और महत्वपूर्ण कारण पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के साथ हो रही अनदेखी है। बृजभूषण शरण सिंह का परिवार पार्टी की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। पहले कैसरगंज सांसद करण भूषण सिंह को दिशा का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें हटाकर विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को अध्यक्ष पद सौंप दिया गया और करण भूषण सिंह को उपाध्यक्ष बना दिया गया।
इस बदलाव से बृजभूषण शरण सिंह के समर्थकों के बीच गहरा असंतोष है। सवाल उठाया जा रहा है कि अगर करण भूषण सिंह को उपाध्यक्ष ही बनाना था, तो उन्हें पहले अध्यक्ष क्यों बनाया गया? इस निर्णय को लेकर बृजभूषण शरण सिंह के समर्थक नाराज हैं और इसे उनके परिवार की राजनीतिक अनदेखी के रूप में देख रहे हैं।
गन्ना समिति चुनाव: अंदरूनी राजनीति और संभावित परिणाम
गोंडा गन्ना समिति के चुनाव को लेकर चल रहे विवाद ने भाजपा के अंदर गहरे मतभेदों को उजागर कर दिया है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस तरह के फैसले, जिसमें संगठन की सहमति के बिना प्रत्याशी का चयन किया जाता है, न केवल पार्टी के अंदर असंतोष को बढ़ावा देते हैं बल्कि आगामी चुनावों में भी इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
विधायक प्रतीक भूषण सिंह ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि इस प्रकार के निर्णयों से पार्टी के उम्मीदवारों को भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से पुनर्विचार करने की मांग की है, ताकि गन्ना समिति के अध्यक्ष पद के लिए ऐसा प्रत्याशी चुना जा सके, जो ब्राह्मण समाज का हो और पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हो।
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के समक्ष चुनौती
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के सामने इस समय एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। गोंडा गन्ना समिति चुनाव से उठे इस विवाद ने पार्टी के अंदर जातिगत संतुलन और नेतृत्व के चयन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थक पार्टी नेतृत्व से उनके परिवार के साथ हो रही अनदेखी पर जवाब मांग रहे हैं।
पार्टी के प्रदेश महामंत्री को लिखे गए पत्र के जरिए प्रतीक भूषण सिंह ने साफ कर दिया है कि वह इस निर्णय से खुश नहीं हैं और इसे बदलने की मांग कर रहे हैं।
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थकों का गुस्सा
पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थकों के बीच यह भावना भी गहराती जा रही है कि पार्टी नेतृत्व उनके परिवार के साथ उचित सम्मान नहीं कर रहा है। खासकर कैसरगंज से मौजूद सांसद करण भूषण सिंह के मामले में, जब उन्हें पहले अध्यक्ष बनाया गया और फिर उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त कर दिया गया, तो यह निर्णय कई समर्थकों के लिए निराशाजनक साबित हुआ। इस फैसले को लेकर बृजभूषण शरण सिंह और करण भूषण सिंह के समर्थकों के बीच नाराजगी व्याप्त है, और उनका मानना है कि यह परिवार की राजनीतिक हैसियत को कमजोर करने का प्रयास है।
भविष्य की राजनीति और संभावित असर
भाजपा के लिए गोंडा गन्ना समिति चुनाव का असर पार्टी की आंतरिक राजनीति पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकता है। अगर पार्टी नेतृत्व ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो इससे न केवल ब्राह्मण समाज के साथ पार्टी के संबंधों पर असर पड़ेगा, बल्कि बृजभूषण शरण सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों के बीच भी असंतोष बढ़ सकता है।
आने वाले समय में, अगर भाजपा ने गोंडा और देवीपाटन मंडल में जातिगत संतुलन और आंतरिक राजनीति के इन मुद्दों को नहीं सुलझाया, तो इसका असर आगामी चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। पार्टी के लिए यह जरूरी है कि वह संगठन के भीतर जातिगत संतुलन को बनाए रखे और अपने वरिष्ठ नेताओं और उनके परिवारों के साथ हो रहे मतभेदों को समय पर सुलझाए।
प्रभात भारत विशेष
गोंडा गन्ना समिति चुनाव का विवाद और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के साथ हो रही अनदेखी ने भाजपा के भीतर आंतरिक संघर्ष को उजागर कर दिया है। जातिगत संतुलन बिगड़ने और संगठन में पारदर्शिता की कमी के आरोप ने पार्टी के अंदर असंतोष को बढ़ावा दिया है। अगर पार्टी नेतृत्व ने इस मामले को समय पर सुलझाया नहीं, तो इसका असर आगामी विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है।