
गोण्डा, 23 जून 2025। जनहित से जुड़े निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से समझौता अब भारी पड़ेगा। नगर क्षेत्र के गुरुनानक चौक से गुड्डूमल चौराहे तक 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत कराए जा रहे इंटरलॉकिंग व सौंदर्यीकरण कार्य में जब घटिया निर्माण की पुष्टि हुई तो जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने बिना देरी किए निर्णायक कदम उठाया। उन्होंने पूरे कार्य को तत्काल उखाड़ने और उसे मानकों के अनुरूप दोबारा कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोषियों के खिलाफ वित्तीय कार्रवाई के तहत भुगतान में कटौती का भी आदेश दिया गया है।
यह सख्ती तब सामने आई जब अपर उप जिलाधिकारी (द्वितीय) विशाल कुमार द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 255 मीटर लंबे कार्य में उपयोग की गई निर्माण सामग्री मानकों पर खरी नहीं उतरी। रिपोर्ट के अनुसार, बेस कोर्स में प्रयुक्त ब्रिक बैसाल्ट में अत्यधिक मात्रा में बालू की मिलावट पाई गई, जबकि ब्रिक बैसाल्ट की मात्रा बहुत कम थी। इससे भी अधिक चिंताजनक यह रहा कि इंटरलॉकिंग ईंटों की औसत संपीड़न क्षमता मात्र 31.10 न्यूटन प्रति वर्ग मिलीमीटर पाई गई, जबकि निर्धारित मानक 35 न्यूटन प्रति वर्ग मिलीमीटर है।
जांच में इन खामियों को स्पष्ट रूप से अधोमानक और अस्वीकार्य घोषित किया गया। जिलाधिकारी ने इस रिपोर्ट के आधार पर कार्य को तत्काल प्रभाव से रद्द करने, दोबारा निर्माण कराने और दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने संबंधित नगर निकाय अधिकारियों को लिखित चेतावनी पत्र भी जारी किया है।
डीएम नेहा शर्मा ने दो टूक कहा कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार, लापरवाही और गुणवत्ता से समझौता किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “जनता का पैसा जनता के हित में पूरी ईमानदारी से खर्च होना चाहिए। यदि कोई ठेकेदार या अधिकारी इसमें कोताही बरतेगा, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि आगे से हर विकास कार्य में गुणवत्ता की सतत निगरानी सुनिश्चित की जाए और ऐसे निर्माण कार्यों की नियमित जांच कराई जाए, ताकि किसी भी स्तर पर जनता के साथ विश्वासघात न हो।
डीएम की इस कार्रवाई के बाद नगर क्षेत्र के अन्य निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी के इस निर्णय की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इससे आगे ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट निर्माण कार्यों पर अंकुश लगेगा।
जिलाधिकारी ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि किसी और निर्माण कार्य में इस प्रकार की गड़बड़ी पाई गई, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
बहरहाल, डीएम की इस कार्यवाही से स्पष्ट है कि गोंडा में विकास कार्यों को पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ पूरा कराना अब प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है।